टिहरी: गढ़वाल के पहाड़ों का बेहतरीन नज़ारा और शांत शहर का सुकून है यहाँ

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Photo of टिहरी: गढ़वाल के पहाड़ों का बेहतरीन नज़ारा और शांत शहर का सुकून है यहाँ by Musafir Rishabh

पहाड़ों के बारे में सोचता हूँ तो एक सुकून छाने लगता है। कभी-कभी तो लगता है पहाड़ ही मेरा असली मकसद है। मैं हमेशा से बेफ्रिक घूमना चाहता हूँ। अचानक ही कहीं निकल पड़ो और कदमों से जहान नापते रहो। उसी बेफ्रिकी में मैंने उत्तराखंड के एक खूबसूरत और शांत शहर ‘टिहरी’ को नापा। टिहरी के बारे में बस इतना पता था कि यहाँ एशिया का सबसे बड़ा डैम है। लेकिन यहाँ आया तो मुझे कुछ और ही मिल गया। पहाड़ों की गोद में बहती एक स्वर्ग की धारा। एक ठहरा हुआ दृश्य, जिसे देखकर मेरे बोल नहीं फूट रहे थे, आंखें चकाचौंध हो रही थी और मैं आकर्षण से अवाक था।

पहाड़ में हर शहर, हर गाँव सुंदर ही होता है लेकिन कुछेक जगह सबसे ऊपर होती हैं। मेरे अनुभव में उस जगह को टिहरी कहते हैं। मैंने इस जगह के बारे में बहुत सुन रखा था लेकिन जाने का कभी प्लान ही नहीं बन पाया। फिर अचानक एक दिन मन किया और मैं अपने एक दोस्त के साथ निकल पड़ा ‘टिहरी’ के सफर पर।

ऋषिकेश

हम हरिद्वार में थे। टिहरी जाने के लिए दो रास्ते थे, एक देहरादून से और दूसरा ऋषिकेश से। हरिद्वार से ऋषिकेश पास था, इसलिए हमने ऋषिकेश को चुना। हम शाम के वक्त ऋषिकेश बस स्टैंड पहुँचे। वहाँ पहुँचकर पता चला कि टिहरी के लिए इस समय कोई बस नहीं है। वहीं खड़े एक स्थानीय शख्स ने बताया कि आगे नटराज चौक है, जल्दी जाओगे तो बस मिल सकती है। हमने वही किया और कुछ ही मिनटों में नटराज चौक पर पहुँच गए। हमें इंतजार करते-करते एक घंटा हो गया लेकिन कोई बस नहीं आई।

हमने सोच लिया था कि आज रात ऋषिकेश में गुजारेंगे और सुबह होते ही टिहरी के लिए निकल जाएँगे। तभी अचानक एक गाड़ी वाले ने कहा, "टिहरी जाना है?" ये सुनकर निराश मन में अचानक से खुशी की लहर दौड़ गई। गाड़ी चंबा तक जा रही थी, लेकिन वहाँ से टिहरी दूर नहीं था। फिर क्या था? रात के अंधेरे में गाड़ी गोल-गोल चक्कर लगाए जा रही थी। रात के अंधेरे में सिर्फ अंधेरा दिखाई दे रहा था। जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे थे, ऋषिकेश छोटा प्रतीत हो रहा था। रात के अंधेरे में ऋषिकेश तारों भरे आसमान जैसा जगमगा रहा था। दो घंटे बाद गाड़ी किसी चैराहे पर रूक गई, सामने लिखा था ‘चंबा में आपका स्वागत है’।

चंबा से सफर की शुरूआत

Photo of चंबा, Uttarakhand, India by Musafir Rishabh

चंबा से टिहरी दूर नहीं था लेकिन पहाड़ों में रात जल्दी हो जाती है इसलिए वहाँ जाने के लिए कोई गाड़ी नहीं थी। अब हमें रात चंबा में ही बितानी थी। एक छोटा-सा कमरा लिया, उसमें सामान रखा और निकल पड़े चंबा को देखने। रात के 8 बज चुके थे, पूरा चंबा अंधेरे के आगोश में था। चारों तरफ खामोशी पसरी हुई थी, शहर के शोरगुल से इतनी शांत जगह पर आना अच्छा लग रहा था। हल्की-हल्की ठंडक भी थी, जो शरीर को कपकपी देने के लिए काफी थी। हम जल्दी ही अपने कमरे में पैक हो गए इस इस वायदे के साथ कि कल जल्दी उठेंगे।

