यह गाना मेरा पसंदीदा गाना है, "शराबी" फिल्म का !
और इस गाना मे जैसे अमिताभ साहब को, जैसे चार लोग मिल जाते है, रास्ते में ! कुछ इसी तरह मुझे भी इस ट्रैकिंग में चार लोग मिलते है !
हर बार की तरह मैं, अकेला ट्रेक पर निकला !
पानी की बोतल तो ली थी ! लेकिन नज़ारो का लुफ्त उठाते उठाते और रुक रुक के आराम से चलने में कभी पानी ख़तम हो गयी, पता ही नहीं चला !
क्या पता ऐसे कैसे हुआ की, मुझे पानी ख़तम होने का ध्यान ही नहीं रहा !
आगे बढ़ता रहा, ये सोच कर पहाड़ के आस पास पानी मिल ही जाएगा !
लेकिन किस्मत ने भी ठान ली थी के मुझे सबक सिखाया जाए !
चडान शुरू हुई ! और बढ़ने लगी ! और मेरे अंदर पानी की कमी ज़ोर से आवाज़ करने लगी !
मुझे पानी चाहिए था ! और वह कहीं भी दूर तक नहीं था !
बहुत ही थक्क चूका था और एक भी कदम नहीं चला जा रहा था !
और ऊपर से मैंने उस पग डंडी को भी खो दिया, जो मुझे ऊपर किले तक ले जाने वाला था !
परेशानी मे मेरे मन मे निचे जाने की बात आने लगी ! और निचे जाना मतलब एक दिन का बर्बाद होना और मुश्किल से मिली छुट्टी का फायदा न उठाना !
दिल तो नहीं कह रहा था, के निचे जाऊं ! लेकिन शरीर मे पानी की एक बूँद भी नहीं थी !
दिल पर पहाड़ रककर मैंने निचे उतरना की शुरुआत की !
एक जगह पर बैठ गया ताके ताकत जूता सकू !
ज़ोरो से सासें ले ही रहा था, तभी वहां झाड़ियों मे हरकत दिखाई दी !
मैं चौकन्ना हो गया , शायद कोई जानवर ही ना सामने आ जाए ! ऊपर से हमारा वक़्त भी बुरा चल रहा था !
लेकिन, ऐसा नहीं हुआ ! उन झाड़ियों मे से चार कॉलेज मे पढ़ने वाले उम्र के चार लोग हस्ते और मुस्कुराते बहार आये !
उनकी हसी देख कर मेरे जान मे जान आयी !
मुझे उन होने पानी दिया ! और ऊपर से उनकी उत्साह देखकर मुझे भी उनके साथ जाने का मन हुआ !
उसी क्षण एक लड़के ने मुझे न्योता दिया की मैं भी उनके साथ किले की और चढाई करू !
उसके इस सब्दो ने दोबारा शरीर मे जोश भर दिया !
हालत तो बहुत ही खराब थी, मैं नहीं चाहता था के मेरे कारण उनकी पहाड़ी पर चडान मे देरी हो !
मेरी हालत तो उन्हें पता ही थी ! उन्होंने अच्छा साथ दिया मेरा आगे ! मेरे चलने मे तेज़ी की कमी थी, परन्तु वे बढ़िया तरह से मेरे साथ कदम से कदम मिला रहे थे !
दो लोग आगे थे, मैं बीच मे और बाकी दो मेरे पीछे !
उनके पास जितना पानी, उस मे से ज़्यादा तर पानी उन्होंने मुझे ही दिया !
उन्हें जभी लगा की, बहुत ही मैं थक्क चूका हुँ ! तो सभी रुक गए ! और मुझे ताकत जुटाने का मौका मिला !
वे सब फोटो निकाल मे मग्न हो गए ! और मैं आराम करने मे !
फिर हम आगे बढ़ने लगे ! उनकी उत्साह देख कर मेरे उत्साह मे भी काफी बढ़ोतरी हुई !
उनकी हस्सी और मज़ाक करते करते आगे बढ़ना , मुझे मेरे कॉलेज दिन की याद दिलाते !
एक दुसरे पर हस्ते हस्ते हम सब आगे बढ़ते रहे !
फिर आखिर हम पहाड़ की छोटी पर पहुच ही गए !
समय कैसे निकला पता ही नहीं चला !
यही मज़ा होता है, दोस्तों के साथ कही पर जाना !
या तो कही जाकर दोस्त बनाना !
निचे उतरने की कहानी तो और बेहतरीन रही !
मैंने उन पलों को फोटो मे कैद किये है, कुछ इस तरह !
मैं इस आर्टिकल को यही रोक देना चाहता हुँ !
कभी भी आपको लगे अकेले ट्रैकिंग करते समय की, वापस चले जाना चाहिए, तो इस निर्णय मे कोई बुराई नहीं !
अगर मन कहे " हाँ" तो "हाँ "
अगर कहे "ना" तो "ना"