One Day Tour -- MAHAKAL KI NAGRI

Tripoto

ONE DAY TOUR --MAHAKAL KI NAGRI

Hello friends, एक बार फिर मैं अपना हिंदी ब्लॉग लेकर आपके समक्ष उपस्थित हूं आज मैं आपको अपने साथ पवित्र शहर उज्जैन की यात्रा पर ले जाऊंगी वैसे तो मैं उज्जैन कई बार पहले भी गई है इस बार की यात्रा ज्यादा रोचक और यादगार थी

थोड़ी जानकारी उज्जैन के बारे में मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में Indore से 55 किलोमीटर दूर Ujjain स्थित है। प्राचीन मंदिर इस शहर का एक अभिन्न हिस्सा हैं और इसकी महानता की परंपरा जारी है। यह प्राचीन शहर पवित्र नदी शिप्रा के पूर्वी तट पर स्थित है। भव्य हिंदू आध्यात्मिक उत्सव का स्थल - सिंहस्थ, जो चैत्र के हिंदू कैलेंडर महीने में बारह वर्षों में एक बार होता है, का आयोजन यहाँ पर होता है। प्राचीन हिंदू शास्त्रों के अनुसार यह सप्त पुरियों में से एक है, जो भारत के सात सबसे पूजनीय तीर्थस्थानों में से एक है और प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर (जिसे महाकाल के नाम से भी जाना जाता है) का घर है, जो बारह ज्योतिर्लिंगों (भगवान शिव के पवित्र निवास) में से एक है। इसके अलावा, यह कर्क रेखा स्थित है, और समय की गणना के लिए इसकी अद्वितीय भौगोलिक स्थिति के कारण भारत के अन्य पवित्र शहरों की तुलना में इसका अधिक महत्व है।

इस सफर में मेरे साथ मेरी छोटी बहन रितू और मामा जी की बेटी रूपाली थी इस बार सफर में मजे के साथ साथ एक जिम्मेदारी भी थी। हम तीनो सुबह करीब 8:00 बजे इंदौर से उज्जैन के लिए निकले। इंदौर से उज्जैन के लिए प्रत्येक 10 मिनट पर बसे मिल जाती है। करीब 1 घंटे में हम उज्जैन पहुंच गए थे।

कुछ भी कहो उज्जैन आकर दिल को एक अलग ही सुकून मिलता है पता नहीं ऐसा क्या है इस महाकाल की नगरी में......... शायद भोले बाबा की कृपा दृष्टि है। मैं कभी भी बड़ा नहीं होना चाहती थी पर जब साथ में छोटे भाई बहन हो तब बड़े होने का एहसास होता रहता है। आज भी कुछ ऐसा ही था.... जिम्मेदारी थी, मैं पहले भी उज्जैन आ चुकी थी तो अनुभव भी था और यह दोनों पहली बार आई थी तो इस जिम्मेदारी और अनुभव के समावेशन के फलरूप में ग्रुप लीडर थी.....😁😁😛😎 Finally 9:00 बजे हम उज्जैन पहुंच गए थे सबसे पहले हमने महाकाल के दर्शन करने का Plan किया और कुछ ही समय में हम मंदिर के सामने थे। महाकालेश्वर मंदिर यह 11 वीं शताब्दी ईस्वी में परमार वंश के शासक द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था। 1234-35 ईस्वी के दौरान, दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने उज्जैन पर हमला किया और मंदिर में दस्तक दी। सदियों से, मंदिर को विनाश, पुनर्निर्माण और नवीकरण का सामना करना पड़ा।

रुद्र सागर झील के पास स्थित वर्तमान पांच स्तरीय मंदिर का पुनर्निर्माण 18 वीं शताब्दी ईस्वी में किया गया था महाकालेश्वर मंदिर में सबसे महत्वपूर्ण और अनोखी पूजा भस्म आरती है , जो हर दिन सुबह 4 बजे होती है। इस समारोह में श्मशान से लाई गई भस्म (राख) को भगवान महाकालेश्वर के लिंग पर लगाया जाता है। यह प्रकृति का नियम है कि प्रत्येक मृत्यु के लिए एक नया जन्म होता है।इसलिए इस ज्योतिर्लिंग पर , महाकाल पृथ्वी के भगवान और मृत्यु के भगवान भी हैं। लिंगम को धार्मिक रूप से स्नान कराया जाता है और भगवान को विशेष प्रकार के प्रसाद के साथ पूजा की जाती है, जिसमें भाँग (कैनबिस के पौधे के पत्तों और फूलों से तैयार) शामिल है।

मंदिर के बाहर से ही हमने कुछ पुष्प प्रसाद लिये। मुझे महाकाल के मंदिर में फूल और बेलपत्र अंदर ले जाना पसंद नहीं है क्योंकि अंदर जाने के दौरान बहुत बार वह फूल और बेलपत्र रास्ते में ही गिर जाते हैं और बेलपत्र को गिरा हुआ देखकर मेरी आस्था को ठेस पहुंचती है तब सोचती हूं कि लोग जब आस्था के साथ बेलपत्र ले रहे हैं तो गिरा कैसे देते हैं??? खैर मेरी इच्छा के विरुद्ध मेरी बहनों ने कुछ पुष्प बेलपत्र वगैरह ले लिए और मैंने हिदायत दी कि गिरना नहीं चाहिए। वैसे तो ये दोनों पहली बार आई थी तो उनकी आस्था उन्हें पुष्प आदि खरीदने को प्रेरित कर रही थी और मैं उन्हें ज्यादा मना भी नहीं कर पाई क्योंकि जब मैं पहली बार आई थी तब मैंने भी बहुत खुशी और आस्था के साथ पुष्प वगैरह खरीदे थे।

