मांडू, इंदौर - प्यार और पराजय की गाथा

Tripoto
13th Dec 2022
Photo of मांडू, इंदौर - प्यार और पराजय की गाथा by Ranveer Singh
Day 1

मांडू प्राचीन काल में परमार वंश के राजाओं की राजधानी थी जो कि नर्मदा नदी की घाटी के निकट स्थित है ।

मांडू के प्रमुख महल

1. जहाज महल
जहाजनुमा आकार में इस महल को दो मानवनिर्मित तालाबों के बीच बनाया गया था।

2. हिंडोला महल
टेड़ी दीवारों के कारण इस महल को हिंडोला महल कहा जाता है।

3. होशंग शाह का मकबरा (जामा मस्जिद)

4. इको प्वाइंट

5. बाज बहादुर महल

6. रानी रूपमती का महल

इनके अलावा नहर झरोखा, और नीलकंठ महल भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

रानी रूपमती महल का इतिहास ~
रानी रूपमती एक राजपूत महिला थी जिन्हें सुरों की मलिका कहा जाता था । तत्कालीन समय के मांडू के शासक बाज बहादुर शाह भी संगीत प्रेमी थे इस बीच उनकी मुलाकात हुई तत्पश्चात रानी रूपमती और बाज बहादुर शाह दोनों का विवाह हुआ ।

रानी रूपमती नर्मदा माता जी के दर्शन किए बिना अन्न जल ग्रहण नहीं करती थी । इसलिए ऐसा कहा जाता है की सिर्फ 24 घंटो के भीतर ही रानी रूपमती महल को तैयार कर दिया गया था जहां से रानी रूपमती नर्मदा माता की पूजा कर सके । यहां  से नर्मदा नदी का दृश्य देखने के लिए मिलता है । । नर्मदा नदी यहां से 305 मीटर नीचे स्थित है।

रानी रूपमती का महल बाज बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कहानी का गवाही देता है। महल के सबसे ऊपरी हिस्से में दो छतरी देखने के लिए मिलती है, जिनका डिजाइन बहुत ही सुंदर लगता है।रानी रूपमती महल के निचले हिस्से में बड़े-बड़े कुंड देखने के लिए मिलते हैं। इन कुंडों में वर्षा जल एकत्र किया जाता था। यहां पर छत के नीचे टैंक बने हुए हैं और वर्षा जल को एकत्र करने के लिए पाइप लगे हैं, जिससे वर्षा जल यहां पर आकर इकट्ठा हो जाता था। यहां पर गर्म पानी के लिए भी अलग कुंड देखने के लिए मिलता है। छत से नीचे उतरने के लिए सीढ़ियां बनी है और यहां पर उजाले के लिए छोटे-छोटे खिड़कियां बनी हुई है। छत में यह रोशनदान देख सकते हैं।

रानी रूपमती महल

Photo of Mandu by Ranveer Singh
Photo of Mandu by Ranveer Singh
Photo of Mandu by Ranveer Singh
Photo of Mandu by Ranveer Singh

रानी रूपमती और सुल्तान बाज बहादुर की प्रेम कहानी - Love story of rani roopmati and sultan baz bahadur
रानी रूपमती एक कवि और संगीतज्ञ थी। एक बार शिकार में गए सुल्तान बाज बहादुर को रानी रूपमती का संगीत सुनने मिला और सुल्तान बाज बहादुर ने रानी रूपमती का संगीत सुना और उनके रूप में खो गए और उन्हें रानी रूपमती से प्रेम हो गया। रानी रूपमती एक साधारण हिंदू किसान की लड़की थी। रानी रूपमती और सुल्तान के बीच में प्रेम हो गया और रानी रूपमती ने सुल्तान के सामने एक शर्त रखी, कि वह मांडू आएंगी। वह अपने हिंदू धर्म का पालन करेंगी और सुबह नर्मदा नदी का दर्शन करके ही खाना खाएंगी। शर्त के अनुसार ही सुल्तान बाज बहादुर ने रानी रूपमती महल का निर्माण किया और इसे रानी रूपमती मंडप भी कहते हैं और यहां से रानी रूपमती नर्मदा नदी का दर्शन करती थी और पूजा करती थी। उसके बाद ही जल और अन्य ग्रहण करती थी। रानी रूपमती और राजा बाज बहादुर के बीच प्रेम कहानी शुरू हुई। मगर हर प्रेम कहानी की तरह इस प्रेम कहानी में भी एक बाधा आ गई।

