जीरो वैली: पहाड़ों की वादियों में सुरमयी शाम का लेना है मजा, तो यहाँ एक बार आना तो बनता है

Tripoto
23rd Jul 2022
Photo of जीरो वैली: पहाड़ों की वादियों में सुरमयी शाम का लेना है मजा, तो यहाँ एक बार आना तो बनता है by Pooja Tomar Kshatrani
Day 1

अरुणाचल प्रदेश के लोअर सुबानसिरी जिले में समुद्रतल से 5500 फुट की ऊंचाई पर स्थित जीरो वैली एक पुराना और थोड़ा विचित्र सा शहर है। यहां हरे-भरे बांस के जंगल, नीले और हरे रंग के देवदार के पेड़ों और पहाड़ों के बीच धान के खेत बरबस ही आपका मन मोह लेते हैं। यह घाटी जितनी अपने समृद्ध वन्यजीव के लिए जानी जाती है, उतनी ही लोकप्रिय यहां के निवासियों- 'अपातिनी जनजाति' के लिए बताते हैं कि इसी जनजाति ने घाटी में धान की खेती शुरू की और सिंचाई के लिए नालीनुमा नहरों के चैनल बनाए। तो अगर आप जीरो वैली घूमने का प्लान बनाएं तो यहां की इन मशहूर जगहों को देखने का मौका मिस न करें।

जीरो वैली में घूमने की जगहें

1. टैली वैली वाइल्डलाइफ सेंचुरी

Photo of ZIRO VALLEY TOURISM - ARUNACHAL PRADESH by Pooja Tomar Kshatrani

ज़ीरो वैली से सिर्फ 32 किमी का सफर तय करके आप इस सेंचुरी पहुंच सकते हैं। हरे भरे नजारों से भरपूर, यह सेंचुरी फर्न, बांस, ऑर्किड, सिल्वर फ़िर और रोडोडेंड्रोन जैसे घने जंगलों से घिरा हुआ है जो ट्रैकिंग के लिए बेस्ट है।

2. तारिन फिश फार्म

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जीरो घाटी बहुत ही ऊंचाई पर स्थित है फिर भी यहां मछली पालन का काम किया जाता है। वैसे जीरो वैली में फूलों की खेती और आर्किड्स के कुछ बहुत ही दुर्लभ जाति की खेती होती है।

3. टिपी ऑर्किड रिसर्च सेंटर

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यह सेंटर में आकर आप लगभग आर्किड के 1000 प्रजातियों को देख सकते हैं जो वाकई अद्भुत होता है। इस जगह को देखना बिल्कुल मिस न करें।

4. जीरो पुतु

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आंखों के साथ इस जगह आकर आपका तन और मन भी खुश हो जाएगा। हर तरफ फैली हरियाली में सुकून से बैठने का तो मजा है ही लेकिन यहां के नजारों को कैमरे में कैद करना न भूलें। इस जगह को आर्मी पुतु के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि 1960 में यहां आर्मी केंटोनमेंट बनाया गया था।

5. पाको घाटी

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जीरो वैली के हरे-भरे नजारों के साथ ही अगर हिमालय की बर्फ से ढंकी चोटियां देखनी हैं तो पाको घाटी आएं। संकरी घाटी वाली इस जगह की खूबसूरती को यहां आकर ही महसूस किया जा सकता है।

6. ताले वैली

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जीरो घाटी से 32 किमी उत्तर-पूर्व की ओर ताले घाटी खासतौर से वाइल्ड लाइफ के लिए मशहूर है। जहां पशु-पक्षियों के साथ ही पेड़-पौधों की भी कई सारी वैराइटी देखने को मिलती है। ट्रैकिंग के शौकिनों के लिए भी ये जगह बहुत ही बेहतरीन है।

7. मेघना गुफा मंदिर

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मेघना गुफा मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और जीरो घाटी के बहुत ही नजदीक स्थित है। यहां पर भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आपको बहुत सी सीढियां चढ़ना पड़ेगा, जिसमें करीब दस मिनट का समय लग सकता है। इस पांच हजार साल पुराने मंदिर को देखने के बाद आपकी सारी थकान दूर हो जाएगी।