महाकाल के दर्शन के लिए लगी लंबी कतारें, एक के बाद एक कॉरिडोर हमारे अंदर एक अलग ही उत्साह जगा रहे थे वही बीच बीच में भोले बाबा और महाकाल के जयकारे से पूरा माहौल भक्तिमय हो चला था। लंबी कतारें और सारे कॉरिडोरो को पार करके हम हमारी मंजिल में पहुंच ही गए। महाकाल का भव्य श्रृंगार, भक्त गणों का जमावड़ा, मंत्रों का उच्चारण और भक्तिमय माहौल एक अलग ही तरह की मानसिक शांति दे रहे थे।

जब भी मैं यहां आती हूं स्वयं को बहुत ऊर्जावान पाती हूं पता नहीं कारण क्या है??? भोले बाबा की शक्ति है या फिर मेरी आस्था है। खैर जो भी हो यहां आकर सारी चिंताओं और परेशानियों से मुक्ति सी मिल जाती है भोले बाबा की असीम कृपा ही है कि मैं यहां इतने बार आ पायी। परंतु इस बार दो जिम्मेदारियां भी साथ थी तो उनका भी ध्यान रखना पड़ रहा था क्योंकि कतार में कभी-कभी थोड़ी मशक्कत तो होती ही है। Finally हमने दर्शन किए फिर हम बाहर की तरफ आए यहां हमने बाकी के सारे मंदिरों का भ्रमण किया फिर वहां से लड्डू वाला प्रसाद लिया हाथों में धागा बंधवाया और बाहर की तरफ आ गए।

मंदिर परिसर से बाहर निकल कर हमने वहीं पास में थोड़ा विश्राम किया थोड़ी मस्ती की और फिर हम रामघाट की तरफ चल पड़े।

Photo of One Day Tour -- MAHAKAL KI NAGRI 1/10 by Ankita Sahu

Photo of One Day Tour -- MAHAKAL KI NAGRI 2/10 by Ankita Sahu

रास्ते में पहले हमने वहां स्थित दुकानों से कुछ सामान वगैरह लिया।

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इसके पश्चात वहीं ट्रस्ट की तरफ से प्रसाद स्वरूप मिलने वाले भोजन से पहले हमने पेट पूजा की। यहां का खाना बहुत Tasty था साथ ही बहुत प्यार और सेवा भाव से वहां खाना खिलाया जा रहा था खाना खिलाने वाले अंकल जी की खुशी और सेवा भाव को शब्दों में बयां करना थोड़ा मुश्किल प्रतीत हो रहा है पर उनके सेवा भाव के कारण हमारी खुशी दुगनी तिगुनी हो गई थी। भोजन करके उन सभी लोगों को जो वहां सेवा भाव से भोजन करवा रहे थे, उन्हें धन्यवाद करके हम रामघाट की तरफ चल पड़े। राम घर जाते समय हमें रास्ते में सबसे पहले महाराजा विक्रमादित्य का दरबार आसन मिला तो हम लोग वहां चल पड़े

विक्रमादित्य द ग्रेट स्मारक प्रतिमा उज्जैन, प्राचीन भारत के प्रसिद्ध सम्राट विक्रमादित्य की राजधानी थी, जिन्हें आदर्श राजा के रूप में जाना जाता है, जो अपने ज्ञान, वीरता, विशालता और विद्वानों के संरक्षण के लिए जाने जाते हैं।

Photo of One Day Tour -- MAHAKAL KI NAGRI 4/10 by Ankita Sahu

यहां पर विक्रमादित्य की सिंहासन बत्तीस में विराजमान 30 फीट ऊंची प्रतिमा है विक्रमादित्य के साथ ही उनके दरबार के सभी महान रत्नों को भी यहां सुशोभित किया गया है उनके सिंहासन को 'सीट ऑफ जजमेंट' के रूप में जाना जाता है ...

इस परिसर में एक मंदिर भी स्थापित है साथ ही एक छोटा गार्डन भी यहां है जिसमें सिंहासन बत्तीस की सभी पुतलियां स्थापित की गई हैं।

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इसके पश्चात हम हमारी यात्रा के अगले पड़ाव अर्थात रामघाट पहुंच गए।

रामघाट राम घाट शिप्रा नदी का एक प्रमुख घाट है यहीं पर कुंभ मेले का भी आयोजन किया जाता है, जहाँ लाखों श्रद्धालु इस आयोजन के दौरान एकत्र होते हैं। यहाँ की आरती प्रसिद्ध है और रामघाट को उज्जैन में सबसे पुराना स्नान घाट माना जाता है।

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रामघाट में हम तीनों ने काफी अच्छा समय व्यतीत किया तथा आज पहली बार मैंने शिप्रा में स्नान भी किया, मानो आज कुंभ स्नान हो गया हो। वाकई स्थान की पवित्रता और विशेषता हो जाने के कारण मुझे आज एक अलग ही अनुभव प्राप्त हुआ।

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नदी के किनारे वक्त का पता ही नहीं चल पाया और उज्जैन के बहुत सारे प्रमुख स्थल घूमने रह गए। परंतु आज हमने बहुत ही अच्छा और भक्तिमय समय व्यतीत किया और समय की अनुपलब्धता के कारण हमें यही हमारी यात्रा को समाप्त करना पड़ा और हम वापस इंदौर के लिए निकल पड़े।

आशा करती हूँ आपको मेरी यह यात्रा संस्मरण अवश्य पसंद आया होगा अगर आप अपने विचार और किसी प्रकार का Suggestions देना चाहते है तो वह सादर आमंत्रित हैं अपने विचार और Suggestions आप Comments Box में दे सकते हैं ।

Day 1

Amazing experience

Photo of Ujjain, Madhya Pradesh, India by Ankita Sahu

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