Adventure Nag tiba treck

Tripoto
12th Jan 2021
Photo of Adventure Nag tiba treck by Rahul Singh
Day 1

2021 की  मेरी पहली यात्रा ❤😍

नाग टिब्बा उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित एक चोटी का नाम है। टिब्बा एक ऊंची चोटी को कहते हैं। नाग टिब्बा से कुछ पहले नाग देवता का एक मंदिर है, जिसके प्रति स्थानीय लोगों में बहुत मान्यता है। लोगों का मानना है कि नाग देवता उनके पशुओं की रक्षा करते हैं। स्थानीय लोग नाग टिब्बा को झंडी भी कहते हैं। नाग टिब्बा से सूर्योदय व सूर्यास्त के सुंदर नजारे दिखते हैं। सर्दी में यहां बर्फ भी पड़ती है। नाग टिब्बा से गढ़वाल क्षेत्र की ज्यादातर बर्फ से ढ़की ऊंची चोटियां दिखाई देती है। यहां तक पहुंचने के लिए दो मार्ग ज्यादा प्रचलित है- एक देवलसारी गांव से और दूसरा पंतवारी गांव से। इन दोनों जगह से ही ट्रैकिंग करते हुए नाग टिब्बा तक पहुंचा जा सकता है।

दिल्ली से पंतवारी गांव

शुक्रवार कि रात मैं अपने 9 दोस्तों के साथ दिल्ली से नाग टिब्बा ट्रैकिंग के लिए निकल पडे। साथ में कुछ जरूरी सामान भी रख लिया, जैसे-  सफर के लिए गर्म कपड़े जेकैट, और आपको  ट्रेकिंग शूज़ और स्टिक वैसे, ये सभी समान पंतवारी गांव में किराये पर मिल जाते हैं, । हम लोग दिल्ली-मेरठ-रूड़की-देहरादून-मसूरी होते हुए भी नाग टिब्बा पहुंचे हैं। यमुना ब्रिज से कुछ दूरी पर नैनबाग एक जगह है। जहां से पंतवारी गांव के लिए रास्ता अलग हो जाता है। लगभग दोपहर को 1 बजे पंतवारी पहुंचे। यहां पर ज्यादा सुविधाओं वाले होटल नहीं है, क्योंकि यहां पर केवल ट्रैकर ही आते हैं। हमने ऊपर नाग टिब्बा तक जाने के लिए पहले से ही बात कर ली थी। हमने 2310₹ का पकैज लिया था, वैसे यहां रास्ते के लिए गाइड भी मिल जाते हैं। गाइड प्रति दिन के हिसाब से करीब 800 रुपये लेता है।

पंतवारी से नाग देवता मंदिर तक ट्रैकिंग

शनिवार दोपहर को पंतवारी गाँव से हम सभी नाग टिब्बा ट्रैकिंग पर निकल पडे़। ट्रैकिंग का पहला नियम यह होता है कि अपने बैग में जरूरत का सामान ही रखें, जो किसी से बार-बार मांगना न पडे़, जैसे- पानी, खाने के लिए ड्राई-फ्रूट आदि। अपने बैग में कम व जरूरी कपड़े व सामान भी रख लें, क्योंकि वह सामान आपकी पीठ पर ही रहता है। इसलिए ज्यादा भारी बैग आपको परेशान कर सकता है। अब चढ़ाई एक दम खड़ी-सी हो गई थी। थोडा-सा चलने पर ही दम फूलने लगा था, पर रूकते हुए आराम करते हुए हम एक छोटे बुग्याल पर पहुंचे। उत्तराखंड में घास के मैदान को बुग्याल कहते हैं। यहां अपने साथ लाए पैक्ड खाना खाने के बाद वहीं नजदीक में पानी के स्त्रोत पानी ले आए। थोडी देर आराम करने के बाद हम आगे बढ़ चले। अब रास्ता पेड़ों के बीच से होकर गुजर रहा था। नीचे पड़ी पेड़ की पत्तियों पर पैर पड़ते ही जंगल का शांत वातावरण चर-चर की आवाज से गुलजार हो गया था और साथ में पथरीले रास्ते। हमें अपने कैंप तक पहुँचते हुए शाम हो रही थी और हमने सूर्यास्त होते हुए देखा, वो नजारा बहुत ही शानदार था , कुछ देर बाद हम एक बडे़ से बुग्याल में पहुंचे, जो आज का हमारा पड़ाव था। टैंट लगाए गए। आग जलाई गई, जिससे खाना बन सके। साथ ही, जंगली जानवर भी नजदीक न आ पाए। आज हमलोग सात-आठ किमी. पैदल चले थे। जहां पंतवारी गांव लगभग 1700 मीटर ऊंचाई पर है,। देर रात तक किस्से-कहानियों का दौर चला और रात हमने अपने दोस्तों के साथ बहुत देर तक मस्ती कि फिर खाना खाने के बाद कुछ देर के लिए फिर सोने के लिए सभी अपने टैंटो में चले गए।

