साल 2018, दिसंबर का महीना, क्रिसमस का समय। तैयार था मैं अपने लाइफ के पहले विदेशी दौरे के लिए। किसी भी सफर से पहले,जो चीजें आपको परेशान करती हैं, ज़ाहिर है उन्हीं चीजों को लेकर मैं भी परेशान था। हाँ, एक्साइटेड भी था, ये सोच कर कि जिसे अब तक सिर्फ़ फिल्मों, दूसरे के फेसबुक पोस्ट और इंस्टा स्टोरी में देखाता था, अब जल्द ही उसे असल जिंदगी में देखूँगा। पूरा पेरिस और सबसे पहले आइफिल टावर।
क्या परेशान करती है ऐसे समय में आपको?
यही न - पासपोर्ट रखा या नहीं, सुना है वहाँ ठण्ड बहुत होती है, देशी स्वेटर और जैकेट काम नहीं आते, कुछ गड़बड़ हो जाए वहाँ तो क्या करेंगे, पैसे कम तो नहीं हैं। मेरी समस्या इनसे कुछ अलग थी। चुंकी मैं अपनी वाइफ के साथ जा रहा था और इससे पहले वो कई सरहदें नाप चुकी थी, तो इन मामलों में एकदम रिलैक्स था।
फिर क्या थी मेरी समस्या?
तो जिस चीज को सोच-सोच कर मैं सूख रहा था वो था - वहाँ भात-दाल मिलता है या नहीं। गूगल सर्च, यूट्यूब वीडियोस, सब छान चुका था भात-दाल के चक्कर में। कितने अश्वाशनों के बावजूद - मन मानने को राजी न था क्योंकि सब देशी रेस्टोरेंट मेरी पहुँच से काफी दूर थे।
A Walk to Eiffel Tower
शाम का समय। हल्का अँधेरा। स्वेटर के ऊपर जैकेट, पैरों में बूट। तैयार था मैं दुनिया की सबसे खूबसूरत चीजों में से एक - Eiffel Tower को देखने। साफ़ सुथरी सड़क, उसके किनारे लगे सटीक साइन बोर्ड, खूबसूरत आर्किटेक और मददगार लोग - 10 मिनट का यह वॉक कब पूरा हो गया, मालूम ही नहीं पड़ा। पर इस सब के बीच भी जो चीज़ मेरी नजरें ढूँढती रही - पहला, सड़क पर कोई अपने देश से आया टूरिस्ट और दूसरा, भात-दाल वाला कोई रेस्टोरेंट, जो अब तक मुझे कहीं नहीं दिखा।
जब सारे सपने हुए एक साथ पूरे…
कितना मज़ा आता है ना,जब आपके सारे सपने एक के बाद एक लगातार पूरे होने लग जाएँ। Eiffel Tower पहुँचते ही मुझे मिले एक यंग भारतीय कपल, फिर क्या था, उन्होंने मुझे उनकी तस्वीर खींचने को कहा और हमने उन्हें अपना।
मैं खाने की समस्या को सोचते हुए वापिस अपने होटल की तरफ बढ़ चुका था। लौटते हुए वहीं मिले मुझे एक चाबी का छल्ला बेचने वाले। हाव-भाव,रंग-भाषा, सबसे लोकल थे। उन्होंने मुझे टोकते हुए कहा... भाईसाहब, अपनों के लिए चाबी के छल्ले लेते जाइये। सुनकर अच्छा लगा, गोरा हिंदी जनता है।
जब अपनों ने बताया अपनों का पता…
बातचीत में उन्होंने बताया कि वो हरियाणा के पानीपथ से है। होटल के पास वाले एक भारतीय रेस्टोरेंट का पता भी दिया। जाते-जाते एक सबसे ज़रुरी टिप्स भी देते गए - अपना हैंड बैग हमेशा आगे की ओर क्रॉस टांग कर रखें, यहाँ PICKPOCKETS यानि लोगों द्वारा सामान छीन कर भाग जाना बहुत आम बात हैं। वो खुद भी अपना बैग, जिसमे छल्ले थे, क्रॉस तरीके से आगे की ओर बांध रखा था। उनके 17 साल के अनुभव पर मैंने तुरंत अमल किया और निकल पड़ा अपनी परेशानी का हल ढूँढने। एक बार और शुक्रिया मुशाफिर।
खाना और रेस्टोरेंट दोनों काफी अच्छा था। पेरिस की जमीं पर कोई आपको कह रहा हो- सर, ये रहा आपका चावल और दाल तड़का - और क्या चाहिए ।