नहीं देखी है पुरी की रथ यात्रा और जाने का है मन? बहुत काम आयेगी ये जानकारी

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Day 1

आखिर वो समय आ ही गया जिसका लाखों भक्त पूरे साल इंतज़ार करते हैं। भगवान जगन्नाथ की अद्भुत रथ यात्रा का इंतज़ार सिर्फ हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत से लोगों को हर साल रहता है और हर साल इस रथ यात्रा में लाखों लोग बड़े हर्षोल्लास से सम्मिलित होने के लिए हिन्दू धर्म के चार पवित्र धामों में से एक पवित्र नगरी जगन्नाथ पुरी आते हैं। हर साल हिन्दू पंचांग के अनुसार इस पवित्र रथ यात्रा की शुरुआत आषाढ़ माह की शुक्ला पक्ष की द्वितीया तिथि से होती है और इसका समापन आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को होता है। इस विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ जो की भगवान विष्णु के ही एक रूप हैं उनके साथ भगवान के भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा तीनों अलग-अलग रथों में विराजमान होते हैं और इन रथों को सैंकड़ों लोगों द्वारा खींचा जाता है।

इसी अद्भुत नज़ारे और धार्मिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण यात्रा में शामिल होने देश विदेश से लाखों लोग पूरे साल इस दिन का इंतज़ार करते हैं। इस साल यह रथ यात्रा कल शुरू हो चुकी है और अगर आपका भी मन हैं इस यात्रा में शामिल होने का तो आपको इस रथ यात्रा से जुडी हर एक जानकारी हमारे इस आर्टिकल में मिल जाएगी। तो चलिए बताते हैं आपको रथ यात्रा से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां...

फोटो क्रेडिट: The Financial Express

Photo of Puri by We The Wanderfuls

रथ यात्रा से जुड़ा इतिहास

जगन्नाथ शब्द के अर्थ की बात करें तो इसका अर्थ "जगत के नाथ" मतलब "ब्रह्मांड के भगवान" होता है और भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के पीछे का इतिहास भी अपने आप में बेहद अनोखा है। यात्रा से जुडी कई कहानियां भक्तों के बीच प्रचलित हैं इन्हीं में से एक ऐसी मान्यता है की द्वापर युग में भगवान कृष्ण की प्रिय बहन सुभद्रा ने द्वारका घूमने की इच्छा जताई थी और अपनी बहन की इसी इच्छा को पूरी करने के लिए भगवान कृष्ण ने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर द्वारका नगरी की यात्रा की थी।

इसीलिए हर साल भगवान जगन्नाथ की यात्रा बड़ी धूम-धाम से हमारे देश में अनेक स्थानों पर निकाली जाती है। लेकिन ऐसा बताया जाता है की इन रथ यात्राओं में सबसे पुरानी और सबसे भव्य रथ यात्रा पवित्र धाम पुरी में ही आयोजित की जाती है। अलग-अलग उपलब्ध जानकारियों के अनुसार जगन्नाथ पूरी की रथ यात्रा की शुरुआत 450 से 800 वर्ष पूर्व की गयी थी और तब से अब तक हर साल इसे बड़ी धूम धाम से पूर्ण किया जाता है।

फोटो क्रेडिट: HerZindagi

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जगन्नाथ पुरी यात्रा महोत्सव

इस रथ यात्रा महोत्सव के महत्त्व को आप ऐसे समझ सकते हैं की पूरे साल में सिर्फ इसी रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए अपने निवास स्थान जगन्नाथ पुरी मंदिर से बाहर निकलते हैं और भक्तों को पवित्र दर्शन देते हैं। यात्रा के प्रथम दिन मतलब आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के मंदिर "गुंडिचा मंदिर", जो की ओडिशा राज्य के पुरी में ही स्थित है वहां विशाल रथों पर सवार होकर पहुँचते हैं। इन तीनों रथों को अपने आप में अनोखे और भव्य विशेष प्रकार के रंगों के कपड़ों द्वारा सुसज्जित किया जाता है जैसे भगवान जगन्नाथ के रथ जिसे 'नंदीघोष' के नाम से जाना जाता है, को लाल और पीले रंग के वस्त्रों से सजाया जाता है। वहीं भगवान बलभद्र जी के रथ (तालध्वज) को लाल, नीले और हरे रंग के कपड़ों से सजाया जाता है और वहीं देवी सुभद्रा के रथ (दर्पदलन) को लाल और काळा कपड़ों से सजाया जाता है।

फोटो क्रेडिट: Business Today

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ये करीब 3 किलोमीटर की यात्रा पूर्ण कर भगवान दशमी तिथि तक 'गुंडिचा मंदिर' में ही रुकते हैं और फिर से बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ पुरी के जगन्नाथ मंदिर में लौटते हैं और इसी वापसी के त्यौहार को "बहुदा यात्रा" के तौर पर जाना जाता है।

जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्त्व

पवित्र नगरी पुरी वैसे ही धार्मिक तौर पर बेहद खास है और अगर हर साल होने वाली इस रथ यात्रा की बात करें तो ऐसी मान्यता है की जो भी भक्त इस यात्रा में सच्चे मन से शामिल होते हैं उनकी हर मनोकामना भगवान जगन्नाथ जरूर पूरी करते हैं और इस पवित्र यात्रा को मोक्ष की प्राप्ति के लिए उपलब्ध उपायों में से के तौर पर भी देखा जाता है।

