चोखी ढाणी जयपुर : एक राजस्थानी शहरी गाँव, जहा आकर आपको दिखेगी राजस्थान की अद्भुत कला संस्कृति।

Tripoto
14th Sep 2020
Photo of चोखी ढाणी जयपुर : एक राजस्थानी शहरी गाँव, जहा आकर आपको दिखेगी
राजस्थान की अद्भुत कला संस्कृति। by Smita Yadav
Day 1

किसी भी यात्रा को हम तक ही आकर खत्म होना चहिये , पर सब जगह एक जैसी नहीं होती कुछ आपको अपने पास बुला लेती है। वैसे तो मै जयपुर में काफी समय रही हूं क्योंकि मैंने बारहवी के बाद की शिक्षा 👩‍🎓 जयपुर से पूरी की थी। जयपुर बेहद ही खूबसूरत जगह है मैं अपने हिसाब से बोलू तो मेरा दूसरा घर।🏠जहा मुझे कभी नहीं लगा के मैं यहां सिर्फ अपनी💁🏻‍♀️ शिक्षा के लिए आए हूं। हमेशा यहां मैंने एक अपनापन पाया। और काफी कुछ सीखने को भी मिला मुझे,👩‍💼... 4-5 सालो में मैंने जयपुर के काफी जगह गई जैसे आमेर,जयगढ़, हवा महल,अल्बर्ट हॉल म्यूजियम, नाहरगढ़, पर इतनी जगह देखने के बाद भी मुझे हमेशा यही लगा के की कुछ छूट रहा हैै, 😀😀😀..जयपुर टोंक रोड पे एक रिसोर्ट जिसका नाम है "चोखी ढाणी "

जयपुर से यही कोई पन्द्रह-बीस किलोमीटर दूर चोखी ढाणी स्थित है। मैंने काफी प्रशंसा सुनी थी चोखी ढाणी की। पर कभी जा नहीं पाई। लेकिन ये बेहतरीन अवसर मुझे मिल ही गया। और वो भी अपने ऑफिस की अोर से। मैं बेहद खुश हुई सुन के कि हम कुछ कलीग्स को ऑफिस की ओर से चोखी ढाणी की टिकट दी जाने वाली हैं। क्यों की हमारे ऑफिस से हर माह कुछ employee को best workers का पुरस्कार दिया जाता था। जिनमे मैं भी शामिल थी।💁🙈.. फिर क्या मेरी खुशी और भी दुगनी हो गई ये सुन कर। मुझे और मेरे कुछ कलीग्स को पास मिला और हम सभी काफी उत्सुकता से निकाल पड़े चोखी ढाणी की ओर। जो भी पर्यटक जयपुर शहर की यात्रा करने आते है वो लोग चोखी ढाणी जाने की चाह जरुर रखते हैं। अगर आप भी चोखी ढाणी जाना चाहते हैं या इसके बारे में जानना चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें, 😎..

चोखी ढाणी का मतलब होता है "अच्छा गाँव". चोखी ढाणी जयपुर शहर के बीच में 1989 में बनाया गया एक गाँव का मॉडल जो की दस एकड़ में फैला है यहाँ आपको मिलेंगे राजस्थान के अलग अलग इलाको के लोक नृत्य , जिसमे की कालबेलिया नाच सबसे अधिक प्रसिद्ध है इसके अलावा कठपुतली का खेल , कंचे का खेल , इला अरुण, के गीतों पे थिरकते युवक - युवतिया भी यहां देखने को मिलेंगे।

कही किसी जगह बैठा जादूगर आपको अपने हाथ की सफाई से मोहित करता है तो ठीक उसके सामने बैठा ज्योतिष पत्ते से आपका भाग्य पढता है। ऊंट की सवारी , हाथी की सवारी , नाव की सैर । गाँव के मेलो जैसे खेल जैसा की हम बचपन में देहाती मेलो में खेलते आये है। कुल मिला कर उन गुजरे हुए लम्हों को यंहा एक ही जगह पर फिर से संजो दिया गया है ।

1. चोखी ढाणी की सैर

मारवाड़ी वेशभूषा में बैठे मुनीम जी

Photo of Jaipur by Smita Yadav
Photo of Jaipur by Smita Yadav
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चोखी ढाणी के मुख्य द्वार के पास मारवाड़ी पगड़ी में बैठे मुनीम जी से टिकट लेने के बाद जैसे ही अंदर परवेश करते है राम राम सा की आवाज कानो में पड़ती है और राजस्थानी ठाठ बाठ के और अपनेपण के साथ तिलक लगाकर इस्तकबाल किया जाता है। उसके बाद आप मन मर्जी से चोखी ढाणी के अन्दर कही भी घूम सकते है तस्वीरे ले सकते है बिलकुल आज़ाद । 💃🏻...कदम कदम पर तरह तरह के मंडप मिलते है जहाँ कलाकार राजस्थानी नाच और संगीत में झूमते हुए आपको अपनी तरफ आमंत्रित करते है।

मेहँदी बनवाने की ठोड ( जगह )

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करतब कारी

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राजस्थान की अद्भुत कला संस्कृति। by Smita Yadav

