बौद्ध धर्म के चार महत्वपूर्ण स्थान जहाँ जाना हर बोधी के लिए जरूरी है- जानिए क्या है इनका ईतिहास

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Photo of बौद्ध धर्म के चार महत्वपूर्ण स्थान जहाँ जाना हर बोधी के लिए जरूरी है- जानिए क्या है इनका ईतिहास by Dr. Yadwinder Singh

बौद्ध धर्म के अनुसार हर बोधी को अपने जीवन में निम्नलिखित चार जगहों की यात्रा जरूर करनी चाहिए|
1. लुम्बिनी - जहाँ महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ है | यह जगह नेपाल देश में है|
2. बोधगया- जहाँ महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ है | यह जगह भारत के बिहार राज्य में है|
3. सारनाथ- जहाँ ज्ञान प्राप्ति के बाद महात्मा बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन दिया| यह भारत के उत्तर प्रदेश में वाराणसी के पास है|
4. कुशीनगर- जहाँ महात्मा बुद्ध को महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ| इसी जगह पर उन्होंने शरीर का त्याग किया|
मैं बोधी तो नहीं है लेकिन घुमक्कड़ के रूप में इन चारों जगहों पर दर्शन कर लिए है|

महात्मा बुद्ध

Photo of Lumbini by Dr. Yadwinder Singh

1. लुम्बिनी -  लुम्बिनी भगवान बुद्ध की जन्मसथली है जो नेपाल देश में है| भगवान बुद्ध का 564 ईसवीं पूर्व में लुम्बिनी में हुआ| शाकया राज्य की रानी मायादेवी उनकी माता थी और कपिलवस्तु के शाकया राजा सुदौदन उनके पिता थे| लुम्बिनी बौद्ध धर्म का बहुत पवित्र तीर्थ स्थल है| सारी दुनिया में बसे हुए बौद्ध धर्म के अनुयायी लुम्बिनी यात्रा के लिए आते हैं| हर बौद्ध के लिए जिन चार जगहों की यात्रा जरूरी है उसमें से लुम्बिनी भी एक है| बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर बाकी तीन सथान है| आईये जानते हैं अगर लुम्बिनी यात्रा पर आए तो कौन सी पांच महत्वपूर्ण जगहों पर जाया जाए |
1. मायादेवी मंदिर - यह वह पवित्र जगह पर बना हुआ है जहाँ भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था| उस समय यहाँ पर शाल वृक्ष के जंगल थे| महात्मा बुद्ध की माता मायादेवी कपिलवस्तु से अपने मायके जा रही थी तो वह इस जगह की सुंदरता को देखकर यहाँ शाल वृक्ष के जंगल में रुके| यहाँ पर ही मायादेवी को प्रसवपीड़ा शुरू हो गई तो इसी जगह पर मायादेवी ने भगवान बुद्ध को जन्म दिया| आज यहाँ पर खूबसूरत मंदिर बना हुआ है जो यूनैसको की विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल हैं| मंदिर के अंदर भगवान बुद्ध जन्म स्मारक शिला पत्थर है | ऐसा कहा जाता है यह जगह ही भगवान बुद्ध का जन्म सथान है| मायादेवी मंदिर के अंदर फोटोग्राफी करना मना है| लुम्बिनी में मायादेवी मंदिर सबसे महत्वपूर्ण जगह है| इस मंदिर के सामने एक पवित्र तालाब है जिसमें मायादेवी ने भगवान बुद्ध को जन्म देने से पहले स्नान किया था|
2. अशोक स्तम्भ लुम्बिनी- बौद्ध धर्म अपनाने के बाद सम्राट अशोक ने 249 ईसवीं पूर्व में लुम्बिनी नेपाल की यात्रा की थी | सम्राट अशोक ने ही यहाँ पर अशोक स्तम्भ  सथापित किया था जिसके ऊपर लिखा गया है कि भगवान बुद्ध का जन्म यहाँ पर हुआ है| इसी स्तम्भ को मानकर यह पुष्टि होती है कि भगवान बुद्ध का जन्म लुम्बिनी का है |
3. लुम्बिनी का मोनेस्ट्री क्षेत्र - लुम्बिनी में मायादेवी मंदिर के पीछे 1.6 किलोमीटर क्षेत्र में बीच में एक नहर बना कर दोनों साईड में अलग अलग देशों ने खूबसूरत मोनेस्ट्रीस का निर्माण करवाया है|नहर के पूर्व वाले क्षेत्र में आपको श्रीलंका, कम्बोडिया, थाईलैंड, म्यांमार, भारत, नेपाल आदि देशों की बनाई गई खूबसूरत मोनेस्ट्रीस देखने के लिए मिलेगी जिसे देखकर आप उस देश की भवन निर्माण कला के दर्शन कर सकते हो| नहर के पश्चिमी भाग में जर्मन, चीन, कोरियाई, वियतनाम, सिंगापुर आदि देशों की बनाई गई मोनेस्ट्रीस को देख सकते हो |

