अगर आपको शहरी भागदौड़ पसंद नहीं है और उस नर्क वाली ज़िंदगी से कुछ दिनों के लिए बाहर आना चाहते हैं। जहाँ चारों तरफ प्रकृति की छटा बिखरी हो, शांति हो और उस गोद में आप हों। ऐसा ही खूबसूरत और शांत कस्बा है केरल का थेक्क्ड़ी। केरल तो वैसे भी खूबसूरत पहाड़ों, नदियों और जंगलों के लिए फेमस है। कुदरत के ऐसे ही संगम को लेकर बैठा है केरल के इडुक्की जिले का ये खूबसूरत कस्बा। चलिए आज खूबसूरत थेक्क्ड़ी कस्बे के सफर पर चलते हैं।
थेक्क्ड़ी केरल के इडुक्की जिले का एक छोटा-सा कस्बा है। थेक्क्ड़ी एक मलयाली शब्द है, जो ‘थेक’ शब्द से आया है। मलयालम में सागवान के पेड़ को थेक्क्ड़ी कहते हैं। यहाँ के जंगलों में सागवान के वृक्ष बहुत हैं, इसी वजह से इस जगह का नाम थेक्क्ड़ी रखा गया। हिंदी भाषी लोग इसका गलत उच्चारण करते हैं। वैसे तो इस जगह का नाम तेकड़ी है लेकिन लोग इसे थेकड्डी या थेक्कड़ी कहते हैं। ऐसा इसकी स्पेलिंग की वजह से होता है। तेकड़ी इतना खूबसूरत कस्बा है कि इसको देखते ही आप इसको अपना दिल दे बैठेंगे।
इस छोटे-से कस्बे को आपको पैदल चलते हुए देखना चाहिए। अगर आप घूमने वाले व्यक्ति हैं तो आपको यहाँ प्रकृति को निहारना बेहद अच्छा लगेगा। यहाँ के जंगलों में आप हाथियों को देख सकते हैं, रास्ते में पक्षियों की चहचहाहट सुनकर आप उछल पड़ेंगे। इसके अलावा आपको ऐसे पेड़-पौधे और जानवर देख पाओगे, जो और कहीं नहीं दिखते। यहाँ दूर-दूर तक फैली सुंदरता है और पहाड़ का रोमांच भी है। सुंदरता से भरपूर पेरियार घाटी में स्थित तेकड़ी कस्बा समुद्र तल से 1700 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस जगह का जादू आप यहाँ आकर ही महसूस कर पाएँगे। यहाँ की बारिश हो, फिर चाहे चाय-काॅफी के बागान या इलायची के खेत, ये सब मन को बांधने वाले नज़ारे होते हैं। यहाँ के जंगल जैवविविधता के लिए देश भर में फेमस है। यहाँ की खूबसूरत घाटियाँ, झरने और कलकल करते पानी के सोते मन मोह लेते हैं।
चेलारकोविल वाॅटरफाॅल
तेकड़ी से 15 कि.मी. उत्तर में चेलारकोविल वाॅटरफाॅल है जो तेकड़ी की खूबसूरती का नायाब नगीना है। अगर आप तेकड़ी के जंगल की सैर कर चुके हैं और कुछ नया देखना चाहते हो तो ये वाॅटरफाॅल सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। केरल सरकार के पर्यटन विभाग ने यहाँ के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए और स्थानीय लोगों की भूमिका को बढ़ाने के लिए एक अच्छा काम किया है। तेकड़ी के आसपास वाॅटरफाॅल के पास रह रहे लोगों को इसके पर्यटन की ज़िम्मेदारी दे रखी है। केरल की ऊँचाई से तमिलनाडु के खेतों की ओर बहता ये झरना अपने आप में अलग अनुभव देता है। यहाँ दो अलग-अलग दो राज्यों की भौगोलिक स्थिति और सुंदरता हमारा ध्यान खींच लेती है। ये खूबसूरती आपको रूकने के लिए मजबूर कर देती है। झरने का दूध जैसा सफेद पानी आकर्षणीय है।