फिर कुछ खाने पिने की चीजो के स्टाल जिनमे से कुछ की कीमत आपकी टिकेट में ही सम्मलित होती है कुछ के आप को चुकाने पड़ते है। हर एक खाने की मंडप या स्टाल पर राजस्थानी भाषा में ही उसके बारे में लिखा रहता है जैसे मेहँदी बनवान री ठोड , कंचे खेलन री ठोड, पानी पतासी एक रिपिया री एक , जल्जीरो फ्री रो।

मतलब कदम कदम पर आपको आभास करवाया जाता है की आप एक ठेठ राजस्थानी गाँव में है और वाकई में वंहा घूमते हुए इंसान सब मोह माया से बहार आकर चोखी ढाणी के रंग में ही रंग जाता है।

कठपुतली का खेल

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राजस्थानी नृत्य

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राजस्थान की अद्भुत कला संस्कृति। by Smita Yadav

इन सब के चोखी ढाणी में आता है कठपुतली का नाच , आग के करतब , नट का खेल, जादू का खेल और एक ज्योतिष महाशय जो की आपके हाथ की रेखाओ को पढ़ते है और उनका तोता आपके नाम का कार्ड उठाता है और आपका भविष्य उस कार्ड से ज्योतिष महाशय बताते है।

हल्दीघाटी की प्रतिकृति, महाराणा प्रताप और मान सिंह

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निर्माणकारी दृश्य

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इसके बाद राजस्थानी इतिहास से आपको रूबरू कराने के लिए हल्दीघाटी युद्ध का एक ढांचा जिसमे की हाथी घोड़ो और खनकती तलवारों की धवनी के साथ बताया जाता है उस दौर के सबसे बड़े युद्ध के बारे में। इसी के पास में वैष्णो देवी मंदिर की प्रतिकृति , पनघट , भारत के अलग अलग राज्यों की प्रतिकृति जहाँ उनके रहन सहन को chokhi dhani में अच्छे से दिखाया गया है कश्मीरी शिक्कारा नाव से लेकर गावों के घरो तक आपको रूबरू कराया जाता है।

एक झलक

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नाव की सैर

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इसके आगे आता है फन जोन जिसमे की गाँव की सैर , नाव की सैर , झरने की सैर , मालिश , निशानेबाजी के खेल शामिल है . एक इंसानों द्वारा बनाई गई नदी जो असल नदी जैसी है उसके मुकाबले पर वो गीत याद दिला देती है " ये राते ये मौसम नदी का किनारा "।

मैंने जितना सुन था उससे कहीं ज्यादा ही पाया मैंने। यक़ीनन काफी प्रशंसा योग्य है ये जगह।

मानव निर्मित नदी

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राजस्थान की अद्भुत कला संस्कृति। by Smita Yadav

मनोरंजन यंही खत्म नहीं हो जाता , बच्चो को सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाली ऊँट की सवारी और हाथी की सवारी , बैलगाडी की सवारी आदि सब एक ही जगह मिलती है जिनको जीवन भर में कभी नहीं भूला जा सकता।

बाजार

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चोखी ढाणी के अंदर एक बाजार भी है जिसमे राजस्थान के अलग अलग जगह के परिधान , आभूषण कई तरह की कलाकृतिया उचित मूल्य पर मिलते है पर जैसा की हमारे देश के लोग मोल भाव के बिना कुछ लेते नहीं , यंहा वो सब नहीं चलता।क्युकी ये कर्मचारी है बस इनको जो अंकित मूल्य मिलता है वो बेचना इनकी मज़बूरी है तो कोई फायदा नहीं मोल भाव करके निराश होने का , ये वही जगह है जहा महिलाओ का अधिकतर समय बीतता है😀🙈... और वाजिब भी है अब इन्ही सब कला और परम्परा के लिए राजस्थान को जाना जाता है। मैंने भी बाजार का भ्रमण किया। काफी कुछ देखने को मिला यहां भी।

भोजन

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घुमने फिरने के बाद असली मजा यानी के चोखी ढाणी का खाना खाने की बारी , पर्ची दिखा के एक झोपड़ीनुमा हाल में राम राम सा की आवाज के साथ गरमजोशी से आपका स्वागत होता है। हाल में पारम्परिक ढंग से जमीन पर बैठकर खाना खाने की व्यवस्था मिलेगी जंहा पत्ते की थाली ( पत्तल ) में सांगरी के साथ शुरुवात की जाती है और फिर एक से बढ़ के एक राजस्थानी पकवान दाल बाटी चूरमा , गट्टे का साग , कढ़ी, सब्जी दो तीन तरह के अनाज की पूरिया जलेबी नमकीन लस्सी परोसी जाती है। खाना खिलाने वाला स्टाफ जोश से भरा है आपको बार बार टोक देंगे होकम थे तो काईं कोनी खा रया ( हाडोती भाषा ). एक साथ सौ के लघभग पर्यटक chokhi dhani में एक छत्त के निचे बैठ के खाना खाते है, फिर भला एसा मौका हो तो औसत दर्जे का खाना खाने पर पछतावा भी नहीं होता एक तरह का अनुभव मिलता है यूँ मिल बैठ के गाँव का खाना खाने का।

