दर्जिनिया ताल: प्रकृति प्रेमियों के लिए खास है दर्जनिया ताल की सैर

Tripoto
16th Jul 2019
Photo of दर्जिनिया ताल: प्रकृति प्रेमियों के लिए खास है दर्जनिया ताल की सैर by Ravi Singh

मगरमच्छों का घर दर्जनिया ताल जहाँ रहते है 450 से भी ज्यादा मगरमच्छ

Day 1

जंगल के राजा के लिए जाना जाता है बाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व,

भारत नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में बसता है मिनी बाबाधाम व गजेन्द्र मोक्ष धाम

प्रिय मित्रों...

अगर आप जंगल और जंगली जानवरों को देखने के शौकीन है तो यह जगह आपके लिए बेहद खास है। भारत नेपाल की सीमा से सटे सोहगी बरवां वन्य जीव प्रभाग के जंगलों और नारायणी गंडक नदी के बीच स्थित दर्जनिया ताल यानी की मगरमच्छों का बसेरा, जहाँ पर्यटन के अनगिनत रंग बिखरे पड़े है। चहुओर फैली हरियाली और शांत सर्पीली बहती सदानीरा नारायणी के लहरों के मधुर स्वरों के बीच जंगलों से घिरे एक ताल में अगर आपको एक साथ एक दो नहीं बल्कि दर्जनों मगरमच्छ दिख जाए, तो आपके यात्रा का आनन्द शायद दुगना हो जायेगा।इसलिए आज हम आपको ऐसे ही एक सीमित बजट के बेहतरीन पर्यटन स्थलों के बारे में बताने जा रहे है।

भारत नेपाल सीमा के अन्तिम छोर पर बसा यूपी के महराजगंज का अन्तिम गाँव भेडिहारी का कटान टोला जहाँ आदमी के साथ मगरमच्छ भी रहते है। चारो ओर से जंगलों से घिरे इस गाँव से सटे स्थित एक ताल में करीब 450 मगरमच्छ रहते है। जिसे सुबह शाम आसानी से देखा जा सकता है।इसके अलावा ताल से थोड़ी दूरी पर बहने वाली नारायणी गंडक नदी, जिसमे डॉलफिन (गंगा चिता)व घड़ियाल भी देखे जा सकते है।इसके अलावा दशकों पूर्व 60 के दशक में बना बाल्मिकिनगर बैराज, जो पहाड़ से उतर कर मैदानी भाग की ओर बढ़ती नारायणी की तीव्र लहरों पर नियंत्रण करने के साथ साथ सिचाई हेतु यूपी और बिहार के लिए निकाली गई गंडक प्रणाली की नहरों और नहर के ज़रिए तराई के आंचल में जीवन दाईनी बनानी नारायणी नदी का शौम्य सुन्दर दृश्य। इसके साथ ही बाल्मीनार टाईगर रिजर्व, रामायण काल से जुड़ा बाल्मिकी आश्रम व नेपाल के त्रिवेणी धाम में दक्षिण भारतीय शैली द्वारा बनाया गया भव्य गजेन्द्र मोक्ष धाम का सफर आपके मन को प्रफुल्लित कर देगा।

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प्रकृति और वाईल्ड लाइफ के साथ खेतों में लहलहाते फसलों को देखना का अलग है मज़ा

बढ़ते प्रदूषण और प्रकृति से बढ़ती आम लोगों की दूरी के बीच जंगल, जंगली जानवर, पेंड, पौधे, नदी, पहाड़ और खेत खलिहानों के बीच एक दूसरे से मिलती भारत नेपाल की सांस्कृतिक विरासत को देखने का मौका एक साथ आपको महराजगंज के निचलौल ब्लॉक के अलावा शायद ही कहीं मिल सकता है। सुदूर ग्रामीणांचल में स्थित भारत नेपाल का यह सीमावर्ती क्षेत्र पर्यटन की अपार संभावनाओं को सहेजे बैठा है। यह इलाका भले किसी बडे पर्यटन स्थल के रुप में पुरी तरह से विकसित नहीं हुआ है लेकिन यहाँ के छोटे छोटें रंगों को सहेज कर पर्यटन के कैनवास पर एक सुखद चित्र बनाने का प्रयास अब जोर पकड़ने लगा है। हर दिन इन इलाकों में बडी संख्या में स्थानीय पर्यटक पहुँच रहे है। बुद्ध सर्किट में स्थित इस इलाकों के नेचुरल स्वरुप को हाल के दिनों में देखना आपके लिए बेदह खास हो सकता है।

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कैसे पहुँचें:-

भारत नेपाल की सीमा से लगने वाले महराजगंज जनपद के निचलौल तहसील स्थित दर्जनिया ताल पहुँचने के लिए आपको निचलौल पहुँचना होगा।निचलौल सड़क मार्ग, रेल मार्ग व हवाई मार्ग से भी पहुँचा जा सकता है।

गोरखपुर से 80 कि.मी. की दूरी पर स्थित निचलौल के लिए गोरखपुर से सीधी बस व टैक्सी सेवा उपलब्ध है।गोरखपुर ही यहाँ का नज़दीकी हवाई अड्डा भी है। जबकि रेल से भी यहा आसानी से पहुँचा जा सकता है। गोरखपुर नरकटियागंज मुजफ्फरपुर रेल रूट पर स्थित सिसवां बाजार रेलवे स्टेशन पर उतर कर यहाँ से 20 कि.मी. की दूरी पर स्थित निचलौल सवारी गाडी से पहुँचा जा सकता है।इसके बाद यहाँ से गाड़ी बुक कर दर्जनिया से त्रिवेणी व बाल्मीकीनगर का सफर पूरा किया जा सकता है।आप अपनी नीजी वाहन का भी प्रयोग कर सकते है।

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ऐसे बनाये रुट प्लान..

