किसी ने सच ही कहा है भारत किसी अनमोल तोहफे जितना खास है। भारत की सुंदरता को शब्दों में बता पना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। यहाँ कितना सब कुछ है। एक तरफ पहाड़ों के विहंगम नजारे हैं तो दूसरी तरफ समुद्र की इठलाती लहरें आपका मन मोहने के लिए तैयार खड़ी हैं। ये सब भारत की प्राकृतिक खूबियों के बारे में जानकारी देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में इन्सानों द्वारा बनाई गई ऐसी कई चीजें हैं जो तारीफ करने लायक हैं। इनमें से सबसे अनोखा आविष्कार है सुरंगों का बढ़िया नेटवर्क जो हम सभी को एक जगह से दूसरी जगह कम समय में पहुंचने में सहायता करता है। क्या आप जानते हैं भारत के 10 सबसे लंबे टनल कौन से हैं? अगर आप नहीं जानते हैं तो आपकी कुछ मदद हम कर देते हैं।
1. अटल टनल, हिमाचल प्रदेश
रोहतांग टनल के नाम से मशहूर इस सुरंग का नाम बदलकर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर रख दिया गया है। इस सुरंग का निर्माण साल 2010 में शुरू किया गया था। इस टनल के बनकर तैयार हो जाने के बाद मनाली से लाहौल जाने के समय में कमी आई है। इस टनल से यात्रा करने पर आपको तकरीबन 46 किलोमीटर कम तय करना होता है। अक्टूबर 3, 2020 में बनकर तैयार हुए इस टनल का शुभारंभ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इस टनल में सुरक्षा के लिए सभी प्रकार की आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया गया है। जगह जगह पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।
लंबाई: 5.5 मील
कहाँ: लेह-मनाली हाईवे
2. पीर पंजाल रेलवे टनल, कश्मीर
हिमालय को काटकर बनाया गया ये टनल भारत का सबसे लंबा रेल टनल है। पीर पंजाल रेलवे टनल या टी 80 को पहली बार 2013 में खोला गया था। तब से लेकर आज तक ये टनल ट्रेनों के सुरक्षित यातायात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है। इस टनल से एक बार में एक ही ट्रेन गुजर सकती है। इस सुरंग को देखकर आप हैरान रह जाएंगे। इस टनल सटीक बनावट आपकी रेल यात्रा को और भी अधिक यादगार बना देगी। इस सुरंग की ऊँचाई लगभग 7 मीटर है और इसको पार करने में कुल 9 मिनट का समय लगता है। जम्मू से बारामूला जाने वाली ज्यादातर ट्रेनें इस सुरंग से होकर गुजरती हैं।
लंबाई: 11.22 किमी.
कहाँ: फॉरेस्ट ब्लॉक 185102, पीर पंजाल
3. डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी रोड टनल, जम्मू कश्मीर
पटनीटॉप टनल और डॉक्टर श्यामा टनल के नाम से भी मशहूर इस टनल को 2017 में आम लोगों के लिए खोला गया था। इस टनल की खासियत है कि इसमें दो ट्यूब हैं जो एक दूसरे के बराबर पर बनाए गए हैं। पहला ट्यूब यातायात के लिए है जो 13 मीटर चौड़ा है। वहीं दूसरे ट्यूब को खास सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए बनाया गया है। लगभग 4,000 फीट की ऊँचाई पर बना ये टनल जम्मू के लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है। इस सुरंग के बनने के बाद जम्मू और उसके राजधानी शहर की दूरी मात्र 9.5 किमी. रह गई है।
लंबाई: 9.34 किमी.
कहाँ: नेशनल हाईवे 44, जम्मू कश्मीर
4. त्रिवेंद्रम पोर्ट रेलवे टनल, केरल
त्रिवेंद्रम पोर्ट रेलवे टनल भारत का दूसरा सबसे लंबा रेल टनल होगा। फिलहाल ये टनल का काम प्रगति पर है। इस टनल को बनाने के पीछे मुख्य वजह पोर्ट को रेल नेटवर्क से जोड़ना था। विझिंजम इंटरनेशनल मल्टीपरपज डीपवॉटर सीपोर्ट को रेल सेवा से जोड़ने के लिए ये टनल बेहद महत्वपूर्ण काम करेगा। कहा ये भी जा रहा है ये सुरंग 11 किमी. लंबी रेलवे लाइन पर बनाया जाएगा। अगर सब कुछ सही रहा तो 2022 तक ये टनल बनकर तैयार हो जाने की उम्मीद है।
लंबाई: 9.02 किमी.
