जैसलमेर ट्रैवल गाइड: राजस्थान की सुनहरी नगरी की यात्रा से जुड़े सारे सवालों के जवाब मिलेंगे यहाँ!

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भारत के पश्चिमी छोर पर, राजस्थान का एक अनोखा शहर, जैसलमेर, बीते युगों की दास्ताँ, शूरवीर राजाओं की वीरता और अपनी एक जीवंत संस्कृति की गाथा पेश करता है।इस शहर का नाम राजपूत राजा महारावल जैसल सिंह के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1156 ईस्वी में इस शहर की स्थापना की थी।

"जैसलमेर" का अर्थ है "जैसल का पहाड़ी किला"।

थार मरुस्थल के बीच बने इस ख़ूबसूरत शहर को भारत की ‘गोल्डन सिटी’ भी कहा जाता है। यह भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।इस जगह को देखने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी तक है।मेरा सुझाव है कि आप अपने प्रसिद्ध राजस्थानी व्यंजनों का पता लगाने के साथ - साथ यहाँ की समृद्ध विरासत और संस्कृति को जानने के लिए कम से कम 4 दिनों का प्रोग्राम बनाएँ।

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जैसलमेर की प्रमुख शहरों से दूरी:

दिल्ली: 793 कि.मी.

जयपुर: 585 कि.मी.

जोधपुर: 294 कि.मी.

उदयपुर: 522 कि.मी.

उत्सुक यात्रियों के लिए, यहाँ जैसलमेर में करने के लिए सबसे अच्छी 11 चीजों का सुझाव है।

1. कुलधरा के वीरान गाँव को एक्सप्लोर करें।

कुलधारा एक सुनसान निर्जन, छोड़ा हुआ गाँव है जो जैसलमेर शहर से 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।13 वीं शताब्दी के आसपास स्थापित, यह गाँव पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया एक समृद्ध गाँव था।किन्तु 19 वीं शताब्दी के आरंभ में कुछ अनजान कारणों से इसे छोड़ दिया गया था, माना जाता है पानी की कमी और सलीम सिंह नामक दीवान के अत्याचारों के कारण रातों रात यहाँ के निवासी इसे छोड़ कर चले गए थे। गाँव के बारे में स्थानीय जानकारों का दावा है कि पालीवाल ब्राह्मणों ने गाँव छोड़ते हुए यह शाप दिया था कि अब यह गाँव सदा के लिए वीरान रहेगा और इस जमीं पर दोबारा कोई नहीं बस पाएगा। यहाँ सैकड़ों इमारतों के खंडहर देखे जा सकते हैं और कुछ इमारतें तो वैसी ही हैं जैसी पालीवाल ब्राह्मणों ने छोड़ी थीं।यहाँ आश्चर्य चकित करने वाले दृश्यों का अनुभव तो होता ही है।मगर इस शापित गाँव को भूतों का गाँव भी कहते हैं और उससे जुड़े कई डरावने किस्से भी बहुत प्रचलित हैं।

सैम सैंड ड्यून्स डैज़र्ट सफारी जैसलमेर

Photo of कुलधरा, Jiyai, Rajasthan, India by Tripoto

2. सैम सैंड ड्यून्स में जीप और ऊँट की सफारी

यदि आप रेगिस्तान सफारी के लिए नहीं गए तो यहाँ की यात्रा के रोमांचक मज़े से आप वंचित रह जायेंगे। हमें बहुत मज़ा आया जब हमारे ड्राइवर ने तेज़ी से रेत के ऊँचे टिब्बों पर हमारी जीप को चढ़ाने की कोशिश की और वह अपने आप साइड की तरफ नीचे उतर गयी।

3. सैम सैंड डयून्स पर एक मज़ेदार सांस्कृतिक शाम

कैंप में हमारा परम्परागत तरीके से स्वागत किया गया और हमने राजस्थानी लोक संगीत और नृत्य का आनंद लेते हुए शाम की चाय और स्वादिष्ट स्नैक्स का लुत्फ़ उठाया।कुल मिलाकर यह बहुत रोमांचक था।रात में हमारे लिए पारंपरिक राजस्थानी डिनर परोसा गया जिसमें दाल, बाटी, चूरमा, चावल, केर-सांगरी और एक स्थानीय सब्जी शामिल थी।

आप भी अपने प्रियजनों के साथ कैंप फायर का मज़ा लेते हुए स्वादिष्ट राजस्थानी बुफ़े का स्वाद लें।

4. सैम सैंड डयून्स में कैंप स्टे

जैसलमेर के एक लक्जरी कैंप में रुकें और रेगिस्तान का आनंद लें।इसमें आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा स्वादिष्ट भोजन कैंप स्टे के कुछ मुख्य आकर्षण हैं।


5. जैसलमेर युद्ध संग्रहालय अवश्य देखें

जैसलमेर युद्ध संग्रहालय, शहर से 10 किमी दूर जैसलमेर-जोधपुर राजमार्ग पर स्थित है। यह म्यूजियम विशेष रूप से 1965 के भारत-पाक युद्ध और 1971 के लॉन्गेवाला युद्ध के दौरान सैनिकों की बहादुरी और बलिदान की स्मृति में भारतीय सेना द्वारा स्थापित किया गया है। यहाँ टैंक, बंदूक और सैन्य वाहनों के साथ- साथ कई युद्ध ट्रोफियाँ और पुराने उपकरण प्रदर्शित हैं। इस संग्रहालय को अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन यात्रा गाइड ट्रिप एडवाइजर द्वारा राजस्थान के शीर्ष युद्ध संग्रहालयों में से एक माना जाता है।