चंबा पहाड़ों से घिरी हुई सुंदर जगह थी। यहाँ मसूरी, नैनीताल की तरह भीड़ नहीं थी। मुझे यहाँ कोई पर्यटक नजर नहीं आ रहा था। चैराहे पर गाड़ियों और लोगों की भीड़ थी। धूप सिर पर आ गई थी लेकिन ये धूप अच्छी लग रही थी, शरीर को सुकून दे रही थी। हमारे प्लान में चंबा नहीं था लेकिन अब रूक ही गए थे तो थोड़ी देर निहारने में क्या जा रहा था? हमें पास में ही एक पुल दिखाई दिया, वो ऊँचाई पर था, वहाँ से पूरा चंबा दिख सकता था। इस पुल से मैं उन चोटियों को देख रहा था जो रात के अंधेरे में हम नहीं देख पाया था।

चंबा वाकई एक सुंदर शहर है जहाँ आराम से कुछ दिन गुजारे जा सकते हैं। यहाँ दूसरे शहरों की तरह ना पार्क हैं, ना झरने हैं और न ही टूरिस्ट जैसा माहौल। लेकिन यहाँ सुन्दरता, शांति और सुकून है जो हम महसूस कर पा रहे थे। हम वहाँ कुछ घंटे रूके उस शहर की गलियाँ अपने कदमों से नापीं। अब हमें टिहरी जाना था, वहाँ के लिए बस भी थी और गाड़ी भी। हमने बस की जगह गाड़ी ली और चल पड़े अपने अगले पड़ाव पर, जहाँ हमें टिहरी को, वहाँ के लोगों सेऔर खूबसूरती से मिलना था।

Photo of टिहरी: गढ़वाल के पहाड़ों का बेहतरीन नज़ारा और शांत शहर का सुकून है यहाँ by Musafir Rishabh

घुमावदार रास्ते, कभी चलते-चलते नीचे पहुँच जाते और कभी एक दम ऊँचाई पर। इन घुमावदार रास्तों से गुजरने के बाद जिंदगी सीधी लगने लगती है। सुबह-सुबह हम चंबा से टिहरी के लिए निकल पड़े। घुमावदार रास्ते जो पहाड़ों में अक्सर होते ही हैं। पीछे सब छूट रहा था चंबा, अड़बंगी पगडंडियाँ। कुछ देर बाद हम एक चैराहे पर खड़े थे, नई टिहरी में। टिहरी वास्तव में पहाड़ वाला शहर लगता है। कम आबादी वाला ये शहर सुंदरता से भरा हुआ है और इसको हमने पैदल ही नापा। छोटा-सा शहर है लेकिन लोग बड़े अच्छे हैं। हम ने एक होटल लिया, बहुत ही सस्ता था और बेहद बढ़िया था। सामान रखा और फिर से अजनबी मुसाफिर की तरह निकल पड़े।

टिहरी से नई टिहरी का बदलाव

हम शहर वाले इस जगह को टिहरी के नाम से ही जानते हैं। यहाँ के स्थानीय लोगों ने बताया कि अब कोई टिहरी शहर नहीं है, जहाँ हम खड़े हैं वो नई टिहरी है। टिहरी डैम के कारण टिहरी शहर डूब चुका है और सरकार ने वहाँ के लोगों को एक नये शहर में बसाया जिसका नाम रखा गया ‘नई टिहरी’। नई टिहरी सुंदर और सांस्कृतिक रूप से बसाया गया है। यहाँ दीवारों पर गढ़वाली संस्कृति दिखती है तो दूसरों की ओर आधुनिकतापन लोगों में भी दिखता है। जिस जगह पर जाओ उसे एक बार नज़र फेर कर देख लेना चाहिए, हम भी वही कर रहे थे। यहाँ हरिद्वार और ऋषिकेश से ज्यादा ठंड थी जो बदन को कपकपी दे रही थी। दिन में ये हाल था तो रात के पहर में अंदाजा लगाया जा सकता था कि क्या हाल होने वाला था!

हम पैदल ही पूरा शहर घूम रहे थे, यहाँ बैंक से लेकर सारी दुकानें थीं। चौराहे पर एक पुस्तक संग्रह भी बना हुआ था, जहाँ लिखा हुआ था ‘आप अपनी पुरानी किताबें यहाँ रख सकते हैं। जिससे वो किसी और के काम आ सकें’। टिहरी ऊँचाई पर बसा शहर था इसलिए चारों ओर पहाड़ ही पहाड़ थे। हिमालय की श्रृंखला सामने ही दिख रही थी। एक अलग-सी खुशी हो रही थी यहाँ आकर, मानों हमारे पैरों को जमीं मिल गई हो। हमें इस शहर के बारे में कुछ भी नहीं जानते थे लेकिन कभी-कभी बिना जानकारी के घूमना अच्छा होता है, बिल्कुल घुमंतूओं की तरह। हम चक्कर लगा रहे थे और यहाँ के लोगों से बातचीत कर रहे थे। हर शहर की एक कहानी होती और इसकी भी एक कहानी थी, टिहरी से नई टिहरी बनने तक की।