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राजस्थान की अद्भुत कला संस्कृति। by Smita Yadav
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राजस्थान की अद्भुत कला संस्कृति। by Smita Yadav

खाना खाने के बाद कुछ देर बाहर लगी खाट ,चारपाई पे विश्राम करके भी बीता सकते है जहां खुले आसमान के निचे उन पर लेट ते ही एक पल में बचपन की यादे जिन्दा हो जाती है गाँव की भूली बिसरी यादे भाई-बहन जो की अब समय के साथ दूर बहुत दूर हो चुके है , गली मोहल्लो की बाते अक्सर इसी तरह हम बचपन में खाट पे बैठ के करते थे , कितना सुन्दर है ये सब एक दम सपनो जैसा यंहा कला है बेमिसाल संगीत है चटपटा खाना है । हालाँकि ये गाँव वास्तविक गाँव से काफी अलग है यंहा भूखमरी , गरीबी , बाढ़ , सुखा आत्महत्या करते किसान नहीं है फिर भी एक गाँव का एहसास कराती चका चौंध भरी दुनिया है जिसकी संकल्पना बिकती है ।

चोखी ढाणी जयपुर आने का सबसे अच्छा समय :-

चोखी ढाणी जयपुर शहर के बाहरी इलाके में स्थित है। जयपुर और राजस्थान के अन्य हिस्सों की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय सर्दियों (नवंबर – मार्च) का मौसम होता है। यहां गर्मियों का मौसम बहुत गर्म होता है और यहां के दर्शनीय स्थलों की यात्रा करने के लिए भी अनुकूल नहीं है।

चोखी ढाणी गाँव की प्रवेश शुल्क :

वयस्कों के लिए – 700-1100 रूपये प्रति व्यक्ति

बच्चों के लिए 400-700 रूपये प्रति बच्चा

चोखी ढाणी गाँव की टाइमिंग :

सप्ताह के सभी दिन शाम 5:00 बजे – 11:00 बजे

कैसे पहुंचें चोखी ढाणी :

चोखी ढाणी शहर के बाहरी इलाके में स्थित है यह हवाई अड्डे से 12 किमी और रेलवे स्टेशन से 20 किमी दूर स्थित है। रिसोर्ट तक जाने के लिए आपको टैक्सी करनी होगी। मुख्य शहर से नियमित कैब सेवाएं लगभग 1200 रूपये का राउंड ट्रिप शुल्क लेती हैं।

1:- अगर जयपुर के लिए हवाई जहाज से यात्रा कर रहे हैं तो आपको बता दें कि हवाई जहाज द्वारा जयपुर की यात्रा करने के लिए अच्छा विकल्प है। सांगानेर हवाई अड्डा भारत के प्रमुख शहरों से नियमित रूप से चलने वाली कई एयरलाइनों से जुड़ा हुआ है। सांगानेर से चोखी ढाणी की दूरी करीब 12 किलोमीटर है जिसके लिए किसी भी टैक्सी या कैब की मदद ले सकते हैं।

2:- चोखी ढाणी के लिए आप सड़क मार्ग या बस से भी यात्रा कर सकते हैं क्योंकि राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम (RSRTC) राजस्थान राज्य के भीतर जयपुर और प्रमुख शहरों के बीच कई लक्जरी और डीलक्स बसें चलाता है। आप जयपुर के लिए नई दिल्ली अहमदाबाद, उदयपुर, वडोदरा, कोटा और मुंबई जैसे शहरों से बस पकड़ सकते हैं। आपको बता दें कि मुख्य शहर से चोखी ढाणी के लिए नियमित कैब सेवाएं लगभग 1200 रूपये (राउंड ट्रिप) का शुल्क लेती हैं। इसके साथ ही चोखी ढाणी अपने स्वयं के राजपुताना कैब का भी प्रबंधन करती है, जिसमें एक सेडान कार के लिए 900 रूपये (राउंड ट्रिप) और SUV के लिए 1500 रुपये (राउंड ट्रिप) देने होते है।

3:- अगर आप चोखी ढाणी की यात्रा ट्रेन से करना चाहते हैं तो बता दें कि जयपुर रेलवे स्टेशन भारत के अन्य हिस्सों एक्सप्रेस ट्रेनों की मदद से जुड़ा हुआ है। जयपुर रेलवे स्टेशन से आप कैब या टैक्सी की मदद से चोखी ढाणी तक पहुँच सकते हैं। रेलवे स्टेशन से चोखी ढाणी की दूरी 20 किलोमीटर है।

11:00 बजे चोखी ढाणी बंद हो जाती है और समय आ जाता है एक शहरी गाँव को अलविदा कहने का। और हम सभी अपने घर के लिए निकाल पड़े। 🙋🙋🙋...

मेरी यात्रा का वर्णन आप सभी को कैसा लगा। अपने विचार अवश्य व्यक्त करे। अभी तक के लिए इतना ही….

तो मिलते है फिर अगले ब्लॉग में।……💁

कैसा लगा आपको यह आर्टिकल, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।

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