शिमला की वादियों में दिल सिर्फ़ हम सुख़नवरों का ही नहीं आया है, दुनिया दीवानी है इनकी। राजाओं ने वहाँ अपने महल बनवाए, जिनको प्रजा ने भी प्यार दिया और प्रकृति ने आशीर्वाद।
पटियाला के महाराजा भूपिन्दर सिंह का बनवाया चैल पैलेस आज भी राजाओं जैसी शान-ओ-शौक़त लिए शिमला की वादियों में गर्व से खड़ा है। 1891 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने राजा को हटाकर इसे अपने अधीन कर लिया।
अंग्रेज़ गए तो ये पैलेस हिमाचल पर्यटन को मिला। पर्यटन विभाग ने इसको लग्ज़री होटल बना लिया ताकि हम जैसे ग़रीब लोग भी एक दिन के लिए राजा वाली ज़िन्दगी जी सकें। हिमालय के देवदार जंगलों के बीच खिलता है यह पैलेस, चैल शिमला के सबसे ख़ास लग्ज़री पैलेस में से है।
शिमला वैसे ही इतनी प्रसिद्ध जगह है, उसके बाद चैल महाराजा का पैलेस, तो इसका नाम तो हमारी लिस्ट में होना ही था। एक दो दिन के वीकेंड के लिए आप इस जगह का प्लान कर सकते हैं और जब वक्त सही हो, तो यहाँ की यात्रा कर सकते हैं।
किसके लिए है बेस्ट
ये जगह पहाड़ प्रेमियों के लिए है, जो आप पक्का हो; उनके लिए भी जिनको लग्ज़री ज़िन्दगी जीने का मन है, जो आपको पक्का है। जो थोड़ा ज़्यादा पैसा खर्च करके पहाड़ों पर एक अच्छा दिन गुज़ारना चाहते हैं, जिसकी इच्छा आपको इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद हो जाएगी।
क्या है चैल के बारे में ख़ास
अपने इंटीरियर डिज़ाइन के कारण चैल आपकी आँखों को ख़ूब भाता है। एक राजमहल में हर चीज़ अपने हिसाब से करीने से लगाई जाती है, अगर वो चीज़ वहाँ है तो ज़रूर उसका कोई महत्त्व होगा। कुछ ऐसा ही आपको यहाँ देखने मिलेगा। दुनिया भर की कई पेंटिंग का कलेक्शन यहाँ पर बहुत सुन्दर तरह से सजाया गया है, जो चैल पैलेस को औरों से अलग करता है।
इसके साथ बहुत हद तक अव्वल दर्जे का फ़र्नीचर, बड़ी झोपड़ियाँ, लॉन टेनिस कोर्ट, बैडमिंटन कोर्ट, लॉन और बच्चों के खेलने का पार्क इसको अपने आप में पूरा करता है। इसके बगल में बड़े बड़े जंगलों में आप हाइकिंग के लिए निकल सकते हैं, ट्रेकिंग के लिए भी जा सकते हैं।
कई प्रकार के कमरे हैं जहाँ आप कम दाम में भी ठहर सकते हैं। किफ़ायती कमरों में हिमनील ब्लॉक हैं, लग्ज़री सूट भी हैं और इसके साथ रॉयल कमरे भी उपलब्ध हैं जैसे कि वज़ीर रूम, दीवान रूम, राजकुमारी रूम, राजकुमार रूम, महारानी रूम और महाराजा रूम।
प्राइवेट कॉटेज के अलग से इंतज़ामात हैं, जैसे कि लॉग हट, वुडरोज़, राजगढ़ और मोनाल कॉटेज। ये सभी कॉटेज मुख्य बिल्डिंग से 300 से 1,000 मी0 दूरी पर उपलब्ध हैं।
क़ीमत
जितना चम्मच शक्कर, उतनी मीठी चाय। पैलेस में रेस्तराँ, बार, कैफ़े, कॉन्फ़्रेंस हॉल, ड्राइव-इन पार्किंग, केबल टीवी, बिलियर्ड्स रूम, लॉन टेनिस, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, वीडियो गेम्स, गिफ़्ट शॉप, लॉन्ड्री सर्विस, टैक्सी, बच्चों के खेलने का पार्क और साथ ही ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर भी हैं।