तेकड़ी का अनूठा जंगल
रोमांच के शौकीन टूरिस्टों के लिए तेकड़ी एक नायाब तोहफा है। यहाँ रात के समय ट्रेकिंग करने के लिए दो टोलियाँ जंगल के घने हिस्से में जाते हैं। इस समय जंगली जानवर सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं। 5 से 8 लोगों की दो टोलियाँ गाइड और सुरक्षाकर्मियों के साथ जंगल जाते हैं। इसे ही जंगल नाइट पट्रोल के नाम से भी जाना जाता है। इस घने जंगल में बड़े जंगली जानवर रात के अंधेरे में शिकार करते देखे जा सकते हैं। यह ट्रेकिंग रात के अंधेरे और जानवरों की वजह से रोमांचक तो होती ही है साथ में इसकी एक और खासियत इसे रोमांचक बनाती है। इस जंगल के गाइड्स को यहाँ के चप्पे-चप्पे के बारे में पता है। वे जानवरों के व्यवहारों को बखूबी समझते हैं। जंगल के गाइड वे लोग हैं जो जंगलों में पहले तस्कर थे। उन्हें पुर्नवास और रोजगार देने के साथ-साथ उन्हें जीवन की मुख्यधारा में लौटाने के लिए सरकार की तरफ से सराहनीय काम किया है। इन गाइड्स के पास बहुत सारे रोचक किस्से हैं। अगर आप इन जंगलों की सैर करना चाहते हैं तो केरल पर्यटन विकास निगम की वेबसाइट पर जाकर हर रात जाने वाली इन दो टोलियों में अपना नाम रिज़र्व करा सकते हैं।
बागानों में सैर
तेकड़ी केवल अपने जंगल के लिए ही नहीं, बल्कि बागानी के लिए भी फेमस है। यहाँ इलायची, काली मिर्च, चाय-काॅफी और दूसरे मसालों की खेती होती है। जो टूरिस्ट बागानी की बारीकियों को समझना चाहते हैं और उन्हें यहाँ ज़रूर आना चाहिए। इसके लिए यहाँ गाइडेड टूर भी होते हैं। इसके साथ यहाँ कुमली में जिला पर्यटन कार्यालय द्वारा बागानों की यात्रा करवाई जाती है। वहाँ से टिकट लेकर बागानों के सफर का आनंद ले सकते हैं। यह उन लोगों के लिए भी मुफीद है, जो कठिन ट्रेकिंग नहीं कर सकते। उन्हें यहाँ केरल की असल पहचान से मिलने का अवसर मिलता है। यहाँ मसालों की उस दुनिया को करीब से देख सकते हैं, जिसने कभी यूरोपीय और अरब के लोगों को आकर्षित किया। ये बागान हमें इतिहास से जोड़ देते हैं। केरल से जानी वाली फेमस काली मिर्च का मूल स्थान यही है।
मूल निवासियों से मुलाकात
ये जगह अपने हरे-भरे जीवन के लिए जाना जाता है। लेकिन यहाँ के मूल निवासियों से मिलकर लगता है कि जितनी हरियाली बाहर है, उतनी ही उनके मन के भीतर। प्रकृति से सामंजस्य बनाना कोई इनसे सीखे। तेकड़ी के मूल निवासी मुथुवान, एजवा जैसी कुछ आदिवासी हैं। जंगलों के बीचोंबीच बसी उनकी बस्तियाँ उनके जीवन के रोमांच को दिखाने के लिए काफी है। ये लोग तेकड़ी की सुंदरता में खासा योगदान देते हैं। आप यहाँ ठहरकर उनके बीच जा सकते हैं और सदियों पुरानी उनकी जिंदगी और संस्कृति से रूबरू हो सकते हैं। केरल के कलारीपयट्टू को विश्व का सबसे पुराना मार्शल आर्ट माना जाता है। इसको अगर आप देखना चाहते हैं तो आपको तेकड़ी ज़रूर आना चाहिए। अक्सर यहाँ भीड़ के कारण यहाँ टिकट नहीं मिल पाता इसलिए कलारीपयट्टू शो के लिए टिकट बुक करा लेना चाहिए।