कहाँ: बलरामपुर स्टेशन, कन्याकुमारी तिरुवनंतपुरम रेलवे लाइन, केरल
5. बनिहाल काजीगुंड रोड टनल, जम्मू कश्मीर
1800 मीटर की ऊँचाई पर बने इस टनल में कुल दो ट्यूब हैं। जो आपस में जुड़े हुए हैं। टनल में हर थोड़ी दूर पर इन दोनों ट्यूब को रास्तों से जोड़ा गया है। इन दोनों ट्यूब को मिलाकर इस पूरी सुरंग की चौड़ाई 14 मीटर हैं। इस टनल का निर्माण 2011 में शुरू किया गया था। फिलहाल स्थिति ये है कि इसको ट्रॉयल के तौर पर यातायात के लिए खोला गया है। अगर सबकुछ सही रहा तो इस टनल को सितंबर 2021 तक पूरी तरह से खोल दिया जाएगा। इस टनल के बनने के बाद बनिहाल से काजीगुंड की दूरी में लगभग 16 किलोमीटर की कमी आएगी।
लंबाई: 8.5 किमी.
कहाँ: पीर पंजाल, जम्मू कश्मीर
6. संगलदन रेलवे टनल, जम्मू कश्मीर
2010 में बनकर तैयार हुआ ये टनल भी जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस टनल को 2017 में यातायात के लिए खोला गया था। जम्मू और बारामूला रेलवे लाइन पर पड़ने वाला ये टनल कटरा और बनिहाल रेलवे स्टेशनों के लिए भी यातायात के नजरिए से जरूरी माना जाता है। लहली, बारामूला, बनिहाल और कटरा को आपस में जोड़ने वाली ये सुरंग जम्मू के लोगों के लिए किसी तोहफे जैसी है। ये रेलवे टनल बनने के बाद से ही लोगों के आने जाने में काफी मददगार साबित होता आया है।
लंबाई: 8 किमी.
कहाँ: जम्मू-बारामूला रेलवे लाइन
7. रापुरू रेलवे टनल, आंध्र प्रदेश
रापुरु भारत का पहला और सबसे लंबा विद्युतीय रेलवे टनल है। 2019 में बनकर तैयार हुए इस टनल के बाद से आंध्र प्रदेश की यातायात व्यवस्था में काफी सुधार आया है। घोड़े की नाल के आकर में बनी ये सुरंग ओबुलावरिपल्ली और वेंकटचलम के बीच है। इस सुरंग की वजह से इन दोनों जगहों के बीच सफर में लगने वाले समय में तकरीबन 9 घंटों की कमी आई है। 6.5 मीटर ऊँचा ये टनल मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों तक पहुँचने का भी सबसे छोटा रास्ता है। वहीं यदि आप चेन्नई से हावड़ा जाना चाहते हैं तब भी आप इस टनल से गुजरने को मजा उठा सकते हैं।
लंबाई: 6.65 किमी.
कहाँ: विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश
8. करबुडे रेलवे टनल, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के आकर्षक वेस्टर्न घाट पर बने इस रेल टनल से यात्रा करने वाला हर व्यक्ति खुश हो जाता है। करबुडे रेलवे टनल का निर्माण उस समय किया गया था जब कोंकण रेलवे ने मुंबई और मंगलौर को आसपास में जोड़ने का निर्णय किया था। तब से लेकर आज तक करबुडे टनल कोंकण रेलवे लाइन पार पड़ने वाला सबसे लंबा टनल है। ये सुरंग उक्षी और भोके के बीच है। हरियाली के बीच से होकर गुजरती ये सुरंग सचमुच में आपके सफर को यादगार बना देगी।
लंबाई: 6.5 किमी.
कहाँ: वेस्टर्न घाट के नजदीक, रत्नागिरी
9. नतुवाडी रेलवे टनल, महाराष्ट्र
1997 से यातायात व्यवस्था में आसानी लाने के नजरिए से चालू किया गया नातुवाडी रेल टनल कोंकण रेलवे लाइन पार पड़ने वाली दूसरी सबसे लंबी सुरंग है। अक्सर टी - 6 के नाम से भी पुकारा जाने वाला ये टनल भी महाराष्ट्र के वेस्टर्न घाट से होकर गुजरता है। वेस्टर्न घाट के दुर्गम इलाकों के बावजूद ये टनल मुंबई और मंगलौर के बीच लगने वाले समय में कमी लाने का काम कर रहा है। ये सुरंग छोटी जरूर है लेकिन इसके आसपास के नजारे देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे।
लंबाई: 4.39 किमी.
कहाँ: करांजडी और दीवान खवाती रेलवे स्टेशन
10. टिक रेलवे टनल, महाराष्ट्र
सह्याद्रि पर्वतमाला के पहाड़ी क्षेत्रों में बना टाइक रेलवे टनल भी कोंकण रेलवे लाइन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। 1997 में बनकर तैयार हुआ ये टनल भी महाराष्ट्र के रेल नेटवर्क में बड़ा योगदान देता आया है। खास बात ये भी है इस सुरंग को भारत के सबसे महत्वपूर्ण टनल की सूची में भी शामिल किया जा चुका है। टिक रेलवे टनल को टी-39 के नाम से भी जाना जाता है। इस रेल टनल से यात्रा करना आपको जरूर पसंद आएगा।
लंबाई: 4.08 किमी.
कहाँ: रत्नागिरी और निवासर रेलवे स्टेशनों के बीच
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