टिहरी की खामोश रात

श्रेयः फ्लिकर

Photo of नई टिहरी, Uttarakhand, India by Musafir Rishabh

हम शहर वालों को आदत होती है रात के पहर में बाहर निकलना। हम वैसा ही इधर करने की सोच रहे थे। रात को जब हम शहर के चैराहे पर पहुँचे तो देखा चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है। पूरा बाजार बंद था, कुछ ढाबे खुले हुये थे। हमें बड़ा अजीब लग रहा था फिर भी हम रात के पहर में ही अकेले शहर में चलने लगे। रात में आसमान बड़ा अच्छा लग रहा था। पूरा आसमां चांद और तारों से भरा हुआ था। बड़े अरसे के बाद मैं ऐसा देख पा रहा था। पहले कभी मोबाइल से ऊपर सिर उठाने का मन ही नहीं हुआ। आज उठा रहा था तो बहुत अच्छा लग रहा था।

हम शहर से बाहर निकलकर खुले रास्ते पर आ गए, यहाँ जो देखा उससे तो हम मंत्रमुग्ध हो गये। जो तारे आसमान में थे वे टिहरी के पहाड़ों में भी दिखाई दे रहे थे। मानों किसी ने पहाड़ों पर आईना रख दिया हो और आसमान और पहाड़ एक हो गए हों। टिहरी में हमें एक बेहद प्यारे शख्स मिले जिन्होंने बताया आप टिहरी आये हैं तो यहाँ की सुबह को देखिए, सुबह बड़ी प्यारी होती है आपको देखना चाहिये। हमें अगली सुबह टिहरी डैम जाना था लेकिन हम ऐसा दृश्य भी नहीं छोड़ना चाहते थे सो हम अगली सुबह आने के लिए तैयार हो गए।

सूर्योदय के साथ खुशनुमा सुबह की शुरुआत

Photo of टिहरी: गढ़वाल के पहाड़ों का बेहतरीन नज़ारा और शांत शहर का सुकून है यहाँ by Musafir Rishabh

हम सुबह बहुत जल्दी उठे और उस शख्स के घर की छत की ओर बढ़ने लगे, जहाँ से हम वो दृश्य देखने वाले थे। सुबह की जो ठंडक थी वो अब हमारे उत्साह में गर्म हो रही थी। रात के अंधेरे में जो पहाड़ ढके हुये थे वो अब साफ दिखाई दे रहे थे। दूर तलक बस पहाड़ और चोटियाँ। ऐसा लग रहा था कि हम हिमालय की गोद में आकर खड़े हो गए हैं। सुबह चहचहा रही थी और उस सुबह में ऐसी जगह आकर हम भी खुश थे। दूर तलक की एक चोटी भी दिखाई दे रही थी जो बर्फ से ढकी हुई थी। मैंने कभी बर्फ से ढंके पहाड़ नहीं देखे थे, अब जब देख रहा था तो मन खुशी से उछल रहा था और थोड़ा निराश भी, वो इतने दूर क्यों हैं?

अचानक आसमान में लालिमा छाने लगी, पूरा आसमान लाल होने लगता है। अब उस पल का इंतजार था जिसके इंतजार में हम खड़े थे, मैं पहली बार पहाड़ों पर सूरज को उगते हुए देख रहा था। कुछ ही पलों के बाद दूर तलक की एक चोटी के पीछे से लाल-लाल सूरज निकलता है। ये लालिमा वैसे ही थी जैसी फिल्मों में देखा करता था, उसे मैं अपनी आंखों से देख रहा था। कुछ ही देर बाद वो लाल लालिमा पूरे पहाड़ों पर धूप बनकर बिखर जाती है और उस प्रकाश से पहाड़ चमकने लगते हैं।

टिहरी झील की ओर कूच

Photo of टिहरी बांध, New Tehri, Uttarakhand, India by Musafir Rishabh

टिहरी शहर को पैदल नाप लेने के बाद, रात और सुबह की लालिमा देखने के बाद हम टिहरी झील के लिए निकल पड़े। ये कोई टूरिस्ट प्लेस नहीं था सो यहाँ मंसूरी, नैनीताल और हरिद्वार जैसी लुटाई नहीं थी। हमारे पास ज्यादा सामान नहीं था सो आराम से बस में जाकर सीट से चिपक गए। बस घनसाली जा रही थी जो टिहरी डैम को पार करते हुए जाती है। टिहरी शहर से टिहरी झील 18 कि.मी. की दूरी पर है। लेकिन मेरा दावा है कि उस 18 कि.मी. के रास्ते में आप बोर नहीं हो सकते हैं।

