यादों को संजोकर रखने के लिए हम क्या कुछ नहीं करते हैं। तस्वीरें उतारते हैं, विडियोज़ बनाते हैं और डायरी भी लिखते हैं। हर घुम्मकड़ के अपने तरीके होते हैं। पर ये तरीके केवल अपनी यादों को रिकॉर्ड करने के लिए अच्छे हैं। ऐसे ही किसी देश की परंपरा और प्राचीन इतिहास को समझने के लिए म्यूज़ियम एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। एक संग्रहालय कई पहलुओं को एक जगह इकट्ठा करके रखता है। कुछ म्यूज़ियम केवल इतिहास के ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं तो कुछ अलग-अलग विषयों पर केन्द्रित होते हैं।
भारत में भी ऐसे कई छोटे बड़े नए पुराने म्यूज़ियम हैं जो देखने लायक है। आज हम आपको भारत के कुछ ऐसे संग्रहालयों के बारे में बताने जा रहें है जो अपने नए कांसेप्ट और दिलचस्प फैक्ट के लिए जाने जाते हैं। सालों पहले बनवाए गए ये संग्रहालय आज मुख्य पर्यटन केंद्रों के रूप में उभर चुके हैं।
1. सुलभ इंटरनेशनल टॉयलेट म्यूज़ियम, नई दिल्ली
दिल्ली को देश का दिल ऐसे ही नहीं कहा जाता है। यहां पर घूमने-फिरने से लेकर शॉपिंग करने का अलग ही अनुभव है। अगर आप दिल्ली में देखने लायक चीज़ों की बात करें तो महावीर एन्क्लेव का सुलभ इंटरनेशनल टॉयलेट म्यूज़ियम आपकी लिस्ट में ज़रूर होना चाहिए। इस म्यूज़ियम में टॉयलेट से जुड़ी सभी चीज़ों और तथ्यों का बढ़िया और बड़ा कलेक्शन है। इस जगह के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक बताते हैं कि यह म्यूज़ियम टॉयलेट का आज तक का ऐतिहासिक विकास का एकदम सटीक विवरण है।
यहां टॉयलेट से संबंधित सामाजिक रीति - रिवाजों, शिष्टाचार, सनिटाइजेशन के साथ साथ और भी विभिन्न समस्याओं के बारे में जानकारी मिलती है। इतना ही नहीं यहां पर टॉयलेट से संबंधित चीज़ों को सुंदर कविताओं और तस्वीरों के ज़रिए दिखाया गया है। म्यूज़ियम में आकर आपको पता चलेगा फ्रेंच लोगों के पास बुक शेल्फ और रोमन सम्राटों के पास सोने और चांदी से बने टॉयलेट होते थे। विश्व के सबसे विचित्र संग्रहालयों में से एक इस म्यूज़ियम को एक बार देखना तो बनता है।
देश से लेकर दुनिया भर में अलग-अलग कॉन्सेप्ट को लेकर म्यूज़ियम बने हुए हैं। अक्सर पढ़ाई के लिए स्कूल में इन म्यूज़ियम में घुमाया भी जाता है। पर क्या आप विश्वास करेंगे कि देश में ऐसा भी एक म्यूज़ियम है जहां आप इंसानी दिमाग को ना सिर्फ देख बल्कि अपने हाथ में भी उठा सकते हैं? ऐसा ही एक म्यूज़ियम नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज के परिसर में मौजूद है। डॉ. शंकर और उनकी टीम द्वारा बनाया गया यह यूनीक ब्रेन म्यूज़ियम को अब आम लोगों और छात्रों के लिए खोल दिया गया है।
यहां की टीम लोगों को म्यूज़ियम में आने के लिए प्रेरित करती है जिससे लोग यहां आकर ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताएं और इंसानी दिमाग से जुड़ी बातें जान पाएं। हैरानी की बात ये है कि यहां पर दिमाग से जुड़ी कई बीमारियों से पीड़ित लोगों के भी दिमाग को डिस्प्ले के लिए रखा गया है। इन सबके अलावा यहां इंसानों के शरीर के अलग-अलग पार्ट जैसे किडनी, हार्ट भी हैं। ख़ास बात ये है टूर के बाद आपको असली ह्यूमन ब्रेन को हाथ में उठाने का मौका भी दिया जाता है। अगर आप भी एक लाइफटाइम एक्सपीरिएंस लेना चाहते हैं तो आपको इस म्यूज़ियम में ज़रूर आना चाहिए।
3. सुधा कार म्यूज़ियम, हैदराबाद
