हम सुबह कुरुक्षेत्र - खजुराहो स्पेशल ट्रेन से खजुराहो पहुंचे।
वहां हम अपनी भांजी का शादी में शामिल होने गए थे, जो कि पन्ना के होटल शांवी लैंडमार्क में 2 जुलाई को होनी थी।
हम 1 जुलाई को होटल सुबह 9 बजे पहुंच गए और बाकी लोग शाम को 5 बजे तक आने थे।
इसलिए हमने एक छोटी सी ट्रिप प्लान की जो 4 से 5 घंटे की हो।
होटल रिसेप्शन पर हमारी बात सौरभ से हुई जिसने हमें पांडव फॉल, पांडव गुफा और रेनेह फॉल घूमने की सलाह दी।
हम करीब दिन के 11 बजे मारुति स्विफ्ट से वहां के लिए निकल गए। आधे घंटे का सफर तय करके पांडव फॉल पर पहुंचे। वहां से एंट्री टिकट लेकर हम अंदर पार्किंग तक पहुंचे जहां गाड़ी पार्क की। वहां हमें एक लोकल गाइड धमेंद्र मिला जिसने वहां के जीव विविधता को बहुत बारीकियों से समझाया। पार्किंग पर चंद्रशेखर आजाद की मूर्ति लगी हुई है उसके नीचे लिखा गया है कि इन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ इसी पांडव गुफा में एक मीटिंग की थी जो कि भारत माँ की आजादी को लेकर थी।
पार्किंग से नीचे करीब 200 सीढियां चलकर हम नीचे उस झील पर पहुंचे जिसमें पांडव झरना गिरता है। वहां का दृश्य अत्यंत ही मनमोहक, शांत और ऊपर के मुकाबले ठंडा था। उसने बताया कि बरसात में जब अच्छी बारिश होती है तो नीचे आने से रोक दिया जाता है क्योंकि हर जगह पानी भर जाता है। यहाँ से नाइट सफारी भी की जा सकती है।
वहां झील के किनारे ठंड होने से पेड़ो पर मधुमक्खियों के बहुत से घर बने हुए हैं और उसने बताया कि इन पेड़ो पर शहद खाने के लिए रात में भालू आते हैं जिनके निशान उन पेड़ो पर साफ देखे जा सकते हैं। थोड़ी दूर जाने पर कुछ गुफाएं बनी हैं जिनके लिए ये मानना है कि पांडव अपने अज्ञातवास में कुछ दिन यहां इन्ही गुफाओं में ठहरे थे।
यहां के जो पत्थर हैं वो सेडिमेंट्री रॉक्स हैं जो परत दर परत जम जाने से बनी है, जिनसे ये एक मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करते हैं। इन पत्थरों पर अर्जुन के पेड़, गोंद के पेड़ और तरह तरह की वनस्पतियाँ उगी हुई हैं।
कुल मिलाकर यह समय बिताने के लिए एक अच्छी जगह है।
इसके बाद हम लोग रेणेह फॉल के लिए निकल गए जो कि वहां से काफी दूर था। करीब डेढ़ घंटे चलने के बाद हम वहां पहुंचे। वहां पर एंट्री टिकट लिया और अंदर पहुंच गए।
ये फॉल बिलकुल अलग तरह के पत्थरों से बना हुआ हैं जिसे इग्नियस रॉक्स बोलते हैं। यहां पर गाइड ने हमे बताया कि सदियों पहले यहां ज्वालामुखी के फटने से ये रॉक्स बने हैं और ये अमरीका के canyon rocks की तरह दिखते हैं।
यहां भी झरनों का एक समूह है जो बारिश के दिनों में अलग तरह का मनोरम दृश्य प्रस्तुत किया करते हैं। यहां से करीब 5 तरह के ग्रिनाइट निकाले जाते हैं जो सभी अलग अलग रंग और प्रकार के होते हैं। इन पत्थरों के बीच से सीढियां बनाई गई हैं जिनसे होकर हम आ जा सकते हैं। यहाँ पर सागौन के पेड़ो का बहुत बड़ा समूह है जो वन विभाग के अंतर्गत आता है और आम जन इसे काट नही सकते। इन पेड़ो का बहुत ही आर्थिक महत्व हैं।
चूंकि धूप बहुत होने के कारण हम थोड़ी देर ही बाहर घूम सकें और फिर उसी प्रांगण में बने एक काफी शॉप पर बैठकर कुछ नाश्ता पानी किया।
यहाँ पर एक केन घड़ियाल सेंचुरी भी है लेकिन 1 जुलाई से 30 सितंबर तक उनके प्रजनन को ध्यान में रखते हुए बंद कर दिया जाता है जिसके चलते हम उसे नही देख पाए।
थोड़ी देर आराम के पश्चात हम वहां से अपने होटल के लिए प्रस्थान किया और उन घुमावदार सड़को और केन नदी को पार करते हुए अपने होटल वापस पहुंच गए।