पहाड़ों के रास्ते में आपको नहरें मिलीं लेकिन सबकी सब सूखी थीं। जिससे हम अंदाजा लगा रहे थे कि यहाँ पानी की कितनी कमी है। पहाड़ हमेशा ही अच्छे लगते हैं लेकिन इस रास्तों के पहाड़ उजाड़ लग रहे थे। पहाड़ पर कुछ निशान बने दिखाई दे रहे थे जो पानी के गिरने से बन गए थे, जिसे पहाड़ों में लोग गदेरों कहते हैं। मुझे इन पहाड़ों से ज्यादा गाँव और खेत खूबसूरत लग रहे थे। रास्ते में छोटे-छोटे बच्चे भी नज़र आ रहे थे। इन घुमावदार रास्ते से नीचे की ओर चले जा रहे थे। अब पहाड़ चोटीनुमा हो गए थे और हम बौने। यहाँ नीचे पेड़ों ज्यादा थे जो रास्ते में छाँव देने का काम कर रही थी।

टिहरी झील

Photo of टिहरी लेक, New Tehri, Uttarakhand, India by Musafir Rishabh

टिहरी झील, जिसे हम अभी तक बड़ी दीवार के कारण नहीं देख पाए थे जब वापस लौटे तो उसे देखा। मेरे सामने एक नदी थी, नदी क्या अथाह सागर था! नदी अक्सर नीले रंग की दिखती है लेकिन टिहरी झील को देखकर लग रहा था कि किसी ने चटक हरा रंग मिला दिया है जिससे पूरी झील हरी होकर चमक रही है।

ये दृश्य बिल्कुल फिल्म के जैसा था। पहाड़ के पीछे पहाड़, उसके पीछे भी पहाड़ और उनके बीच में एक नदी। ऐसा दृश्य दूर तलक था। मुझे निहारने में एक अलग सा सुकून आ रहा था। मैंने आज तक इतना सुंदर नज़ारा कभी नहीं देखा था। मैं कवि होता तो झील को एक कविता में बदल देता। झील के चारों तरफ पहाड़ थे और पहाड़ पर बसे कुछ घर दिखाई दे रहे थे। मैं उन लोगों को बड़ा खुशनसीब कह रहा था कि वे जन्नत जैसी जगह में रहते हैं।

टिहरी व्यू प्वाइंट

Photo of टिहरी डैम, टिहरी गढ़वाल, Tehri Dam Road, Lamgoan, Uttarakhand, India by Musafir Rishabh

हमें टिहरी डैम देखना था लेकिन हमें अंदर जाने की परमिशन नहीं मिली। हमें वहीं के एक व्यक्ति ने बताया कि आपको डैम व्यू प्वाइंट से दिख जाएगा। यहाँ एक जालीदार दीवार थी। उस जालीदार दीवार में कुछ बड़े-बड़े होल थे जिसमें से आराम से डैम को दखा जा सकता था। हम व्यू प्वाइंट से टिहरी डैम को तो नहीं देख पा रहे थे लेकिन उस डैम का रास्ता दिख रहा था। यहाँ से सब कुछ बहुत छोटा दिखाई रहा था। मुझे ना व्यू प्वाइंट में दिलचस्पी थी और न ही डैम में। मुझे तो पहाड़ और झील देखनी थी, जो मैं सामने से देख रहा था। वो दृश्य वाकई बहुत सुंदर था, सौंदर्य की पराकाष्ठा को पार करता हुआ। यहाँ पहाड़ से लेकर, झील सब चमक रहे थे। उस चमक से मेरे चेहरे पर भी चमक आ गई थी।

टिहरी का यह घुमावदार सफर मुझे पसंद आ रहा था। सब तो था यहाँ, सुंदरता, खुश करने के लिए प्रकृति और वो दिल खुश कर देने वाली झील। उत्तराखंड की इस जगह पर शांति है, लोग कम आते हैं लेकिन सुंदरता के मामले में सबसे आगे है। ऐसी जगह पर कौन नहीं आना चाहेगा जहाँ रात का पहर, लालिमा वाली सुबह देखने लायक है। यहाँ ना भीड़-भाड़ है और ना ही शोर शराबा। लोग प्रकृति की सुंदरता के लिए मसूरी और नैनीताल जाते हैं और वहाँ पाते हैं भीड़। उन लोगों को टिहरी आना चाहिए और मेरी तरह अपने आपको यहाँ खोता हुआ पाएँगे।

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