6. गढ़ीसर झील का भ्रमण करें

यह झील 1156 A.D में महारावल गडसी द्वारा बनाई गई एक बनावटी पानी का जलाशय है।

यह झील मूल रूप से पीने और दैनिक उपयोग के लिए बनाई गई थी क्योंकि क्षेत्र में पानी की कमी थी ।

1965 तक झील का उपयोग पेयजल स्रोत के रूप में किया जाता था। इस झील के बीचों बीच कुछ चबूतरे और दो छतरीनुमा ढाँचे स्थित हैं।


Photo of पटवों की हवेली, Amar Sagar Pol, Jaisalmer, Rajasthan, India by Tripoto

7. पटवों की हवेली देखें

पटवों की हवेली जो वास्तुकला का एक दिलचस्प नमूना है, जैसलमेर की हवेलियों के बीच सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।पटवा पुराने सिल्क रूट के समृद्ध व्यापारी थे। उन्होंने पटवों की हवेली का निर्माण किया, जिसे पूरा करने में 60 साल लगे। इस हवेली की शुरुआत 1805 में एक धनी बैंकर गुमान चंद पटवा ने की थी।

उन्होंने अपने 5 बेटों के लिए अलग- अलग हवेलियों के निर्माण का आदेश दिया। वर्तमान में एक हवेली का मालिकाना हक व्यापारी के पास है , एक हवेली भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है और अन्य तीन अभी भी उसके बेटों के पास है।

पीले बलुआ पत्थर से निर्मित, यह हवेली, झरोखों (बालकनियों), खिड़कियों, गलियारों और मेहराबों में विशेष जटिल नक्काशी का नमूना पेश करती है।

8. नाथमल जी की हवेली की सैर करें

नाथमल जी की हवेली पत्थर वास्तुकला का अद्भुत नमूना है।महारावल बेरिसाल ने इस सजावटी दो मंजिला हवेली का निर्माण वर्ष 1885 ए० डी० में करवाया और इसे अपने दीवान नाथमल को निवास स्वरुप उपहार में दे दिया।

हवेली के दोनों ओर निर्मित पत्थर के हाथी, दीवान नाथमल के पद और शान शौकत को दर्शाते हैं।

नाथमल की 7 वीं पीढ़ी इस हवेली में रहती है। इसलिए हमें अंदर नहीं जाने दिया गया। लेकिन हम बाहर से हवेली देख सकते हैं।


Photo of सोनारगढ़ किला जैसलमेर, Khejer Para, Manak Chowk, Amar Sagar Pol, Jaisalmer, Rajasthan, India by Tripoto

9. जैसलमेर के किले पर जाएँ

जैसलमेर का किला सोनार किला के नाम से प्रसिद्ध है। यह राजस्थान का दूसरा सबसे पुराना किला है।

यह किला 1156 ईस्वी में भाटी राजपूतों द्वारा बनाया गया था, इसकी ऊँचाई 250 फीट और इसमें 99 दुर्ग हैं।

त्रिकुटा हिल पर ग्रेट थार रेगिस्तान के सुनहरे रंगों के बीच यह किला अपना सीना तान कर खड़ा है। यह किला खिलजियों, तुगलकों, मुगलों और राठौर शासकों के द्वारा लड़ी गयीं अनगिनत लड़ाइयों का हिस्सा रहा है।

ये किला जैसलमेर उस काल के कारीगरों के कौशल के साथ- साथ समाज के कई पहलुओं को दर्शाता है।किले के चार प्रवेश द्वार हैं- गणेश, अक्षय, सूरज और हवा पोल।

किले की वास्तुकला बड़ी अद्भुत है और किले के भीतर भी कई आकर्षक स्थल हैं: किले का राज महल, लक्ष्मीनाथ मंदिर, जैन मंदिर, चार विशाल प्रवेश द्वार और व्यापारी हवेली।

10. सलीम सिंह जी की हवेली देखें

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‘सलीम सिंह की हवेली’ सलीम सिंह द्वारा बनवाई गई थी, जो उस समय जैसलमेर के प्रधान मंत्री थे, जब यह रियासत की राजधानी थी। वर्तमान हवेली 17 वीं शताब्दी के अंत में निर्मित एक पुरानी हवेली के अवशेषों पर बनाई गई है।नए भवन का निर्माण वर्ष 1815 में किया गया था जिस पर जैसलमेर के मेहता परिवार का कब्जा था।इसकी छत का निर्माण मोर के रूप में किया गया है।

हवेली के एक हिस्से पर अभी भी कब्जा है। सलीम सिंह की हवेली को ज़रूर देखें। यह हवेली जैसलमेर किले के पास पहाड़ियों के पास स्थित है।

11. भारत-पाक बोर्डर पर जाएँ

तनोट माता मंदिर और संग्रहालय की आध्यात्मिक यात्रा के बाद, आप भारत-पाकिस्तान बोर्डर पर जाकर दोनों देशों के बीच की अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा देख सकते हैं।हालांकि, सीमा पर जाने से पहले, भारतीय मिलिट्री और स्थानीय प्राधिकारी से उचित दस्तावेज और अनुमति लेनी होगी।

मुझे यकीन है कि आप जैसलमेर में इन 11 चीजों का भरपूर आनंद लेंगे। हर पुराने शहर की एक जीवंत आत्मा होती है और कुछ आश्चर्यचकित करने वाले किस्से, कहानियाँ और तथ्य होते हैं। आशा है यहाँ आपका बिताया हुआ हर पल एक सुखद याद से भर जाए।

अगर आपने भी जैसलमेर का सफर किया है तो अपनी यात्रा की कहानियाँ और अनुभव बाकी यात्रियों के साथ बाँटें और Tripoto पर अपना ब्लॉग बनाएँ।

यह आर्टिकल ओरिजनली Travel With Jha पर प्रकाशित हुआ था।