शादी से पहले मैं राज से 3 बार मिली थी। पहली बार जब वो अपने माता पिता के साथ मुझे देखने आया था, दूसरी बार उसने माँ से अनुमति लेकर मुझे कॉफ़ी पर बुलाया था और तीसरी बार अपनी सगाई से 2 घंटे पहले। एक पढ़ी लिखी मॉडर्न लड़की होने के नाते मेरे लिए ये अर्रेंज मैरिज का तरीका बहुत अजीब था और ना ही मैं इसके लिए कभी राज़ी होने वाली थी, पर पापा के बार-बार कहने पर मैं राज से मिली और मुझे लगा कि मैं उसके साथ आगे का सफ़र तय कर सकती हूँ। आज शादी के 3 महीने पूरे हो चुके हैं और मुझे राज में अपना सबसे अच्छा दोस्त मिल चुका है। इस दोस्ती की शुरुआत तब हुई जब हम अपना हनीमून मनाने दिल्ली से नैनीताल रोड ट्रिप पर गए थे।
हनीमून के सफर में हमसफर से दोस्ती
शादी के 10 दिन बाद ही हमें नैनीताल के लिए निकलना था और ये राज का ही फैसला था की हम रोड ट्रिप करेंगे। सुबह 5 बजे हमें नैनीताल के लिए निकलना था जो दिल्ली से करीब 300 कि.मी. की दूरी पर है। मैं रात को पैकिंग करने के बाद देर से सोयी थी। सुबह मुझे 4 बजे का अलार्म सुनाई नहीं दिया था। करीब 4:30 बजे मुझे राज ने जगाया और मेरे हाथ में एक चाय का कप लाकर रख दिया। मेरी दिन की शुरुआत ही राज ने खुबसूरत बना दी थी। मैं इस ट्रिप के लिए काफी उतसाहित थी और थोड़ा नर्वस भी। हम करीब 5:30 बजे दिल्ली से नैनीताल के लिए रवाना हुआ। पिछलों 2 दोनों से बारिश होने के कारण मौसम ठंडा था और सूरज की हल्की किरणें हमारी गाड़ी की खिड़की पर पड़ रही थी। हमारी हनीमून की लॉन्ग ड्राइव शुरू हो चुकी थी और मौसम तो अलग ही रोमांस के मूड में था।
पटपड़गंज पार करने के बाद जब हम NH24 पर पहुँचे तो राज ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी और रेडियो चालू कर दिया। रेडियो पर पुराने गाने आ रहे थे जो हम दोनों को काफी पसंद थे। रेडियो पर गाना आया ‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू’ और राज इस गाने के साथ गुनगुनाने लगे। मैंने भी उसका साथ देना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में हम दोनों मौसम और गानों के साथ झूम रहे थे। हम ग़ाज़ियाबाद क्रॉस कर चुके थे।
मैंने राज से पूछा कि क्या हम नाश्ते के लिए कहीं रुकेंगे तो राज गाज़ियाबाद से थोड़ा आगे एक ढाबे पर ले गया। उसने बताया कि जब वो दिल्ली में पढ़ाई कर रहा था और दोस्तों के साथ बाइक लेकर रोड ट्रिप पर निकलता था तो इसी ढाबे पर आकर मौज मस्ती की जाती थी। उन्होंने हम दोनों के लिए चाय और आलू के पराठे का आर्डर दे दिया और मेरे करीब कुर्सी खींच कर बैठ गया। उसने मुझे अपने फ़ोन में कॉलेज की तस्वीरें दिखानी शुरू कर दी फिर मुझसे पुछा कि मैं कॉलेज में कैसे मौज-मस्ती किया करती थी। मैंने उनको बताया की किस तरह मैं और दोस्त कॉलेज बंक कर के दिन भर पहाड़ो की ओर बाइक राइड पर चले जाते थे। मेरा कॉलेज जम्मू कश्मीर में था इसलिए मौसम के साथ खूबसूरत नज़ारे हमें क्लास में चैन से बैठने ही नहीं देते थे। मुझे काफी अच्छा लग रहा था राज से बातें करके, ऐसा लग रहा था जैसे कॉलेज के किसी दोस्त के साथ बैठी हूँ और उन पलों को दोबारा जी रही हूँ। मैं बोल रही थी और राज मुझे देख कर बस मुस्कुरा रहा थे।
हमने ढाबे पर गर्म पराठे खाए और कुल्हड़ वाली चाय पी। जब हम वहाँ से निकल रहे थे तो राज अचानक मेरे पास आया और मेरे कान में कहा, “शिवानी तुम बहुत खुबसूरत लग रही हो ”। यह सुनते ही मैं थोड़ा सा चौंक गयी। मैंने राज की आँखों में शरारत देख ली थी और अन्दर ही अन्दर मुस्कुरा रही थी। हम आगे का रास्ता तय करने के लिए गाड़ी में बैठ चुके थे। मैंने राज से पूछा कि हमारा अगला पड़ाव क्या है? उसने बताया की दिल्ली से 90 कि.मी. दूर गढ़मुख्तेश्वर हमारा अगला पड़ाव होगा।
राज ने अब रेडियो बंद कर दिया था और हम बस उस शांति में तेज़ हवाओं की आवाज़ का आनंद ले रहे थे। अचानक उसने मुझसे पूछा, “शिवानी क्या तुम्हें गाड़ी चलाना पसंद है? ” मैंने ये सुनकर राज ने ब्रेक लगाया और गाड़ी से बाहर आकर बोला कि आज तुम अपने पति को हनीमून डेस्टिनेशन तक ले जाओगी। बस फिर क्या था, मैंने ड्राइविंग सीट संभाल ली और राज ने किशोर दा के गाने। राज वैसे तो अच्छा नहीं गाता पर उस दिन वो मुझे काफी सुरीला लग रहा था। शायद रोमांस मेरे दिमाग पर असर कर रह था। गढ़मुख्तेश्वर अब आधे घंटे की दूरी पर था और हमारे गाने सुनने का दौर अब भी चला जा रहा था। आस पास के नज़ारे बहुत खूबसूरत थे और सूरज की बादलों के साथ लुका छिपी उसे और भी खूबसूरत बना रही थी। हम गढ़मुख्तेश्वर में एक ढाबे पर रुके।
स्काईलार्क टूरिस्ट ढाबा, यह ढाबा अन्दर से काफी साफ़ था, हमने वहाँ लस्सी पीने का फैसला किया। हम दोनों लस्सी का इंतज़ार कर रहे थे तभी मैंने राज से पूछा,“क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड रही है?
