दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट है। बहुत से लोगों का ख्वाब है कि वह एक दिन इस पर चढ़ें। लेकिन कोई इसे कितनी बार चढ़ सकता है? एक बार, दो बार लेकिन 46 साल के नेपाली पासांग दावा शेरपा ने रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने माउंट एवरेस्ट को 26वीं बार फतह करके 14 मई रविवार को इतिहास रच दिया। पर्वतारोहण अभियान का आयोजन करने वाले ‘इमेजिन नेपाल ट्रैक्स’ के कार्यकारी निदेशक शेरपा ग्यालजेन दावा ने बताया कि रविवार को सुबह आठ बजकर 25 मिनट पर 46 वर्षीय पर्वतारोही माउंट एवरेस्ट की चोटी फतह कर चुके थे।
कौन होते हैं शेरपा?
शेरपा लोग हिमालय की वार्दियों में रहते हैं। ज्यादातर शेरपा नेपाल और टींगरी काउंटी (तिब्बत) में रहते हैं। बर्फ से लदी चोटियों के बीच पलने-बढ़ने वाले शेरपा पर्वतारोहियों के लिए खासे मददगार होते हैं। जेनेटिक स्टडी बताती है कि शेरपा लोग हाई ऑल्टिट्यूड्स में आराम से रह लेते हैं। उनमें EPAS1 जीन पाया जाता है जिसे 'सुपर एथलीट जीन' कहते हैं। यह जीन शरीर में हीमोग्लोबिन के उत्पादन को रेगुलेट करता है जिससे ऑक्सिजन सोखने की क्षमता बढ़ जाती है। ज्यादातर शेरपा एलीट क्लास के पर्वतारोही होते हैं। अपने इलाके में वे किसी एक्सपर्ट से कम नहीं। हिमालय की ऊंची-ऊंची चोटियां फतह कराने में शेरपा बड़ी मदद करते हैं।
478 लोगों को एवरेस्ट चढ़ने का मिला परमिट
बोर्ड ने 13 मई से शुरू होने वाले पर्वतारोहण के लिए भारत सहित विभिन्न देशों के पर्वतारोहियों को रिकॉर्ड 478 परमिट जारी किए हैं। पर्यटन विभाग ने कहा, ‘‘कुल 478 पर्वतारोहियों को इस मौसम में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए अभियान की अनुमति मिली। एवरेस्ट शिखर पर पहुंचने वाले लोगों में विभिन्न अभियानों के शेरपा गाइड भी शामिल हैं।’’
कौन है पासांग दावा?
पंगबोचे में जन्मे पासांग दावा हर रोज एवरेस्ट को देखकर बड़े हुए हैं। बचपन से ही वे पहाड़ की ऊंची चोटियां पर चढ़ जाया करते थे। इसके बाद से उन्होंने पर्वतारोही बनने की सोची। पसांग ने पहली बार 1998 में 8,849 मीटर ऊंचे एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी। इसके बाद लगभग हर साल वो दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचकर उसे फतह करते हैं। जीवन के इस पड़ाव में भी इनका जोश और जुनून लोगों को प्रेरित करता है और बताता है उम्र महज एक संख्या से ज्यादा कुछ भी नहीं।