भूटान की बाइक से यात्रा -5

Tripoto
Photo of भूटान की बाइक से यात्रा -5 by Rishabh Bharawa

बुद्धा की मूर्ति से अब हम वापस हमारी होटल की तरफ निकल लिए।हमने सोचा कि वहा सब परेशान हो रहे होंगे कि इतनी सुबह हम चार लोग कहा गायब हैं लेकिन वहा जाकर देखा कि सब अभी तक सोये पड़े थे। हमारा मेकेनिक 'अमीनुल ' उठ चूका था। उसका काम होता था रोज सुबह सबकी गाड़ियों की एक बार चेकिंग करना। अमीनुल एक 20 साल का सिलीगुड़ी के पास ही किसी छोटे से गांव का सीधा साधा लड़का था और हमेशा एक तरफ चुप चाप अकेले अकेला रहता था। मैं अपनी बाइक पार्किंग मे खड़ी कर जैसे ही ऊपर आया वो मुझसे चाबी लेने आया। दो दिन से उसके व्यवहार को पढ़ते हुए मेने थोड़ा अपनापन बताते हुए उसके साथ कुछ देर बात की और चाबी दे दी।

डी.जे. के कमरे मे जा सबसे पहले मेने, उसको उठाया। उसने मुझे बोला कि अबसे तू तेरी गाडी पांडे जी को दे और मेरी हिमालयन गाडी पर तू मेरे साथ रहेगा। डी. जे. दो दिन के अंदर ही मेरा दोस्त बन गया था मानो की बरसो पुराना दोस्त हो और मुझ पर दोस्ती मे अपना अधिकार समझ उसने सीधे मुझे एक तरह से आदेश ही दे दिया था। इधर मुझे डर था कि पांडे जी जो कि करीब 45 साल की उम्र लिए हुए थे ,वो इन खतरनाक रास्तो पर दिन भर गाडी कैसे चलाएंगे। मेने पांडे जी से बात शेयर की और वो ख़ुशी ख़ुशी राजी हो गए। लेकिन मेने उनको बोल दिया था कि थकान महसूस होते ही वो गाडी चलाने के लिए वापस मुझे बुला लेंगे।

Photo of भूटान की बाइक से यात्रा -5 by Rishabh Bharawa

कुछ देर बाद नाश्ता कर अब हमको थिम्फु मे कुछ लोकल घूम कर अगले शहर पुनाखा की और बढ़ना था। सबसे पहले हम पहुंचे थिम्फु की सबसे प्रसिद्द एवं अतिखुबसुरत जगह जिसका नाम था 'memorial chorten ' . यह भी एक तरह से तिब्बती मंदिर ही था ,जिसकी सफ़ेद ईमारत सड़क पर काफी दूर से चमक रही थी। एक साथी ने हम सभी के टिकट खरीद लिए। छोटा सा करीब 8x 8 का इसका एंट्री गेट था। जिसमे अंदर जाते ही हम एक बड़े से बगीचे मे पहुंच गए ,जिसकी घास को अच्छी तरह से ट्रिमिंग करके रखा हुआ था। बगीचे के चारो तरफ 5 फ़ीट चौड़ा पैदल मार्ग बना हुआ था एवं एक मार्ग इस बगीचे के बीचोबीच था जो कि वापसी मार्ग था।

दरवाजे मे प्रवेश करते ही इसकी खूबसूरती देख सब के अंदर के फोटोग्राफर जग गए और हम सभी लोग पीछे वालो का रास्ता ब्लॉक कर फोटो निकालने लगे। बगीचे के दायी तरफ ,प्रवेश गेट से कुछ कदम दूरी पर ही एक खुले हॉल मे कुछ तिब्बती प्रार्थना चक्र (prayer wheels ) बने हुए थे। जिनके आस पास काफी तिब्बती लोग बैठे हुए एवं सोये हुए थे,कुछ श्रद्धालु एक अपने हाथो से इन्हे घुमाते हुए ,मन्त्र (ॐ मणि पदमे हूम् )बोलते हुए इनकी परिक्रमा कर रहे थे। हम उन चक्रो को हाथो से घुमा कर मंदिर की और बढे। मुख्य ईमारत के बाहर कई श्रद्धालु बैठ कर ध्यान मे लीन दिखाई दिए। ईमारत के पास ही एक तरफ कुछ छोटे छोटे पत्थरो पर मन्त्र लिख उन्हें रखा हुआ था ,जहा कई लोग पूजा कर रहे थे। मुख्य ईमारत मे मोबाइल का इस्तेमाल करना वर्जित था। अंदर तीन मंजिल पर अलग अलग बुद्धिस्ट देवी देवताओ की मुर्तिया,फोटोज व पेंटिंग्स थी जिनके चारो और भी श्रद्धालुओं की परिक्रमा चल रही थी। ऊपर चढ़ने व नीचे उतरने की सीढिया काफी छोटी छोटी थी। हर एक फ्लोर पर एक दम मध्य मे चार दिशाओ को लगती चार मुर्तिया थी ,जहा कई लोग भेट भी चढ़ा रहे थे। करीब 15 मिनट मे हम निचे उतर आये।

Photo of भूटान की बाइक से यात्रा -5 by Rishabh Bharawa
Photo of भूटान की बाइक से यात्रा -5 by Rishabh Bharawa

यहाँ से अब हमे यहाँ के हेरिटेज म्यूजियम मे जाकर अगले शहर निकलना था।भूटान मे कई जगह देखा कि टिकट रेट लिस्ट तीन तरह के लोगो के लिए होती है - पहली लोकल के लिए जो कि माना की 10 रुपये ,उसके बाद भारतीय जिनके लिए यही रेट करीब 15 रुपये और अंत मे अन्य देश वालो के लिए यह करीब 50 रुपये तक होती हैं। यहाँ के हेरिटेज म्युसियम मे यहाँ के कुछ प्राचीन हथियार ,कृषि यंत्र ,रसोई के सामान इत्यादि की प्रदर्शनी थी। इस म्युसियम मे भी हमने ज्यादा समय व्यतीत न कर पुनाखा की और निकल लिए। जैसे ही हम शहर से कुछ ही दूरी पर आये ,हमारे में से एक गाडी खराब हो गयी। अब फिर समय ख़राब होने की वजह से काफी लोग चिड़चिड़ा गए थे। करीब दो घंटे लगे उस गाडी को ठीक करने मे।

Photo of भूटान की बाइक से यात्रा -5 by Rishabh Bharawa

बारिश फिर शुरू होने के आसार नजर आ रहे थे। इतने दिन तो बारिश मे ,मेने अपने कैमरे को रेनकोट मे छिपा कर बचाये रखा। लेकिन अब मुझे लगा कि मुझे एक अपने साथ रखने के लिए एक छोटे बैग की जरुरत होगी,जिसमे रेनकोट ,कैमरा ,गर्म कपड़े रख सकु। कुछ सामान तो डी.जे. ने अपने बैकपैक मे रख लिए थे।साथ के ही एक मारवाड़ी भाई ने मुझे अपना बैकपैक खाली कर के दे दिया ताकि कम से कम कैमरा सलामत रहे। उस बैकपैक को कभी मै ,तो कभी पांडे जी अपने साथ रखने लगे...

sep.2019

...To be Continued