दलाई लामा के भारत आने से पहले 1955 में भारत में स्थापित सबसे पुराना तिब्बती मंदिर है । मिट्टी से बनी विशालकाय बुद्ध प्रतिमा है। कई अन्य छोटी मूर्तियाँ और अन्य कलाकृतियाँ हैं। यह एक सुंदर शांत जगह है और बहुत दयालु और मैत्रीपूर्ण लामाओं द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
यह एक बाहत ही शांत जगह है । चायनीज मंदिर से इसकी दूरी महज 500 मीटर है। सारनाथ संग्रहालय के लगभग 2 किमी की दूरी पर स्थित यह स्थान दिव्य शांति प्रदान करता है। सारनाथ में मंदिरों का दौरा करें और आप उनमें से लगभग सभी में मौन और शांति पाएंगे। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपने जीवन से कितने परेशान या निराश हैं, ये मंदिर आपको समय के लिए उन सभी को दूर ले जाने की गारंटी देते हैं। यदि आप वाराणसी या सारनाथ की यात्रा कर रहे हैं, तो यह देखने के लिए भी जरूर चाहिए।
मंदिर अंदर से बहुत ही खूब सूरत है । अगर आप एक सोलो ट्रेवलर है और आपको पीस फूल जगहों पर जाना अच्छा लगता है तो आप यहां जाकर कुछ समय बिल्कुल रिलॉक्स बिल्कुल शांति से बिता सकते है मुझे यहां आना पसंद है।
हमारी यात्रा के दौरान मंदिर के भीतर बैठा भिक्षु बहुत ही मिलनसार था और उसने हमारे साथ अच्छी बातचीत की, भले ही हमने वहाँ बहुत कम समय बिताया हो। लेकिन उन्होंने बौद्ध धर्म के इतिहास से हमें अवगत कराया । मैं आपको सजेस्ट करूँगा की आप जब भी किसी मंदिर चर्च या मस्जिद जाए तो वहां के धर्म अनुयायी है आप उनसे जरूर बात करे । वो आपको वहां के इतिहास और वहा की संस्कृति से आपको अवगत कराएंगे ।
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