लुम्बिनी में घूमते समय घुमक्कड़

Photo of Maya Devi Temple by Dr. Yadwinder Singh

महात्मा बुद्ध

Photo of Maya Devi Temple by Dr. Yadwinder Singh

माया देवी मंदिर लुम्बिनी नेपाल

Photo of Maya Devi Temple by Dr. Yadwinder Singh

कैसे पहुंचे-लुम्बिनी में आप बस मार्ग से पहुँच सकते हो सड़क मार्ग से लुम्बिनी से नेपाल की राजधानी काठमांडू 288 किमी, पोखरा 209 किमी, गोरखपुर 135 किमी और वाराणसी 309 किमी दूर है| लुम्बिनी के पास एक एयरपोर्ट भी बना हुआ है जो जहाँ से काठमांडू के लिए फलाईट मिल जाऐगी |

2. बोध गया- बिहार राज्य में बोध गया बौद्ध धर्म के अनुयायिओं के लिए बहुत पवित्र जगह है| बोध गया का नाम यूनैसको वर्ल्ड हैरीटेज साईट में भी आता है| बोध गया का नाम भी बौद्ध धर्म के चार महत्वपूर्ण जगहों में से एक है| ऐसा माना जाता है आज से 2600 साल पहले राजकुमार सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त हुआ और वह बुद्ध बन गए| बोधगया में बोधी वृक्ष के नीचे बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ| हर साल पूरे विश्व से लाखों बोधी बोध गया की यात्रा करते हैं|
महाबोधि मंदिर - बोधगया में सबसे महत्वपूर्ण जगह है महाबोधि मंदिर | यह वह जगह है जहाँ पर बोधी वृक्ष के नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था| महाबोधि मंदिर का निर्माण छठीं शताब्दी में किया गया था| यह मंदिर यूनैसको वर्ल्ड हैरीटेज साईट में भी शामिल हैं| आप इस पवित्र मंदिर में मोबाइल या कैमरा नहीं लेकर जा सकते|
इसके अलावा भी बोध गया में बहुत सारे बौद्ध मंदिर बने हुए हैं जिनकी आप यात्रा कर सकते हो| बोधगया में महात्मा बुद्ध का 25 मीटर ऊंचा बुत भी बना हुआ है| इसके अलावा मयुजियिम भी देख सकते हो|

महाबोधि मंदिर बोध गया बिहार

Photo of Mahabodhi Temple by Dr. Yadwinder Singh

बोधगया में घुमक्कड़

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बोध गया कैसे पहुंचे- यहाँ पहुंचने के लिए आपको बिहार के गया पहुंचना होगा| गया जंक्शन रेलवे मार्ग द्वारा भारत के अलग अलग शहरों से जुड़ा हुआ है| बस मार्ग से भी आप गया, पटना, वाराणसी आदि शहरों से बोध गया आ सकते हो| वैसे बोधगया में अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट भी बना हुआ है कयोंकि हर साल विदेशी टूरिस्ट भी बोध गया की यात्रा करने के लिए आते हैं| रहने के लिए बोधगया में आपको हर बजट के होटल आदि मिल जाऐंगे|

3. सारनाथ- उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर से 10 किमी दूर सारनाथ बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण स्थान है| सारनाथ का नाम भी बौद्ध धर्म के चार महत्वपूर्ण स्थानों में आता है| ऐसा कहा जाता है बोध गया में ज्ञान प्राप्ति के बाद महात्मा बुद्ध सारनाथ में आए थे जहाँ बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन दिया था| सम्राट अशोक ने महात्मा बुद्ध की याद में सारनाथ में बोधी स्तूपों का निर्माण करवाया था| सारनाथ में भी हर साल लाखों टूरिस्ट आते हैं |
दामेख स्तूप- यह वह जगह है जहाँ पर महात्मा बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन दिया था| इसका निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया था| अपनी सारनाथ यात्रा के समय मैं भी इस जगह को देखने आया था|
चौखंडी स्तूप- यह वह जगह है जहाँ पर महात्मा बुद्ध अपने शिष्यो से आकर मिले थे| यहाँ पर भी एक स्तूप बना हुआ है|
इसके अलावा सारनाथ में एक बहुत बढ़िया मयुजियिम बना हुआ है|

