दोस्तो यह लेख मेरा कोई यात्रा वृतांत नही बल्कि गांव और शहर के बीच के कुछ अन्तर महसूस किये जिसे वर्णित कर रहा हूँ।
एक दिन मैं जब सुबह सुबह जगा तो सूर्य की किरणें उस समय धरती पर सीधी पड रही थी, मै उस दिन कुछ अलग ही महसूस कर रहा था जैसे लग रहा था कि मै कोई अलग ही दुनिया मे हू, ना ही कोई मुझे जगाने वाला और ना ही कोई परेशान करने वाला। मैं उस दिन बहुत परेशान हो गया और अपने उस गांव की याद आने लगी जहा हमने अपने आधा बचपन वहा मौज मस्ती मे बीता दिये थे, जहा सुबह सुबह ही गांव के दोस्त एक दूसरे से मिलने आ जाया करते थे और एक दूसरे को परेशान किया करते थे और मैं कुछ समय बाद निकल दिया अपने उस गांव की तरफ जहा की खूबसूरती ही अलग थी जिसे शब्दों मे बयां शायद हम कभी भी नहीं कर पायेंगे। मेरे गांव की वह खूबसूरती जो भारत के हर एक गांव में देखने को मिलती है जैसे वो हसमुख लोग, खेत - खलिहान, पेड़ - पौधे और सबसे अलग सुबह और शाम मे सूरज की लालिमा देखने को मिलता है और गांव मे घूमने जाएंगे तो आपसे कोई भी मुस्कुराते हुए आपकी भाषा मे इतना तो जरूर पूछ लेता है कि 'और सब ठीक क्या हाल चाल ' यह शब्द सबसे ज्यादा दिल को सुकून देता है और हम भी अपने तरह से उनका तहे दिल से शुक्रियादा करते हैं।
महात्मा गांधी जी ने सच ही कहा था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है जो हमे जीने का तरीका सिखाती है, हमारे गांव मे हर वो सभ्यता देखने को मिलती है जो हम लोग अपना शहर छोड़कर दूरों किमी गांव मे देखने के लिए जाते है चाहे वो त्यौहार हो या पुराने समय एतिहासिक स्थल और इस लेख में एक चित्र है जो मैंने यहा दिखाया हैं वह मेरे गांव का ही है ।
दोस्तो आज के लिये बस इतना ही फिर हम दुबारा एक नयी लेख के साथ आप लोगों से मिलेंगे।