मध्य प्रदेश की एक और बुलंद जगह, खुद में समेटे है गौरवशाली इतिहास

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Photo of मध्य प्रदेश की एक और बुलंद जगह, खुद में समेटे है गौरवशाली इतिहास by Rishabh Dev

घुमक्कड़ी सिर्फ उन जगहों पर जाना नहीं है जिसके बारे में अच्छे से जानते हैं। घुमक्कड़ी नई जगहों पर जाने का नाम है। घुमक्कड़ी एक खोज की तरह है। जिसमें घूमने वाले नई-नई जगहों पर जाते हैं और दुनिया को उस जगह के बारे में बताते हैं। जिसके बाद लोग उस जगह को देखने के लिए जाते हैं। घुमक्कड़ी न हो तो ये दुनिया नीरस हो जाएगी। अग आप ऐसी ही किसी नई जगह पर जाना चाहते हैं तो आपको मध्य प्रदेश की छोटी-सी जगह पर जाना चाहिए, धुबेला।

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धुबेला मध्य प्रदेश का एक छोटा-सा गाँव है। मंदिरों के लिए लोकप्रिय खजुराहो से लगभग 65 किमी. की दूरी पर ये छोटा-सा गाँव बसा है। इस छोटे-से गाँव में इतनी ऐतहासिक जगह हैं कि आप हैरान रह जाएंगे। किसी समय पर धुबेला महाराजा छत्रसाल की राजधानी हुआ करती थी। महाराजा छत्रसाल ने मुगल शासत औरंगजेब से युद्ध लड़ा था। उन्होंने ही इस जगह पर कई ऐतहासित स्मारक बनवाये। बुंदेलखंड की इस बुलंद जगह पर देखने के लिए बहुत कुछ है।

1- धुबेला म्यूजियम

धुबेला की सबसे लोकप्रिय जगह है, म्यूजियम। इस म्यूजियम को महाराजा छत्रसाल के दरबार की इमारत में स्थापित किया गया है। इस म्यूजियम में आप धुबेला के आसपास की मूर्तियां और शिलालेखों को देख सकत हैं। 1955 में स्थापित इस संग्रहालय का उद्घाटन भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने किया था। इस म्यूजियम में आप धुबेला के इतिहास को अच्छी तरह से जान और देख पाएंगे। संग्रहालय की 8 गैलरियों में बहुत कुछ देखने को मिलेगा।

2- मस्तानी महल

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धुबेला संग्रहालय के पास में ही मस्तानी महल है। मस्तानी महाराजा छत्रसाल की बेटी थीं और बाद में बाजीराव पेशवा की पत्नी बनीं। महाराजा छत्रसाल ने मस्तानी के लिए ही इस महल को निर्माण करवाया था। दो मंजिला मस्तानी महल के अंदर एक छोटा-सा आंगन है। महल अंदर से कुछ-कुछ खंडहर भी हो गया है। महल की सबसे ऊंची जगह से इस हरियाली से भरी जगह के खूबसूरत नजारे को भी देख सकते हैं।

3- कमलापति महल

मस्तानी महल के बाद आप धुबेला में कमलापति महल को देख सकते हैं। तालाब के दूसरी तरफ पहाड़ों की गोद में स्थित ये महल कारीगरी का बेहद शानदार नमूना है। कमलापति छत्रसाल की पहली रानी थीं। इस खूबसूरत महल की दीवारों पर 300 साल पुरानी 180 पेंटिंह बनी हुई हैं। इसके अलावा आप छत्रसाल के बेटे और उनके बाद राजा बने ह्रदयशाह के महल को भी देख सकते हैं।

4- शीतलगढ़ी किला

धुबेला में कई जगह तो ऐसी हैं जो काफी हद खंडहर हो चुकी हैं लेकिन घुमक्कड़ होने के नाते भी आपको उस जगह को देखना चाहिए। धुबेला में कमलापति महल के आगे ऐसा ही एक शीतलगढ़ी किला है। यहाँ आपको किले के कई स्तंभ और आंगन देखने को मिलते हैं। शीतलगढ़ी ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ से आपको दूर-दूर तक का शानदार नजारा देखने को मिलता है।

5- अन्य जगहें

इन लोकप्रिय जगहों के अलावा कुछ जगहें ऐसी हैं जिनके बारे में कम लोगों को पता है। धुबेला में ऐसी ही एक जगह है, गुरू प्राणनाथ की समाधि। प्राणनाथ महराजा छत्रसाल के गुरू और सलाहकार थे। इसके अलावा पास में महाराजा छत्रसाल की समाधि है जिसे बाजीराव पेशवा ने बनवाई थी। परिस में छत्रसाल के घोड़े भलेभाई की समाधि है। कहा जाता है कि महाराज की मृत्यु के बाद घोड़े ने भी अपने प्राण त्याग दिये थे। बुंदेलखंड की इस अनछुई जगह पर हर घूमने वाले को एक बार जरूर आना चाहिए।

कैसे पहुँचे?

फ्लाइट से: अगर आप फ्लाइट से धुबेला आने का प्लान बना रहे हैं तो सबसे नजदीकी खजुराहो एयरपोर्ट है। खजुराहो से धुबेला लगभग 65 किमी. की दूरी पर है। आप बस से या टैक्सी बुक करके खजुराहों से धुबेला पहुँच सकते हैं।

ट्रेन से: यदि आप ट्रेन से धुबेला जाने का प्लान बना रहे हैं तो सबसे निकटतम छतरपुर रेलवे स्टेशन है। छतपुर से धुबेला लगभग 25 किमी. की दूरी पर है।

वाया रोड: आप धुबेला सड़क मार्ग से भी पहुँच सकते हैं। खजुराहो और झांसी दोनों तरफ से आपको धुबेला के लिए बसें मिल जाएंगी। अगर आपके पास खुद की गाड़ी है तब तो धुबेला पहुँचने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।

कब जाएं?

बुंदेलखंड के इस इलाके में गर्मी बहुत तेज पड़ती है इसलिए गर्मियों के मौसम में इस जगह पर आने की गलती तो बिल्कुल न करें। अगर आपको धुबेला को अच्छे से देखना है तो सर्दियों के मौसम में यहाँ आने का प्लान बनाना चाहिए। दिसंबर से फरवरी के मौसम में आप इस जगह को अच्छे से घूम पाएंगे। धुबेला में ठहरने के लिए कुछ जगहें हैं लेकिन अगर आपको यहाँ कोई जगह पसंद नहीं आती है तो आप छतरपुर में ठहर सकते हैं।

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