मैं कुछ दिन पहले भी लखनिया दरी वॉटर फाल्स गया था। लेकिन अब दोबारा जाने का मन हुआ तो निकल पड़ा अपनी बाइक के साथ। वैसे तो लखनिया दरी वाराणसी से बहुत ज्यादा दूर नही है। लगभग 45 किलोमीटर के आस पास है। अगर आपको बहुत ही कम पैसे में एक बढ़िया झरने का मजा लेना हो तो आप जरूर वाराणसी आये और लखनिया दरी जाए जिसके पास चुना दरी झरना है जो काफी सुंदर है।





वैसे तो सारनाथ के बारे में लगभग सब लोगों को अच्छे से पता होगा। लेकिन फिर भी इसकी खूबसूरती कभी कम नही होती आप चाहे जितनी बार देख कर आओ। यहाँ बुद्ध भगवान का मंदिर और स्तूप काफी लोकप्रिय हैं।






यहाँ आकर आप ये अच्छे से जान पाओगे की जवाहरलाल नेहरु और इंदिरा गांधी के रहन सहन के बारे में।







इलाहाबाद म्यूज़ियम भी अपने आप में बहुत ही सूंदर और शांत जगह है।
इलाहाबाद म्यूसियम जहाँ पर इतिहास से जुड़ी हुई बहुत सारी यादें और आजादी के समय मे हुई संघर्ष की तस्वीरों को बड़ी ही अच्छे तरीके संजो कर रखा गया है। आप इलाहाबाद आये तो यहां जरूर आये।












जब भी आप इलाहाबाद जाए तो नए यमुना पुल पर जरूर जाएं और कुछ फोटोज जरूर खींचे। ऊपर से आस पास की सिटी को देखने में मज़ा ही आ जायेगा।





इलाहाबाद आने के बाद बहुत सारे लोग पूरे शहर में सफर कर लेते हैं लेकिन उनके दिमाग ये जगह नहीं आती है। खुसरो बाग पुरानी धरोहरों में से एक है जिसे देखकर ये पता चलता है की हमारा इतिहास कैसा रहा होगा।
वैसे भी इलाहाबाद में और भी बहुत जगहें हैं जो घूमने लायक है। जैसे-
इलाहाबाद हाइकोर्ट
चर्च
फोर्ट।







एक इस्कोन मंदिर वृन्दावन में है एक यहाँ कानपुर में दोनों ही मंदिर अपने आप मे शानदार हैं। यहाँ भी आकर आप कानपुर की भीड़भाड़ से अलग एक दम एकांत महसूस करेंगे।





कानपुर शहर के बीचोबीच बना जे. के. मंदिर बहुत ही खूबसूरत और शानदार बना हुआ है। ये काफी पुराना मंदिर है लेकिन देखने में ये आपको कही से भी पुराना नही लगेगा।







कानपुर से कुछ 15 से 20 किलोमीटर दूर ये जगह पड़ती है, जिस जगह के बारे में ये मान्यता है की जब सीताजी को अयोध्या से जाना पड़ा था तो वो इसी जगह पर आकर कुछ समय के लिए रही थीं। ये जगह भी वाकई में बहुत ही नेचुरल है। गंगा के किनारे कुछ अच्छे पलों को महसूस करना हो तो यहाँ जरूर आएं।



