पुरी रथ यात्रा आज से शुरू,जाने एक ट्रैवलर के लिए क्यों ख़ास है पुरी की रथ यात्रा-

Tripoto
12th Jul 2021
Photo of पुरी रथ यात्रा आज से शुरू,जाने एक ट्रैवलर के लिए क्यों ख़ास है पुरी की रथ यात्रा- by Pooja Tomar Kshatrani
Day 1

ओड़िसा राज्य में स्थित पुरी भारत का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो गर्व से बंगाल की खाड़ी पर खड़ा है। पुरी, जगन्नाथ मंदिर के कारण जगन्नाथ पुरी के नाम से भी बुलाया जाता है जो इस शहर को इतना लोकप्रिय बनाता है।

इतना ही नहीं बता दें, पुरी भारत के चार धाम यात्रा में से एक स्थान हैं, कहा जाता है कि , भारत में हिंदू तीर्थ यात्रा पुरी के दर्शन बिना अधूरी है। जगन्नाथ मंदिर भारत का एकमात्र मंदिर है जहां राधा, के साथ दुर्गा, लक्ष्मी, पार्वती, सती, और शक्ति सहित भगवान कृष्ण भी वास करते हैं। यह भगवान जगन्नाथ की पवित्र भूमि मानी जाती है और इसे पुराणों में पुरुषोत्तम पुरी, पुरुषोत्तम क्षेत्र, पुरुषोत्तम धाम, नीलाचल, नीलाद्रि, श्रीश्रेष्ठ और शंखश्रेष्ठ जैसे कई नाम दिया गया हैं।

हर किसी को जीवन में एकबार पुरी की यात्रा अवश्य करनी चाहिए, पुरी सिर्फ एक धार्मिक पर्यटन स्थल ही नहीं है बल्कि पर्यटक मंदिर में दर्शन करने के बाद यहां के मनोरम समुद्री तट,वन्यजीव अभयारण्य आदि घूम सकते हैं, आइये जानते हैं कि पुरी में एक यात्री और पर्यटक के लिए खास है।

रथ यात्रा का महत्व-:

Photo of Puri by Pooja Tomar Kshatrani

हिन्दू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का बहुत बड़ा महत्व है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा निकली जाती है। यह रथयात्रा महोत्सव 10 दिनों तक चलता है। रथों को मंदिरों के तरह ही बनाया एवं सजाया जाता है। रथों का निर्माण जनवरी एवं फरवरी माह से ही शुरू हो जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रथयात्रा निकालकर भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध गुंडिचा माता के मंदिर पहुंचाया जाता हैं, जहां भगवान 7 दिनों तक विश्राम करते हैं। इसके बाद भगवान जगन्नाथ की वापसी की यात्रा शुरु होती है. भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पूरे भारत में एक त्योहार की तरह मनाई जाती है।

पवित्र लकड़ियों का बना होता है रथ-:

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पुरी का जगन्नाथ धाम चार धामों में से एक है। पुरी को पुरुषोत्तम पुरी भी कहा जाता है। राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं। यानी राधा-कृष्ण को मिलाकर उनका स्वरूप बना है और कृष्ण भी उनके एक अंश हैं। ओडिशा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की काष्ठ यानी लकड़ियों की अर्धनिर्मित मूर्तियां स्थापित हैं। इन मूर्तियों का निर्माण महाराजा इंद्रद्युम्न ने करवाया था। माना जाता है कि इस रथ यात्रा के दर्शन करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं और व्यक्ति को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। जगन्नाथ रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथपुरी में प्रारंभ होती है। रथयात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज होता जिस पर श्री बलराम होते हैं, जिसका रंग लाल और हरा होता है, उसके पीछे पद्म ध्वज होता है जिस पर सुभद्रा और सुदर्शन चक्र होते हैं, देवी सुभद्रा के रथ को 'दर्पदलन' या ‘पद्म रथ' कहा जाता है, जो काले या नीले और लाल रंग का होता है,और सबसे अंत में गरूण ध्वज पर श्री जगन्नाथ जी होते हैं जो सबसे पीछे चलते हैं, भगवान जगन्नाथ के रथ को ' नंदीघोष' या 'गरुड़ध्वज' कहते हैं। इसका रंग लाल और पीला होता है।।