अगर आप प्राइवेट कॉटेज में ठहरना चाहते हैं, तो उनके दाम अलग टेबल पर हैं।
खानपान और स्वाद
रेस्तराँ में ढेरों क़िस्म का खाना मिलता है, जैसे कि कॉन्टिनेंटल, मुग़लई और भारतीय क्विज़ीन। लेकिन मेरी मानो तो हिमाचली खाना ज़रूर से ट्राय करो, जैसे कि माद्रा, धाम और खाटा इत्यादि।
कब जाना चाहिए चैल
ठहरने की बात करें तो चैल पैलेस पूरे साल ही आगन्तुकों के स्वागत को तैयार रहता है, लेकिन नवम्बर से फ़रवरी के महीनों में सर्दियों में घूमने का प्लान बना सकते हैं आप। गर्मियों के मौसम में आप आएँगे तो बढ़िया रहेगा। मॉनसून में आना छोड़ सकते हो आप, क्योंकि सड़कों का जो हाल है वो आप को भी पता है। इसके साथ एक सलाह और है कि आने से पहले होटल में बुकिंग करने के लिए उनको कॉल पर ज़रूर से बता दें, ताकि पहुँचते ही आपके लिए कमरा खाली हो।
नज़दीक में घूमने के लिए ख़ास
पूरा पैलेस ही बहुत ख़ूबसूरत है। आप इसके अलावा ट्रेकिंग और हाइकिंग के लिए चूर और शिमला निकल सकते हैं। यहाँ से गिरी नदी 24 किमी0 की दूरी पर है।
सिध बाबा का मंदिर
होटल से महज़ 1.5 किमी0 पर सिध बाबा का मंदिर है। इसे महाराजा भूपिंदर सिंह ने बनवाया था। एक सपने में आकर किसी साधु ने उनको मंदिर बनवाने की आज्ञा दी और आज वो मंदिर आपके सामने है। होटल यहाँ के लिए टैक्सी भी करवाता है।
चैल क्रिकेट ग्राउंड
अंग्रेज़ों के ज़माने में रॉयल और ब्रिटिश परिवार यहाँ क्रिकेट खेलने आते थे। होटल से 3 किमी0 दूर ये पोलो और क्रिकेट के मैदान आज भी दुनिया के सबसे बड़े खेल के मैदानों में शुमार हैं।
चैल वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी
घोरावल, कक्कर, सांभर, जंगल में घूमने और चहकने वाले लाल तीतर पैलेस के आसपास की ख़ूबसूरती बढ़ाते हैं। होटल से आपको यहाँ सफ़ारी के लिए गाड़ी उपलब्ध हो जाएगी।
कैसे पहुँचें चैल पैलेस
सबसे नज़दीकी मेट्रो शहर दिल्ली का है।
हवाई मार्ग- चैल का सबसे नज़दीकी चंडीगढ़ हवाई अड्डा (120 किमी0) है। यहाँ से आपको होटल की टैक्सी मिल जाएगी। दिल्ली से चंडीगढ़ का हवाई किराया ₹1400 तक होगा।
सड़क मार्ग- दिल्ली से 8-10 घंटे में चैल तक 336 किमी0 की दूरी निपट जाएगी। अगर आप शिमला में हैं तो वहाँ से एक घंटा लगेगा।
दिल्ली से शिमला की बस आपको ₹800 तक में मिल जाएगी। वहाँ से आपको दूसरी बस चैल के लिए करनी पड़ेगी।
ट्रेन मार्ग- सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन कालका (KLK) है जिसके लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से ट्रेन मिल जाएगी। स्लीपर का किराया ₹240 और सेकेण्ड स्लीपर किराया ₹150 है। एसी 3 टियर का किराया ₹610 है।
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