यहाँ तक की ऐसी भी मान्यता है कि इस यात्रा में शामिल होने के पुण्य कि तुलना 100 यज्ञों में शामिल होने के बराबर है। तो अगर आप एक बार भी इस यात्रा में शामिल हो जाते हैं तो आपके परिवार का वातावरण शांत रहता है और आपके दुखों का हमेशा के लिए अंत हो जाता है। इस रथ यात्रा का महत्त्व आप इस बात से भी समझ सकते हैं की इन रथों से जुडी रस्सियों को 'मोक्ष की रस्सी' भी कहा जाता है जिसे एक बार छूने के लिए भक्त आस लगाए रहते हैं और इन्हे छूकर खुद को धन्य महसूस करते हैं।

फोटो क्रेडिट: Boldsky Hindi

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इस साल रथ यात्रा से जुड़े महत्वपूर्ण दिन

साल 2023 में इस पवित्र रथ यात्रा कि शुरुआत कल यानी आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया, दिनांक 20 जून 2023 को हो चुकी है और पहले ही दिन भगवान गुंडिचा मंदिर में पहुंचकर वहां अगले 7 दिनों तक वहीँ विश्राम करेंगे और फिर 28 जून 2023 यानी आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को गुंडिचा मंदिर से पुरी मंदिर की ओर बहुदा यात्रा निकाली जाएगी। इसके बाद भी जगन्नाथ पुरी महोत्सव यहाँ समाप्त नहीं होता है. आपको बता दें की भगवान के पुरी मंदिर पहुँचने के बाद 29 जून को ‘सुना बेशा’ अनुष्ठान किया जायेगा जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी को स्वर्ण आभूषण पहनाये जाते हैं। इसके अगले दिन 30 जून को ‘अधर पना’ रस्म की जाएगी जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी कुएं से निकाले गए पानी में पनीर, शक्कर, मक्खन,काली मिर्च, केला, जायफल और अन्य खास मसाले मिलकर पना बनाकर अर्पित किया जाता है।

और इसके अगले दिन यानी 1 जुलाई को ‘नीलाद्री बिजे’ अनुष्ठान किया जायेगा जिसमें भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा को पुरी मंदिर के गर्भगृह में स्थित अपने सिंहासनों पर विराजमान होते हैं। और इसी के साथ इस वर्ष इस पवित्र पर्व का समापन होगा।

रथ यात्रा में शामिल होने के लिए जरुरी सावधानियां

भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में आप बेहद हर्षोल्लास से शामिल हो सकते हैं लेकिन चूँकि यात्रा में बहुत बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं इसीलिए आपको कुछ सावधानियां भी इस यात्रा के दौरान बरतनी चाहिए। जैसे इतनी भीड़ में आप कीमती सामान जैसे जेवर, कैश या वॉलेट वगैरह न ही लेकर जाये तो अच्छा है और अगर लेकर जाना जरुरी भी है तो खास तौर पर इसका ध्यान रखें क्योंकि कुछ चोर वगैरह ऐसी ही भीड़ की फ़िराक में रहते हैं।

वैसे तो जगन्नाथ पुरी में रुकने के लिए बहुत से होटल्स और धर्मशालाऐं हैं लेकिन फिर भी अगर आप रथ यात्रा के दौरान वहां जा रहे हैं तो आप होटल वगैरह की बुकिंग पहले से करवा सकते हैं। और अगर होटल की लोकेशन की बात करें तो पहले दिन रथ यात्रा के बाद दशमी तिथि तक सभी उत्सव गुंडिचा मंदिर में ही किये जाते हैं तो आप अपना होटल उसी तरफ बुक करें। और इसके अलावा अगर आप ऊपर बताये गए सभी अनुष्ठानों और उत्सवों में शामिल होना चाहते हैं तो उसी के अनुसार उतने दिनों का प्लान बनाकर ही जगन्नाथ पुरी जाएँ।

साथ ही अगर आपके साथ बच्चे और बुजुर्ग भी हैं तो खास तौर पर आप उनका ख्याल रखें और अत्यधिक भीड़ वाली जगहों से बचने की कोशिश करें क्योंकि बच्चों और बुजुर्गो को इससे कुछ परेशानी हो सकती है। मंदिर में मोबाइल, कैमरा, चमड़े की वस्तुएं आदि ले जाने की बिलकुल भी अनुमति नहीं है और इसके अलावा लड़कियों और महिलाओं के लिए बता दें कि मंदिर में शॉर्ट्स या फिर शार्ट स्कर्ट वगैरह पहनकर जाना बिलकुल वर्जित है तो इस बात का भी आप जरूर ध्यान रखें।

अगर आप ऐसे ही कुछ और बेहतरीन स्थानों और जानकारियों के बारे में जानना चाहते हैं तो आप हमारे यूट्यूब चैनल WE and IHANA पर या फिर हमारे इंस्टाग्राम अकाउंट @weandihana पर भी जा सकते हैं।

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