जगन्नाथ मंदिर के बारे में रोचक तथ्य -

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1. 'यात्रा' के अलावा, पुरी जगन्नाथ मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है। पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है, जो प्राचीन और ऐतिहासिक है। जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी होता है। इनकी नगरी ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहलाती है। इस मंदिर के भीतर देश की सबसे बड़ी रसोईघर स्थापित है, जहां गरीब और जरूरतमंदों को खाना खिलाया जाता है।

2. जगन्नाथ मंदिर की विशेषता यह है कि मंदिर के ऊपर लगा झंडा हमेशा हवा के उल्टी दिशा में लहराता है। ऐसा प्राचीन काल से ही हो रहा है लेकिन अभी तक इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों के बारे में पता नहीं चल पाया है। श्रद्धालुओं के लिए सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक बात है।

3. जगन्नाथ मंदिर के शीर्ष पर सुदर्शन चक्र लगा हुआ है। यह अष्टधातु से बना है, इसे नीलचक्र के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन इसकी विशेषता यह है कि आप पुरी के किसी भी स्थान से खड़े होकर इस चक्र को देखें वह हमेशा आपको अपने सामने ही दिखायी देगा। यह वास्तव में आश्चर्य का विषय है, जो इसे खास भी बनाता है।

4. भगवान जगन्नाथ मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर स्थित झंडे को रोजाना बदला जाता है, ऐसी मान्यता है कि अगर एक भी दिन झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जायेगा।

5. मंदिर परिसर में पुजारियों द्वारा प्रसादम को पकाने का अद्भुत और पारंपरिक तरीका है। प्रसाद पकाने के लिए सात बर्तनों को एक दूसरे के ऊपर रखा जाता है और लकड़ी का उपयोग करके इसे पकाया जाता है। ऊपर के बर्तन का प्रसाद सबसे पहले और बाकी अंत में पकता है।

6. जगन्नाथ पुरी में हवा की दिशा में भी विशेषता देखने को मिलती है। अन्य समुद्री तटों पर प्रायः हवा समुद्र की ओर से जमीन की ओर आती है लेकिन पुरी के समुद्री तटों पर हवा जमीन से समुद्र की ओर आती है। इसके कारण पुरी अनोखा है।

7. आमतौर पर किसी भी मंदिर के गुंबद की छाया उसके प्रांगण में बनती है। लेकिन जगन्नाथ पुरी मंदिर के गुंबद की छाया अदृश्य ही रहती है। मंदिर के गुंबद की छायी लोग कभी नहीं देख पाते हैं।

8. वैसे तो हम अक्सर आकाश में पक्षियों को उड़ते हुए देखते हैं। लेकिन जगन्नाथ मंदिर की विशेषता यह है कि इस मंदिर के गुंबद के ऊपर से होकर कोई पक्षी नहीं उड़ता है और यहां तक कि हवाई जहाज भी मंदिर के ऊपर से होकर नहीं गुजरता है। अर्थात् भगवान से ऊपर कुछ भी नहीं है।

9. हिंदू पौराणिक कथाओं में भोजन को बर्बाद करना एक बुरा संकेत माना जाता है। मंदिर के संचालक इसका अनुसरण करते है। मंदिर जाने वाले लोगों की कुल संख्या हर दिन 2,000 से 2, 00,000 लोगों के बीच होती है। लेकिन मंदिर का प्रसादम रोजाना इस चमत्कारिक ढंग से तैयार किया जाता है कि कभी भी व्यर्थ नहीं होता है और ना ही कम पड़ता है। इसे प्रभु का चमत्कार माना जाता है।

इस बार भी होगा कोरोना गाइडलाइंस का पालन -

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जगन्नाथ यात्रा आज से शुरू हो चुकी है। कोरोना वायरस के चलते इस बार भी जगन्नाथ यात्रा में श्रद्धालुओं को शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई है। रथ यात्रा के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाएगा।

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