नाग देवता मंदिर से नाग टिब्बा

अगले दिन सभी जल्द उठ गए। देखा तो अभी भई आग सुलग रही थी। कुछ और लकड़ी उस पर रख कर आग जला दी गई। बहुत ठंड महसूस हो रही थी। सुबह 3 बजे की चाय बनाई गई और फ्रेश होकर नाग टिब्बा की तरफ बढ़ चले। रात के अंधेरे में अपने मोबाइल के लाइट के साथ , नाग देवता मंदिर से नाग टिब्बा तकरीबन दो किमी. की दूरी पर है और काफी चढ़ाई वाला रास्ता है, जो पहाड़ की धार (रिज) से होकर गुजरती है। अब यहां बर्फ पड़ी हुई दिख रही थी। बर्फ पर कुछ पंजों के निशान बने हुए थे, जो शायद भालू के हो सकते हैं। लगभग 3 घंटे तक पैदल चलने के बाद हम नाग टिब्बा चोटी पर पहुंच गए। नाग टिब्बा की ऊंचाई लगभग 3020 मीटर है। ऊपर काफी बर्फ पड़ी थी। नाग टिब्बा से हिमालय की बर्फ से लदी चोटियों का बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। यहां आकर मन प्रसन्न था। कुछ पा लेने जैसी अनुभूति हो रही थी। यहां पर कुछ समय बिताने के बाद हम नीचे चल पड़े और दोपहर तक पंतवारी पहुंच गए, जहां से हम वापस अपने घरों की ओर निकल पड़े।

कैसे पहुंचें

नाग टिब्बा ट्रैक के लिए पहले देवलसारी या फिर पंतवारी गांव पहुंचाना होगा। यह दोनों जगह ही सड़क मार्ग से जुड़ी है। अपनी गाड़ी से भी जा सकते है, अन्यथा बस या टैक्सी द्वारा भी पहुंच सकते हैं। यहां से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून है। दिल्ली से दोनों जगहों पर पहुंचने के लिए सात आठ घंटे लगते हैं। पंतवारी के लिए विकासनगर - यमुनोत्री मार्ग से जाना होगा, तो देवलसारी के लिए मसूरी - धनौल्टी रोड से। देवलसारी की तरफ से आपको ट्रैकिंग के लिए मसूरी वन विभाग से परमिशन लेनी होगी, जबकी पंतवारी की तरफ से कोई परमिशन की जरूरत नहीं होती है।

कब जाएं

नाग टिब्बा ट्रैक बहुत लोकप्रिय हो चुका है, क्योंकि यह आसान श्रेणी की ट्रैकिंग में आता है। यह केवल दो दिन का ही ट्रैक है। इसलिए कई सारी ट्रैवल्स कंपनी इसे पूरे साल कराती है, लेकिन मानसून के महीने को छोड़कर आप कभी भी जा सकते हैं।

कुछ जरूरी सुझाव

नाग टिब्बा जाने से पहले आप सुबह की सैर व दौड़ लगाना शुरू करें ताकि पहाड़ पर चढ़ाई के दौरान स्टेमिना बनी रहे। गर्म जैकेट, इनर व कैप अपने बैग में जरूर रखें। जरूरी दवाइयां और टॉर्च भी अवश्य रख लें। कुछ बिस्किट व ड्राई फ्रूट्स भी अपने पास जरूर रखें।
Video🎥 by YouTube - https://youtu.be/wZ7Y7bRruUQ

Photo of Adventure Nag tiba treck by Rahul Singh
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