उसने मुझे 2 का इशारा किया। मैंने सोचा मैं इसके आगे कुछ नहीं पूछूंगी लेकिन फिर उसी ने अपनी कहानी सुनाना शुरू कर दिया। उसने बताया कि एक स्कूल में थी टीनेजर वाला प्यार जो स्कूल से निकलने के बाद सभी भूल जाते हैं और एक कॉलेज में थी जो उसे कभी समझ नहीं पायी इसलिए वो रिश्ता आगे नहीं बढ़ पाया। मुझे अच्छा लग रहा था कि राज मुझे खुल कर अपनी ज़िन्दगी की सच्चाई बता रहा है। इसके बाद जवाब देने की बारी मेरी थी। राज ने इस बार भी शब्दों को छोड़ इशारे से ही पूछा, इस पर मैंने 3 का इशारा किया। इस पर राज हंस पड़ा और कहने लगा,“इतनी खुबसूरत लड़की फिर भी मुझे मिली है, हाय मेरी खुशनसीबी!
इसके बाद हम वहाँ से आगे बढ़े।
अब हमारा अगला पडाव गढ़मुख्तेश्वर से 177-180 कि.मी. दूर हल्द्वानी था। बाहर के नज़ारे बहुत खूबसूरत थे पर सड़क अच्छी नहीं थी इसलिए मैं गाड़ी धीरे ही चला रही थी। मैं और राज लगातार कॉलेज की बातें कर रहे थे। मुझे उसके साथ वक़्त बिताना अच्छा लग रहा था। बीच-बीच में राज मुझे एकटक निहारने भी लगता था जो मुझे थोड़ा नर्वस भी कर देता था। कुछ देर में हम रुद्रपुर तक आ चुके थे और हल्द्वानी वहाँ से 40-50 कि.मी. को दूरी पर था।
जैसे-जैसे हम नैनीताल के करीब आ रहे थे मौसम और सुहाना और रोमांटिक होता जा रहा था। रेडियो पर भी रोमांटिक गाने आ रहे थे और राज का मेरी ओर एकटक देखना मुझे उस रोमांस का हर पल एहसास दिला रहा था। रुद्रपुर का वातावरण इतना शांत था कि कुछ देर हम गाड़ी रोकर वहीं रुक गए। रोड से कुछ दूरी पर एक चबूतरा बना था, हम दोनों वहाँ जाकर बैठ गए। ठंडी हवा चल रही थी। मैंने राज के कंधे पर अपना सिर रखा और आस पास के नज़ारे देखने लगी। बहुत सुकून भरा पल था वो और मन ही मन मैं सोच राज के इस रोड ट्रिप के फैसले पर उसे शाबाशी दे रही थी। करीब आधे घंटे वहाँ बैठने के बाद हम हल्द्वानी के लिए निकले और 2 घंटे में वहाँ पहुँच गए।हलद्वानी में हम ज्यादा देर नहीं रुके और काठगोदाम की ओर आगे बढ़े। कुछ घंटों में हम काठगोदाम पहुँच चुके थे और वहाँ का नज़ारा हमें एहसास दिला रहा था कि नैनीताल कितना खुबसूरत होगा।
दूर तक हरी घास और वहाँ से खुबसूरत पहाड़ दिखाई दे रहे थे। अब तो हम दोनों बस नैनीताल पहुँचना चाहते थे। करीब 35 कि.मी. का रास्ता तय करके हम नैनी झील तक पहुँच चुके थे।
नैनी झील जैसी खूबसूरती अतुलनीय थी। हम दोनों ने गाड़ी वहीं रोकी और कुछ देर बैठने का फैसला किया। झील से बहते पानी की मधुर अवाज़, ठंडी हवा से लहलहाते पेड़ और पहाड़ों का दृश्य और इस खूबसूरती के बीच हम दोनों एक दुसरे का हाथ थामे बैठे हुए थे। मुझे एहसास हो चूका था कि मैं राज के साथ हर पल बिताने को तैयार हूँ और नैनीताल की ये ट्रिप हमारे लिए यादगार होने वाली है।
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