दामेख स्तूप- सारनाथ उत्तर प्रदेश

Photo of Sarnath by Dr. Yadwinder Singh

सारनाथ

Photo of Sarnath by Dr. Yadwinder Singh

सारनाथ कैसे पहुंचे- यहाँ पहुंचने के लिए आपको पहले उत्तर प्रदेश के मशहूर शहर वाराणसी आना होगा| वाराणसी रेलवे मार्ग से भारत के अलग अलग शहरों से जुड़ा हुआ है| वाराणसी में एयरपोर्ट भी है| आप बस मार्ग से भी पटना, लखनऊ, कानपुर आदि शहरों से वाराणसी पहुंच सकते हो| वाराणसी से सारनाथ मात्र 10 किमी दूर है| आप आराम से सारनाथ घूमकर वापस वाराणसी आ सकते हो या सारनाथ में रह सकते हो| रहने के लिए आपको वाराणसी में हर बजट के होटल आदि मिल जाऐंगे|

सारनाथ में घुमक्कड़ अपने दोस्त के साथ

Photo of सारनाथ by Dr. Yadwinder Singh

4. कुशीनगर- जहाँ महात्मा बुद्ध को महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ| इसी जगह पर उन्होंने शरीर का त्याग किया|
मैं बोधी तो नहीं है लेकिन घुमक्कड़ के रूप में इन चारों जगहों पर दर्शन कर लिए है| कुशीनगर में हम निम्नलिखित जगहों को देख सकते हैं|
1. महापरिनिर्वाण मंदिर - यह वह स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध ने अपनी देह का त्याग किया था और महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था| इस जगह को सामने लाने का श्रेय जनरल ए. कनिंघम और ए. सी.आई . कार्लिल को जाता है जिन्होंने 1861 ईसवीं में इस जगह की खुदाई की थी | भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा किए गए उत्खनन में इसकी पहचान की पुष्टि हुई| यह खूबसूरत मंदिर एक बड़े आकार के बाग में बना हुआ है| मुख्य मंदिर में लेटे हुए भगवान बुद्ध की मूर्ति बनी है| मुख्य मंदिर के साथ एक शानदार स्तूप बना हुआ है जिसे निर्वाण स्तूप कहा जाता है| यह स्तूप 2.74 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है| आप इस विशाल मंदिर में आप बहुत सारे प्राचीन अवशेष भी देख सकते हो| मंदिर परिसर के बाग में घूम सकते हो|
2. रामाभार स्तूप - यह वह जगह है जहाँ जहाँ भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार हुआ था| इस जगह पर 49 फीट ऊंचा एक विशाल स्तूप बना हुआ है| जिस जगह पर भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार हुआ था उस जगह पर मिट्टी का टीला बना कर ईटों की चिनाई से विशाल स्तूप बनाया गया है जिसे रामाभार स्तूप कहा जाता है| यहाँ आपको बहुत सारे बौद्ध लोग साधना करते हुए दिखाई देंगे| बौद्ध धर्म के अनुयायिओं के लिए यह जगह बहुत पवित्र है |

महात्मा बुद्ध महापरिनिर्वाण मंदिर कुशीनगर

Photo of Mahaparinirvana temple by Dr. Yadwinder Singh

महापरिनिर्वाण मंदिर कुशीनगर

Photo of Mahaparinirvana temple by Dr. Yadwinder Singh

कैसे पहुंचे- कुशीनगर पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन देवरिया है जो 35 किलोमीटर दूर है| गोरखपुर रेलवे स्टेशन जयादा बढिया विकल्प है जो यहाँ से 53 किमी दूर है| आप सड़क मार्ग से कुशीनगर पहुँच सकते हो| गोरखपुर 53 किमी, वाराणसी 286 किमी और लखनऊ 360 किमी दूर है|
वायु मार्ग में कसिया हवाई पट्टी 5 किमी और गोरखपुर एयरपोर्ट 46 किमी दूर है| रहने के लिए आपको कुशीनगर में बहुत सारे होटल आदि मिल जाऐगे|

कुशीनगर में घुमक्कड़

Photo of Kushinagar by Dr. Yadwinder Singh

रामाभार स्तूप- कुशीनगर

Photo of Kushinagar by Dr. Yadwinder Singh