हैदराबाद का सुधा कार म्यूज़ियम क्रिएटिव लोगों के लिए बढ़िया जगह है। इस म्यूज़ियम में जितनी भी कारें हैं सभी का आकार रोज़मर्रा में इस्तेमाल किए जाने वाले सामान की तरह ही है। इस म्यूज़ियम की स्थापना सुधाकर यादव ने की है और यहां दिखने वाली हर गाड़ी को उन्होंने अपने हाथ से बनाया है। सुधाकर बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही गाड़ियों की तरफ एक अलग किस्म का रुझान था। 14 साल की उम्र में उन्होंने कूड़े से सामान जोड़कर अपनी पहली गाड़ी बनाई जिसे गिनीज़ बुक में भी दर्ज किया जा चुका है। अपने इसी लगाव के चलते सुधाकर अब तक विश्व की सबसे लंबी ट्राई साइकिल, पर्स के शेप की गाड़ी तक बना चुके हैं। हाल ही में कोरोना के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए उन्होंने वायरस के शेप की भी गाड़ी बनाई है। म्यूज़ियम में रखी सभी गाड़ियों पर उनके बारे में जानकारी लिखी गई है जिसमें उनके निर्माण में लगा समय और स्पीड जैसी इंफॉर्मेशन दी गई है।
4. आईएनएस कुर्सुरा सबमरीन म्यूज़ियम, विशाखापट्टनम
सेवा मुक्त होने के बाद आईएनएस कुर्सूरा को विशाखापट्टनम की एक बीच पर संग्रहालय में बदल दिया गया है। ये दक्षिण एशिया का पहला सबमरीन म्यूज़ियम है। 2002 में आम लोगों के लिए खोले गए इस म्यूज़ियम के अंदर वो सब कुछ है जो कि एक सबमरीन में होता है। सबमरीन के अंदर की बनावट में कोई बदलाव नहीं किया गया है जिससे यहां आने वाले सभी लोगों को एक सबमरीन के अंदर होने का एहसास होता है। म्यूज़ियम में सबमरीन से जुड़ी ऐसी कई चीजें हैं जो देखने लायक है। इसके अलावा सबमरीन के अंदर रहने, खाने और सोने से लेकर काम किए जाने तक की सभी प्रक्रियाओं को भी स्टेच्यू की मदद से दिखाया गया है।
जोधपुर का अरना-झरना मरूस्थल संग्रहालय डेजर्ट म्यूज़ियम के नाम से भी मशहूर है। इस म्यूज़ियम की स्थापना पद्मभूषण कोमल कोठारी ने की थी पर बीच में ही उनकी मृत्यु हो जाने के बाद इस म्यूज़ियम को उनके बेटे ने पूरा करवाया। ये म्यूज़ियम कोमल कोठारी जी के लिए एक ट्रिब्यूट की तरह है। म्यूज़ियम में राजस्थान के जनजीवन, पर्यावरण और कलाओं का बढ़िया संग्रह है जिसे अलग-अलग तरह की झांकियों की मदद से दिखाया गया है।
आमतौर पर सब म्यूज़ियम एक बंद जगह पर होते हैं पर जोधपुर का ये म्यूज़ियम इन सबसे अलग है। इस म्यूज़ियम की पहचान ही ये है कि यह एक बड़ी जगह में फैला हुआ है। इस संग्रालय में राजस्थान के लोक गीतों की 25 घंटों की रिकॉर्डिंग भी मौजूद है जिसका अब डिजिटलाइजेशन कर दिया गया है। म्यूज़ियम का मुख्य आकर्षण यहां पर मिलने वाला झाड़ुओं का कलेक्शन भी है। यहां 160 से भी ज़्यादा तरह की झाड़ू हैं जो राजस्थान की अलग-अलग हिस्सों से हैं।
6. इंड्रोडा डायनासोर और फॉसिल पार्क, गांधीनगर
क्या आप जानते हैं भारत का अपना एक जुरासिक पार्क है? नहीं जानते हैं तो अब जान लीजिए। गुजरात के गांधीनगर का इंड्रोडा डायनासोर और फॉसिल पार्क वो जगह है जिसको दुनियाभर में डायनोसोर के अंडों की दूसरी सबसे बड़ी हैचरी माना जाता है। इस पार्क की देखभाल गुजरात इकोलॉजिकल एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन करती है और यह भारत का एकमात्र डायनोसोर पार्क है। इस पार्क में चिड़ियाघर, वनस्पति उद्यान से लेकर अनेक समुद्री जानवरों के कंकाल भी हैं। सभी डायनासोर की लाइफ साइज़ आकृति बनाई गई है जिससे देखने में लगता है अगर आज डायनोसोर होते तो इसी जगह पर रहते। हमारी मानिए तो सभी जुरासिक पार्क प्रेमियों को एक बार इस म्यूज़ियम को ज़रूर देखना चाहिए।
क्या आप भी ऐसे किसी दिलचस्प म्यूज़ियम में गएं हैं, हमें कमेंट बॉक्स में बताएं।