इसके अलावा यहां बोमडिला-सेप्पा, आलोंग-मैचुका, दापोरिजो-ताकसिंग, पासीघाट-तूतिंग, पासीघाट-मारीआंग और रामलिंगम और चाकू होते हुए बॉमडिला-दायमारा ट्रैक भी बहुत ही पॉप्युलर है।

एडवेंचर पसंद लोगों के लिए यहां रिवर रॉफ्टिंग की सुविधा भी अवेलेबल है। सियांग नदी में आप रॉफ्टिंग का मजा ले सकते हैं जिसका रास्ता कामेंग, सुबांसिरी और दिबांग नदियों से होकर गुजरता है।

अपतानी जनजाति की महिलाएं

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यहां जब आयेंगे तब आप देखेंगे कि अपतानी महिलाओं को एक टैटू बनवाया जाता है जिसमें नीली धारियां होती हैं जो आकार में चौड़ी होती हैं और सिर से नाक की नोक तक फैली होती हैं और ठोड़ी पर निचले होंठ के नीचे खड़ी पांच रेखाएं खींची जाती हैं। बालों को सिर के शीर्ष पर बड़े करीने से व्यवस्थित किया जाता है जिसे डिलिंग कहा जाता है।

जीरो वैली घूमने का बेस्ट सीज़न

वैसे तो जीरो वैली का मौसम पूरे साल ही घूमने के लिए परफेक्ट होता है आप यहां का प्लान गर्मियों से लेकर मानसून और सर्दियों में भी बना सकते हैं। लेकिन अक्टूबर से अप्रैल का मौसम सबसे बेस्ट माना जाता है। दिसंबर से जनवरी वैली में बहुत ज्यादा सर्दी होती है।

गर्मियों में: अप्रैल से जून में यहां का तापमान 6 से 20 डिग्री तक रहता है जिसमें आप नॉर्मल कपड़ों में यहां घूमने-फिरने का आनंद ले सकते हैं।

मानसून में: मानसून में यहां का तापमान 2 से 19 डिग्री के बीच रहता है लेकिन जीरो वैली तक पहुंचने के रास्ते में कई जगहों पर बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है जिस वजह से इस दौरान यात्रा करने से बचना चाहिए।

सर्दियों में: अक्टूबर से मार्च के बीच भी आप इस खूबसूरत जगह को एक्सप्लोर करने की प्लानिंग कर सकते हैं। हल्के-फुल्के ऊनी कपड़ों से काम चल जाएगा।

कैसे पहुंचे?

सड़क मार्ग: गुवाहाटी से जीरो तक के लिए रात में बसें चलती हैं। अरूणाचल प्रदेश राज्य रोड परिवहन निगम की बसें हफ्ते में चार दिन चलती हैं। वैसे आप नार्थ लखीमपुर या ईटानगर पहुंचकर यहां से टैक्सी कर जीरो वैली तक पहुंच सकते हैं।

हवाई यात्रा: असम का जोरहाट निकटतम हवाई अड्डा है, जहां से कई घरेलू उड़ानें हैं। वहां से बस या ट्रेन से जीरो घाटी तक पहुंच सकते हैं।

ट्रेन यात्रा: जो ट्रेन से यात्रा के इच्छुक हैं वे असम के उत्तर लखीमपुर रेलवे स्टेशन तक पहुंच सकते हैं, जहां से टैक्सी और बसें 4-5 घंटे में जीरो वैली पहुंचा देती हैं।

जरूरी जानकारी

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यात्रा पर जाने से पहले ध्यान रखने योग्य सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रतिबंधित क्षेत्र होने की वजह से अरुणाचल प्रदेश जाने के लिए घरेलू पर्यटकों को इनर लाइन परमिट लेना जरूरी है, जबकि विदेशी सैलानियों को प्रोटेक्टेड एरिया पास लेना होता है। यह सब रेजिडेंट कमिश्नर के कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है, जो दिल्ली, कोलकाता, गुवाहाटी में स्थित है।

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