ऐसा कहा जाता है की अकबर ने जब रानी रूपमती के बारे में सुना तो अकबर ने रानी रूपमती को अपने दरबार में पेश करने की इच्छा जताई और मांडू शासक बाज बहादुर शाह को पत्र भिजवाया । पत्र पड़कर बाज बहादुर ने इस आदेश को इंकार कर दिया जिसे अकबर सहन नहीं कर सका और अपने सेनापति आदम खां को मांडू रियासत पर आक्रमण करने को कहा । इस युद्ध को सारंगपुर का युद्ध कहा जाता है जिसमे बाज बहादुर को बंदी बना लिया जाता है । यह खबर जब रानी रूपमती के पास पहुंचती है तो वह जहर पीकर अपने प्राण स्वयं त्याग कर देती है क्योंकि वह अपने आप को मुगलों के अधीन नहीं करना चाहती थी । मुगल सेनापति के आने से पहले से ही रानी रूपमती की मृत्यु हो जाती है। जब यह खबर अकबर तक पहुंचती है तो उसे बहुत दुख होता है क्योंकि अकबर स्वयं एक संगीत प्रेमी था और उसने एक संगती कलाकार को खो दिया था । इसलिए उसने बाज बहादुर को रिहा कर दिया फिर ऐसा कहा जाता है की बाज बहादुर शाह सारंगपुर में बनाए गए रानी रूपमती के मकबरे पर ही अपना सिर पटक पटक कर अपने प्राण त्याग देता है । इस बार को सुनकर अकबर को बहुत दुख होता है और वह स्वयं बाज बहादुर शाह का मकबरा सारंगपुर में जाकर बनवाता है और रानी रूपमती के मकबरे पर  शहीद ए वफ और बाज बहादुर शाह के मकबरे पर आशिक ए सादिक लिखवाता है ।

सारंगपुर वासियों के लिए यह मकबरा किसी ताजमहल से कम नही है । सारंगपुर शाजापुर जिले के निकट एक गांव है जहां रानी रूपमती का वास्तविक गांव माना जाता है।

मांडू में जाने के बाद वास्तविक प्रकृति को देखने का अनुभव होता है । शांति, प्रेम और शीतलता के लिए इससे बेहतर स्थान शायद ही कहीं और हो ।

मिलने और बिछड़ने की इस प्रेम गाथा की गूंज आज भी मांडू के किले में सुनाई देती है ।

Photo of मांडू, इंदौर - प्यार और पराजय की गाथा by Ranveer Singh

रानी रूपमती महल के सामने का दृश्य

Photo of मांडू, इंदौर - प्यार और पराजय की गाथा by Ranveer Singh
Photo of मांडू, इंदौर - प्यार और पराजय की गाथा by Ranveer Singh

जहाज महल

Photo of मांडू, इंदौर - प्यार और पराजय की गाथा by Ranveer Singh

मांडू कैसे पहुंचे ~

हवाई मार्ग
मांडू एक छोटा सा शहर है लेकिन फिर भी यहां तक वायु मार्ग के द्वारा इंदौर के रास्‍ते से आसानी से पहुंचा जा सकता है। मांडू का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट इंदौर हवाई अड्डा है जो मांडू से 100 किमी. की दूरी पर स्थित है ।

रेल मार्ग
मांडू में कोई रेलवे स्‍टेशन नहीं है। मांडू का नजदीकी रेलवे स्‍टेशन इंदौर जो मांडू से 100 किमी. दूरी पर स्थित है तथा रतलाम जो मांडू से सड़क मार्ग द्वारा 125 किमी. की दूरी पर स्थित है। बस, टैक्‍सी द्वारा इंदौर तथा रतलाम से मांडू तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग
मांडू से राष्‍ट्रीय राजमार्ग और राज्‍य राजमार्ग दोनों ही अच्‍छी तरह जुड़े हुए है। इस शहर से भारत के महत्‍वपूर्ण शहरों के लिए बसें आसानी से मिल जाती है। मांडू, धार और इंदौर से अच्‍छी तरह कनेक्‍ट है। मांडू से इंदौर व धार के लिए नियमित रूप से बसें चलती रहती है। कार को भी इंदौर और धार से किराए पर ले जाया जा सकता है।

मांडू घूमने कब जाये
अगर आप माण्डव घूमने के लिए सोच रहे है तो बता दू की यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय बारिश का होता है जिससे आपको प्रकृति की वादियों में बदलो को बहुत करीब से देखने का मजा ही कुछ और होता है ।

वैसे तो मांडू घूमने किसी भी मौसम में जा सकते है पर बरसात के दिनों ही यहाँ के प्राकतिक सौंदर्य को अच्छे से देख पाएंगे ।

@mr_ranveer_banna