निचलौल पहुँचने के बाद सुबह सवेरे ही दर्जनिया ताल के लिए निकले, सोहगी बरवां वन्य जीव प्रभाग के निचलौल रेंज की जंगलों से गुजरते हुये करीब 13 किमी का सफर तय कर दर्जनिया ताल पहुँचे, यहाँ दर्जनिया ताल में मगरमच्छ देखने के बाद नारायणी नदी की छोर तक पहुँचे और वहाँ से नदी और नदी में लटकते जामुन के जंगलों के और पहाड़ का सुन्दर व्यू देखें और इसके बाद टेलफाल नहर पटरी के रास्ते करीब 5 किमी का सफर तय कर झुलनीपुर बार्डर पहुँचे यह भारत नेपाल का प्रमुख नाका है, लेकिन यहाँ से भारत से नेपाल में सभी गाड़ियों के प्रवेश की अनुमति नहीं है।इसके बाद मिनी बाबाधाम के नाम से प्रसिद्ध पंचमुखी शिव मन्दिर पहुँचे। यहाँ आप महादेव का दर्शन कर सकते है, यह शिवलिंग अति प्राचीन होने और देश में अपने तहत का विशिष्ठ शिवलिंग है, जो भारत के साथ साथ नेपाली जन के भी आस्था का बड़ा केन्द्र है।इसके बाद 10 कि.मी. का सफर तय कर ठूठीबारी बार्डर पहुँचे और यहाँ अपनी गाडी का नेपाल प्रवेश पास (भंसार) बनवाने के बाद 22 कि.मी. की दूरी पर त्रिवेणी धाम पहुँचे। यहाँ नारायणी नदी के अविरल स्वरुप को देखने के बाद दो कि.मी. पहाड़ पर अपनी गाड़ी से ही पहुँच कर गजेन्द्र मोक्ष धाम पहुँचे।दक्षिण भारतीय शैलीय से बनाई गई यह मन्दिर बेहद दिव्य है।यहाँ पहाड़ों से उतरते नारायणी नदी का दृश्य बेहद खूबसूरत लगता है।इसके बाद पाँच कि.मी. की दूरी तय कर बाल्मीकिनगर बैराज पहुँचे और 36 चैनल वाले विशाल बैराज को देखने के बाद उसे पार कर बिहार के बाल्मीकिनगर व्याघ्र परियोजना के जंगलों की शैर करें।जहाँ बाघ, हिरण, भालू, तेन्दुआ आदि जंगली जानवरों को देखा जा सकता है।यहाँ वनविभाग द्वारा जंगल भ्रमण के लिए विशेष वाहन भी उपलब्ध कराई जाती है।इसके आलावा जंगल के बीच स्थित ऐतिहासिक बाल्मिकि आश्रम व नरदेवी मन्दिर का भी दर्शन किया जा सकता है।इस दौरान रात्रि विश्राम के लिए त्रिवेणी व बाल्मीकिनगर में सामान्य होटल व खानपान के लिए रेस्टोरेंट भी उपलब्ध है।

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घुमने का सही समय:-

दर्जनिया ताल घुमने और मगरमच्छों को आसानी से घण्टों तक देखने के लिए नवम्बर से मार्च का महीना सबसे बेहतर माना जाता है। ठण्ड के दौरान मगरमच्छ ज्यादात्तर समय रेस्टिंग आइलैंड पर बिताते है। घण्टों रेस्टिंग आइलैंड पर एक साथ दर्जनों मगरमच्छों के धूप का आनन्द लेने का नज़ारा वाइल्ड लाइफ में रुचि रखने वालों के लिए कितना सुखद होगा इसे शब्दों में बया नहीं किया जा सकता।

रवि सिंह "प्रताप"

मो० 9454002644

दर्जनिया ताल (सोहगी बरवां वन्य जीव प्रभाग महराजगंज)

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दर्जनिया ताल (सोहगी बरवां वन्य जीव प्रभाग महराजगंज)

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बाल्मिकी आश्रम जाने के लिए बनाया गया झूला पुल

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गजेन्द्र मोक्ष धाम मन्दिर त्रिवेणी, नेपाल

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नेपाल स्थित गजेन्द्र मोक्ष धाम का सौन्दर्य दृश्य( फोटो मन्दिर से साभार)

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बाल्मिकिनगर जंगल के बीच स्थित प्राचीन नरदेवी मन्दिर

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भैंसालोटन (नेपाल) और बाल्मिनगर (बिहार) को जोडती बाल्मिकिनगर बैराज

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बाल्मिकिनगर टाईगर रिजर्व के जंगल

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मिनी बाबा धाम के नाम से प्रसिद्ध ईटहियां का पंचमुखी शिवलिंग

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बाल्मीकिनगर का टाईगर रिजर्व के जंगल

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नेपाल स्थित बाल्मिकी आश्रम

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ईटहियां का प्राचीन पंचमुखी शिवमन्दिर..

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