ट्रेकिंग का शानदार अनुभव
तेकड़ी के आसपास घूमने-फिरने और ट्रेकिंग के रोमांच को जी सकने वाली जगहों की भरमार है। इनमें प्रमुख हैं- रामक्कलमेड़, परिंदुपारा, कलावरी माउंट आदि। इसके साथ-साथ आप एलापारा जा सकते हैं। इस गाँव का नाम इलायची यानी एला के नाम पर पड़ा। इसके साथ टूरिस्ट यहाँ गवी के सफर पर भी जा सकते हैं, जहाँ का लैंडस्केप बहुत खूबसूरत है। तेकड़ी से गवी के लिए जीप सफारी उपलब्ध रहती है। इस तरह यह दोहरे आनंद की जगह बन जाती है।
बाॅडी राफ्टिंग यानी कि बांस की नाव। बांस की मोटी-मोटी बल्लियों को एक साथ रखकर बनाई गई यह नाव लकड़ी या प्लास्टिक कर नावों से अलग होती है। यह पानी की सतह पर जैसे तैरती है, वह यात्री खुद को पानी पर फिसलने जैसा अनुभव देती है। सुबह से शाम तक चलने वाली ये यात्रा जीवन भर के लिए यादगार रह जाती है। इसमें आपको दस-दस यात्रियों के दल में लोकल लोगों के साथ जाते हैं। टूरिस्टों को घने जंगल के रास्ते ट्रेकिंग करवाते हुए ले जाया जाता है। इसी ट्रेक में पश्चिमी घाट की पहाड़ियों का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है और जंगली जानवरों को देखने को मिलता है। इसके बाद बांस की नावों की तीन घंटे की लंबी यात्रा होती है, जो जंगलों को इतने करीब से देखने में बहुत अच्छा लगता है।
पेरियार टाइगर रिजर्व
तेकड़ी आने पर सबसे प्रमुख आकर्षण है- पेरियार नेशनल पार्क। इस अभ्यारण्य में प्रकृति अपने मूल रूप में अलसाई-सी दिखाई देती है। ये पार्क तेकड़ी महज 2.5 कि.मी. दूर है। कभी त्रावणकोर के राजाओं की शिकार की ये जगह भारत सरकार के अधीन है। 1978 में इसका नाम बदलकर पेरियार टाइगर रिजर्व रखा गया। ये जगह जानवरों के लिए भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में सबसे सुरक्षित जगहों में से एक है। ये जंगल पेड़ों की हरियाली से भरा हुआ है। पेरियार टाइगर रिजर्व तकरीबन 305 वर्ग कि.मी. में फैला हुआ है। इसके भीतर से होकर पेरियार और पंबा नदियाँ बहती हैं। पेरियार नदी को केरल की जीवनदायिनी कहलाती है। पेरियार टाइगर रिज़र्व में रहने के लिए केटीडीसी की वेबसाइट पर बुकिंग कराई जा सकती है।
कब और कैसे जाएँ?
तेकड़ी देश के उन गिने-चुने जगहों में से एक है, जहाँ साल भर जाया जा सकता है। लेकिन मानसून और इसके तुरंत बाद इस जगह की खूबसूरती कमाल की होती है। तेकड़ी तक जाने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट कोच्चि में है और सबसे करीब रेलवे स्टेशन है, आलुवा। यहाँ से बस और टैक्सी से तेकड़ी तक जाया जा सकता है। सरकारी और प्राइवेट दोनों ही की बसें यहाँ चलती हैं। यहाँ ठहरने के लिए पर्यटन विभाग के अलावा सभी तरह के होटल और लाॅज भी उपलब्ध हैं।